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स्टार्ट-अप द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) लेना

भा.रि.बैंक/2016-17/103
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.13

27 अक्तूबर 2016

सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

स्टार्ट-अप द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) लेना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्रा.व्या. श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान 04 अक्टूबर 2016 को रिज़र्व बैंक द्वारा जारी वर्ष 2016-17 के चौथे द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में की गई घोषणा की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसमें स्टार्ट-अप उद्यमों को ईसीबी फ्रेमवर्क के तहत ऋण लेने की अनुमति दी गई है।

2. किसी उद्यम को स्टार्ट-अप मानने संबंधी मानकों को भारत सरकार द्वारा 18 फरवरी 2016 को सरकारी राजपत्र में प्रकाशित किया जा चुका है। इसलिए भारत सरकार के परामर्श से, यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को स्टार्ट-अप उद्यमों को निम्नलिखित फ्रेमवर्क के तहत ईसीबी जुटाने की अनुमति दी जाए:

ए. पात्रता: जिसे ईसीबी जुटाने की तारीख को वह इकाई (एंटिटी) केन्द्र सरकार द्वारा स्टार्ट-अप के रूप में मान्यता प्राप्त हो।

बी. परिपक्वता: न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि 3 वर्ष होगी

सी. मान्यताप्राप्त उधारदाता: उधारदाता / निवेशक ऐसे देश का निवासी हो, जो देश वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) के सदस्य हैं अथवा FATF जैसे किसी क्षेत्रीय निकाय के सदस्य हैं तथा FATF द्वारा जारी सार्वजनिक-वक्तव्य में निम्नलिखित के रूप में पहचाना गया देश न हों :

i) धन शोधन निवारण या आतंकवाद के वित्त-पोषण के मुक़ाबले के लिए सामरिक कमियों वाला अधिकार क्षेत्र, जिस पर काउंटर उपाय लागू हों, अथवा

ii) ऐसा अधिकार क्षेत्र, जिसने अपनी कमियों को दूर करने के लिए पर्याप्त प्रगति न की हो या कमियों को दूर करने के लिए FATF के साथ कोई कार्ययोजना विकसित करने के लिए प्रतिबद्धता नहीं दिखाई हो।

अपवर्जन (Exclusion) : हालांकि, भारतीय बैंकों की समुद्रपारीय शाखाओं / सहायक कंपनियो तथा किसी भारतीय कंपनी की समुद्रपारीय पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी / संयुक्त उद्यम को इस फ्रेमवर्क के तहत मान्यताप्राप्त उधारदाता के रूप में माना नहीं जाएगा।

डी. प्रारूप: यह उधार ऋण अथवा अपरिवर्तनीय, विकल्पतः परिवर्तनीय अथवा अंशतः परिवर्तनीय अधिमानी शेयरों के रूप में लिया जा सकता है। निधियों का आगमन उस देश से होना चाहिए जो उपर्युक्त पैरा 2(c) की शर्तों को पूरा करते हों।

ई. मुद्रा (करेंसी) : यह उधार किसी मुक्त रूप से परिवर्तनीय करेंसी अथवा भारतीय रुपए या इनके मिश्रित स्वरूप में मूल्यवर्गीकृत होना चाहिए। भारतीय रुपयों में उधार लेने के मामले में अनिवासी ऋणदाता को भारत में एक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक के द्वारा किए गए स्वैप / एकमुश्त बिक्री के माध्यम से भारतीय रुपये जुटाने होंगे।

एफ़. राशि: उधार की राशि प्रति स्टार्टअप प्रति वित्तीय वर्ष, भारतीय रुपए या किसी परिवर्तनीय करेंसी अथवा इनके मिश्रित रूप में मूल्यवर्गीकृत 3 मिलियन अमरीकी डालर या उसके समतुल्य मूल्य की सीमा में होगी।

जी. समग्र लागत: उधारकर्ता और उधारदाता के बीच पारस्परिक रूप से सहमति होनी चाहिए।

एच. अंतिम उपयोग: उधारकर्ता के व्यवसाय के संबंध में किसी भी प्रकार के खर्च के लिए।

आई. इक्विटी में परिवर्तन: स्टार्ट-अप में विदेशी निवेश के लिए लागू प्रावधानों के अधीन इक्विटी में मुक्त रूप से परिवर्तन की अनुमति है।

जे. सिक्युरिटी: उधारदाता के लिए प्रदान की जाने वाली प्रतिभूति का चयन करने के लिए उधारकर्ता कंपनी स्वतंत्र है। प्रतिभूति चल, अचल, अमूर्त परिसंपत्तियों (पेटेंट, बौद्धिक संपदा अधिकार सहित), वित्तीय प्रतिभूतियों आदि के रूप में हो सकती हैं और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश / विदेशी पोर्टफोलियो निवेश / या ऐसी प्रतिभूतियों को धारण करने वाले विदेशी उधारदाताओं / कंपनियों के लिए लागू प्रावधानों का अनुपालन करना होगा।

के. कॉर्पोरेट अथवा व्यक्तिगत गारंटी: कॉर्पोरेट या व्यक्तिगत गारंटी जारी करने की अनुमति है। अनिवासी/ अनिवासियों द्वारा जारी गारंटी की अनुमति तभी होगी, यदि ऐसी पार्टियां उपर्युक्त पैरा 2(c) के तहत ऋणदाता के रूप में पात्र हैं।

अपवर्जन (Exclusion) : भारतीय बैंकों, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं और गैर-बैंकिंग वित्तीय कमपनियों (NBFC) को गारंटियां, आपाती साख-पत्र, वचनपत्र अथवा चुकौती आश्वासनपत्र जारी करने की अनुमति नहीं है।

एल. हेजिंग (Hedging): भारतीय रुपए में मूल्यवर्गीकृत बाह्य वाणिज्यिक उधार के मामले में विदेशी ऋणदाता भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों में, अनुमत डेरिवेटिव उत्पादों के माध्यम से, भारतीय रुपए (INR) के अपने जोखिम को हेज करने के लिए पात्र हैं। ऋणदाता भारतीय बैंकों की समुद्रपारीय शाखाओं / सहायक कंपनियों अथवा भारत में उपस्थिति वाले विदेशी बैंकों की शाखाओं के माध्यम से भी बैक–टू-बैक आधार पर घरेलू बाजार तक पहुँच सकते हैं।

एम. परिवर्तन दर: भारतीय रुपयों में उधार लेने के मामले में, विदेशी मुद्रा – भारतीय रुपया रूपांतरण इस प्रकार के करार की तारीख को बाजार की जो दर है, उस दर पर होगा।

3. ईसीबी के माध्यम से प्राप्त होने वाली आगम राशि की पार्किंग, रिपोर्टिंग व्यवस्था, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को अधिकारों का प्रत्यायोजन, जांच के अधीन एंटिटियों द्वारा उधार लेना, ईसीबी का इक्विटी में परिवर्तन जैसे अन्य प्रावधान 30 नवंबर 2015 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.32 में घोषित ईसीबी फ्रेमवर्क के अनुरूप होंगे। हालांकि, लीवरेज अनुपात और ईसीबी दायित्व: इक्विटी अनुपात प्रावधान लागू नहीं होगा ।

4. यह नोट किया जाए कि विदेशी मुद्रा में ईसीबी जुटाने वाले स्टार्ट-अप, जिनके पास प्राकृतिक हेज हो या ना हो, जो विनिमय दर गतिविधियों के कारण मुद्रा जोखिम के प्रति प्रवृत्त हैं और इसलिए उन्हें यह सुनिश्चित करने की सलाह दी जाती है कि उनके पास ईसीबी से उत्पन्न संभावित जोखिम के प्रबंधन के लिए एक उचित जोखिम प्रबंधन नीति हो।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

6 इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं॰ 5 को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है।

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(2) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं।

भवदीय

(ए के पाण्डेय)
मुख्य महाप्रबंधक

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