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बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति – पुनरीक्षित ढांचा (फ्रेमवर्क)

भारिबैंक/2015-16/255
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.32

30 नवंबर 2015

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक

महोदया/महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति – पुनरीक्षित ढांचा (फ्रेमवर्क)

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान पात्र निवासी कंपनियों (एटिटीज़) द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने संबंधी मूल फ्रेमवर्क को अंतर्विष्ट करने वाले 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। उक्त परिपत्र जारी होने के बाद, भारतीय कंपनियों की बढ़ती हुई वित्तीय आवश्यकताओं और समग्र आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए, इस प्रकार के उधार लेने के लिए समग्र लागत की आवधिक समीक्षा करने के अलावा, और निवासी कंपनियों को पात्र उधारकर्ताओं, अधिक कंपनियों को मान्यता प्राप्त उधारदाताओं एवं अंतिम उपयोग में विस्तार को शामिल करते हुए बाह्य वाणिज्यिक उधार फ्रेमवर्क को संवर्धित रूप में उच्चीकृत किया गया है। क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं का ध्यान रखने के लिए भी विशेष ढांचे को तैयार किया गया है।

2. चूंकि बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने संबंधी मौजूदा फ्रेमवर्क को कार्यान्वित हुए काफी समय बीत चुका है, अत: बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने संबंधी व्यवस्था के कार्यान्वन से प्राप्त अनुभव एवं वर्तमान पारिस्थितिकी तंत्र पर आधारित समीक्षा करने की जरूरत महसूस की गयी जो, अन्य बातों के साथ-साथ, विभिन्न श्रेणियों के उधारकर्ताओं के व्यापक वर्ग द्वारा भारतीय रुपए में मूल्यवर्गीकृत बांडों को विदेश/ओवरसीज़ में जारी करने की गुंजाइश दर्शाती है। तदनुसार, प्रस्तावित बाह्य वाणिज्यिक उधार फ्रेमवर्क का प्रारूप व्यापक परामर्श के लिए 23 सितंबर 2015 को पब्लिक डोमेन में रखा गया था। इस संबंध में प्राप्त प्रतिक्रियाओं और भारत सरकार के परामर्श के आधार पर, पुनरीक्षित बाह्य वाणिज्यिक उधार फ्रेमवर्क को निम्नलिखित व्यापक सिद्धांतों के जरिए अंतिम रूप दिया गया है:

  1. चूंकि उधारकर्ता हेतु उधार की विस्तारित अवधि चुकौती को अधिक सुगम बनाती है और रोल-ओवर के जोखिम को कम कर देती है, अस्तु दीर्घावधि विदेशी मुद्रा उधार के अंतिम उपयोग पर कमतर प्रतिबंधों एवं समग्र लागत की उच्चतम सीमा, आदि के प्रति और अधिक उदार रुख अपनाया गया है;

  2. भारतीय रुपए में मूल्यवर्गीकृत बाह्य वाणिज्यिक उधार हेतु अधिक उदार व्यवस्था की गई है, जहां मुद्रा जोखिम उधारदाता द्वारा वहन किया जाता है;

  3. दीर्घावधि उधारदाताओं जैसे बीमा कंपनियों, पेशन निधियों, राष्ट्रकि धन निधियों(SWF) को शामिल करने के लिए ओवरसीज़ उधारदाताओं की सूची में विस्तार किया गया है;

  4. दीर्घावधि बाह्य वाणिज्यिक उधार एवं भारतीय रुपए में मूल्यवर्गीकृत बाह्य वाणिज्यिक उधार के अंतिम उपयोग पर प्रतिबंध के मामले में मात्र लघु नकारात्मक सूची है;

  5. बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए पात्र इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों (एंटिटीज़) की सूची को भारत सरकार की इसी प्रकार की सूची के अनुरूप संरेखित किया गया है।

3. विकासमान समग्र आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, हमारे द्वारा पूंजी खाते के प्रबंधन के लिए विदेश से निधियों के प्रवाह को आकृष्ट करने हेतु हमारी नीति के उच्चीकरण (कैलिब्रेशन) के एक प्रमुख उपाय के रूप में बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी फ्रेमवर्क जारी रहेगा। एक साल के बाद हमारे अनुभव एवं विकासमान समग्र आर्थिक स्थिति के मद्देनज़र इन दिशानिर्देशों की समीक्षा की जाएगी।

4. पुनरीक्षित ईसीबी फ्रेमवर्क में निम्नलिखित तीन ट्रैक होंगे:

ट्रैक I : 3/5 वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि वाले मध्यम-अवधि के विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गीकृत बाह्य वाणिज्यिक उधार।
ट्रैक II : 10 वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि वाले दीर्घावधि विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गीकृत बाह्य वाणिज्यिक उधार।
ट्रैक III : 3/5 वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि वाले भारतीय रुपए में मूल्यवर्गीकृत बाह्य वाणिज्यिक उधार।

5. पुनरीक्षित बाह्य वाणिज्यिक उधार फ्रेमवर्क के लिए पैरामीटरों एवं अन्य शर्तों को निर्धारित करने वाले दिशानिर्देश इस परिपत्र के अनुबंध में दिए गए हैं। यह नोट किया जाए कि ये पैरामीटर एकल आधार पर लागू न हो कर, समग्रता में लागू होंगे। स्वचालित मार्ग में जहां कंपनियों (एंटिटियों) को बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने/उगाहने के लिए रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति प्राप्त करने की अपेक्षा/आवश्यकता नहीं है एवं अनुमोदन मार्ग में जहां बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने/उगाहने हेतु रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति आवश्यक है, दोनों मार्गों के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने संबंधी मानदण्ड भी अनुबंध में दिए गए हैं।

6. यह सुनिश्चित करने की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित उधारकर्ता की होगी कि बाह्य वाणिज्यिक उधार लागू दिशानिर्देर्शों के अनुरूप ही हों। बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने संबंधी दिशानिर्देशों के उपबंधों के उल्लंघन, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) के तहत दण्डात्मक कार्रवाई को आकृष्ट कर सकते हैं। नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/कों से भी यह अपेक्षित है कि वह/वे अपने ग्राहक/कों द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाना सुनिश्चित कराएं।

7. बाह्य वाणिज्यिक उधार के ब्योरे यथा उधार लेने वाले का नाम, राशि, प्रयोजन और स्वचालित तथा अनुमोदन मार्ग के तहत संविदागत बाह्य वाणिज्यिक उधार की परिपक्वता से संबंधित सूचना/एं प्रसार हेतु रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर मासिक आधार पर, संबंधित माह के अंतराल पर, प्रदर्शित की जाएगी/जाएंगी।

8. बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने वाली कंपनियां (एटिटीज़) मौजूदा फ्रेमवर्क के तहत ऐसा/से ऋण 31 मार्च 2016 तक ले सकती हैं, बशर्ते ऐसे ऋण के लिए करार नए फ्रेमवर्क के लागू होने की तारीख से पूर्व हस्ताक्षरित हो गया हो/गए हों। निम्नवत निरूपण के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए, हालांकि, उधारकर्ताओं को 31 मार्च 2016 तक ऋण करार हस्ताक्षरित कर लेना है और रिज़र्व बैंक से ऋण पंजीकरण संख्या उक्त तारीख तक प्राप्त कर लेनी चाहिए:

(i) एयरलाइन कंपनियों द्वारा कार्यशील पूंजी के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार सुविधा लेना;

(ii) 10 बिलियन अमरीकी डालर योजना के अंतर्गत सतत आधार पर विदेशी मुद्रा अर्जकों को बाह्य वाणिज्यिक उधार सुविधा;

(iii) सस्ती आवास परियोजनाओं के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार सुविधा (सस्ती आवास परियोजनाएं वही हैं जिन्हें मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में परिभाषित किया गया है)।

9. भारतीय कंपनियों(एटिटीज़) द्वारा ली जाने वाली बाह्य वाणिज्यिक उधार सुविधा के संबंध में भारतीय बैंकों एवं उनकी समुद्रपारीय शाखाओं/सहायक कंपनियों की भूमिका रिज़र्व बैंक के बैंककारी विनियमन विभाग द्वारा उन्हें जारी विवेकपूर्ण मानदण्डों संबंधी दिशानिर्देशों के अधीन होगी। इसके अलावा, भारतीय बैंको की समुद्रपारीय शाखाओं/सहायक कंपनियों को ट्रैक-II एवं ट्रैक-III के अंतर्गत उधार देने की अनुमति नहीं होगी।

10. बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी नया फ्रेमवर्क फेमा के अंतर्गत जारी संबंधित विनियमावली के सरकारी राजपत्र में प्रकाशित होने की तारीख से लागू होगा। यह विनियमावली अलग से जारी की जा रही है।

11. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

12. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(बी.पी.कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

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