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बाह्य वाणिज्यिक उधार - अंतिम उपयोग और समग्र लागत सीमा - संशोधित

आरबीआइ/2006-07/409
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.60

मई 21, 2007

सेवा में
सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार - अंतिम उपयोग और समग्र लागत सीमा - संशोधित

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्यिक उधार के संबंध में अगस्त 1, 2005 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.5 की ओर आकर्षित किया जाता है। चालू समष्टि आर्थिक परिस्थिति और बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति को लागू करने में रिज़र्व बैंक द्वारा अब तक प्राप्त अनुभव को ध्यान में रखकर बाह्य वाणिज्यिक उधार के मार्गदर्शी सिद्धांतों की समीक्षा की गई है।

2. समीक्षा के आधार पर बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति को निम्नानुसार आशोधित किया गया है

2(क) अंतिम उपयोग - वर्तमान बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अनुसार बाह्य वाणिज्यिक उधार प्राप्तियों के भूमि भवन में उपयोग की अनुमति नहीं है। "भूमि भवन" शब्द में जनवरी 4, 2002 के प्रेस नोट सं.3 (2002 सिरीज़) द्वारा यथापरिभाषित "एकीकृत नगर क्षेत्र के विकास" शामिल नहीं है। अब यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्यिक उधार के अनुमत अंतिम उपयोग के रूप में "एकीकृत नगर क्षेत्र के विकास" को दी गई छूट को हटा लिया जाए। तदनुसार, बगैर किसी छूट के बाह्य वाणिज्यिक उधार प्राप्तियों के भूमि भवन में उपयोग की अनुमति नहीं दी गई है।

2(ख) समग्र लागत सीमा - भारत के सॉवरिन क्रेडिट रेटिंग को बढ़ाकर निवेश ग्रेड में किए जाने से बाह्य वाणिज्यिक उधार की समग्र लागत सीमा को निम्नानुसार आशोधित किया गया है :

औसत परिपक्वता अवधि

6 महीने के एलआइबीओआर पर समग्र लागत सीमा*

 

वर्तमान

आशोधित

तीन वर्ष और पांच वर्ष तक

200 आधार बिन्दु

150 आधार बिन्दु

5 वर्ष से अधिक

350 आधार बिन्दु

250 आधार बिन्दु


* उधारी अथवा लागू बेंचमार्क के संबद्ध मुद्रा के लिए

3. उपर्युक्त परिवर्तन तत्काल प्रभाव से समीक्षा के अधीन स्वत: अनुमोदित मार्ग और अनुमोदन मार्ग दोनों के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार पर लागू होंगे।

4. मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी डविदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा उधार देना) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक तथा प्राधिकृत बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक

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