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भारतीय रुपये में नामित (मूल्यवर्गीकृत) बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) - अनिवासी संस्थाओं (इंटिटीज़) के लिए हेजिंग सुविधाएं

भारिबैंक/2011-12/326
ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं. 63

29 दिसंबर 2011

सभी श्रेणी - I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

भारतीय रुपये में नामित (मूल्यवर्गीकृत) बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)
- अनिवासी संस्थाओं (इंटिटीज़) के लिए हेजिंग सुविधाएं

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । (प्रा.व्या. श्रेणी - ।) बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 [3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 25/आरबी-2000] की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. 23 सितंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 27 के अनुसार,

i. "पात्र उधारकर्ताओं" को मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने संबंधी दिशानिर्देशों के अनुसार स्वचालित मार्ग/अनुमोदन मार्ग, जैसा भी मामला हो, के तहत विदेशी ईक्विटी धारकों से रुपए में नामित (मूल्यवर्गीकृत) बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी गयी है ।

ii. माइक्रो फाइनेंस गतिविधियों में संलग्न एनजीओ को मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी दिशानिर्देशों के अनुसार स्वचालित मार्ग के तहत समुद्रपारीय संगठनों तथा व्यक्तियों से रुपयों में नामित बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी गयी है।

उसमें सुकरता लाने (उसे सुगम बनाने) की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि अनिवासी भारतीयों को संलग्नक में दिये गये ब्योरों के अनुसार भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक के पास भारतीय रुपयों में नामित (मूल्यवर्गीकृत) बाह्य वाणिज्यिक उधार के संबंध में उनके मुद्रा जोखिम हेज करने के लिए अनुमति दी जाए ।

3. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 25/आरबी-2000 [विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000] में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं ।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत  करायें ।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीया,

(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


संलग्नक
[ 29 दिसंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज
परिपत्र सं.63 का संलग्नक ]

भारतीय रुपये में नामित (मूल्यवर्गीकृत) बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)
- अनिवासी संस्थाओं (इंटिटीज़) के लिए हेजिंग सुविधाएं

प्रयोजन

भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक के पास रखे भारतीय रुपयों में नामित (मूल्यवर्गित) बाह्य वाणिज्यिक उधार से उत्पन्न मुद्रा जोखिम को हेज करना।

उत्पाद

वायदा विदेशी मुद्रा संविदाएं जिनमें से एक मुद्रा रुपया है, विदेशी मुद्रा-आईएनआर आप्शंस तथा विदेशी मुद्रा-आईएन आर स्वाप्स।

परिचालनात्मक दिशानिर्देश, शर्तें

• विदेशी ईक्विटी धारक/समुद्रपारीय संगठन अथवा व्यक्ति अंतर्निहित लेनदेन के संबंध में वायदा कवर के लिए अनुरोध के साथ भारत में प्राधिकृत व्यापारी बैंक से संपर्क करता है जिसके लिए वह सौदा-पूर्व आधार पर उचित प्रलेखन (स्कैन की गयी प्रतिलिपियां स्वीकार्य होगी) प्रस्तुत करना चाहता है जिससे भारत में प्राधिकृत व्यापारी बैंक स्वयं अंतर्निहित बाह्य वाणिज्यिक लेनदेन होने तथा उसके समुद्रपारीय बैंकर, पता, आदि के बारे में संतुष्ट हो सकें । इस संबंध में ग्राहक से निम्नलिखित वचनपत्र भी लिये जाने आवश्यक हैं-

• वही अंतर्निहित एक्सपोज़र भारत में किसी अन्य प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के पास हेज नहीं किया गया है ।

• यदि अंतर्निहित एक्सपोज़र रद्द किया जाता है तो ग्राहक हेज संविदा तुरंत रद्द करेगा ।

• हेज की राशि और अवधि उस अंतर्निहित लेनदेन से अधिक नहीं होनी चाहिए और आगम राशि के भुगतान/वसूली की अवधि से संबंधित मौजूदा विनियमों के अनुसार होनी चाहिए ।

• भुगतान, नियत तारीख को प्रतिरुपी बैंक के वॉस्ट्रो अथवा प्राधिकृत व्यापारी बैंक के नॉस्ट्रो खाते के जरिये किया जाना है । भारत में प्राधिकृत व्यापारी बैंक नॉस्ट्रो/वॉस्ट्रो खातों में निधियों को देखने/आने के बाद ही लाभार्थियों को निधियां जारी कर / दे सकते हैं ।

• एक बार रद्द की गयी संविदाएं फिर से बुक नहीं की जा सकती हैं ।

• तथापि, संविदाओं को अंतर्निहित एक्सपोज़र की शर्त के अधीन परिपक्वता पर या उससे पूर्व रोलओवर किया जा सकता है।

• संविदाएं रद्द किये जाने पर, लाभ ग्राहकों को इस शर्त के अधीन दिया जाए कि ग्राहक ने इस आशय का घोषणापत्र दिया है कि वह संविदा फिर से बुक नहीं कर रहा है अथवा संविदा अंतर्निहित एक्सपोज़र के रद्द होने के कारण रद्द की गयी है ।

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