बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) – विस्तार एवं परिवर्तन - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) – विस्तार एवं परिवर्तन
भा.रि.बैंक/2016-17/92 20 अक्तूबर 2016 सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) – विस्तार एवं परिवर्तन सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्रा.व्या.श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान दिनांक 30 नवम्बर 2015 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.32 के अनुलग्नक के पैराग्राफ सी.14, एफ़.18 एवं एफ़.19 तथा ‘बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों तथा प्राधिकृत व्यापारियों से इतर व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेने एवं उधार देने’ से संबंधित समय-समय पर यथासंशोधित 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.05 के पैराग्राफ 2.10 एवं 2.16 की ओर आकृष्ट किया जाता है। ईसीबी के संबंध में अब तक के प्राप्त अनुभव के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि परिपक्व हुई किन्तु भुगतान न की गई ईसीबी संबंधी प्रक्रिया को सुगम बनाया जाए। 2. वर्तमान ईसीबी दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक ईसीबी अवधि के दौरान, अर्थात ईसीबी की परिपक्वता तिथि से पहले, उधारकर्ताओं से प्राप्त पुनर्भुगतान शैड्यूल में परिवर्तन करने संबंधी अनुरोध को अनुमति दे सकते हैं, बशर्ते कि साधारण परिपक्वता और सभी देयताओं की समग्र राशि (all-in-cost) यथा लागू सीमाओं/ मानकों के अनुरूप हो। ईसीबी संबंधी प्रक्रिया को अधिक सुलभ बनाने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों को परिपक्व हुई किन्तु भुगतान न की गई ईसीबी की अवधि को विस्तार (एक्सटैन्शन) प्रदान करने संबंधी उधारकर्ताओं के अनुरोध पर अनुमोदन प्रदान करने हेतु शक्तियों का प्रत्यायोजन किया जाए, जो निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगा: i) इसमें किसी अतिरिक्त राशि का व्यय शामिल न हो; 3. इसके अलावा, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों को परिपक्व हुई किन्तु भुगतान न की गई ईसीबी को पैराग्राफ-2 में दी गई शर्तों के अधीन इक्विटि में परिवर्तित करने संबंधी मामलों को अनुमोदन प्रदान करने हेतु शक्तियों का प्रत्यायोजन किया जाएगा, बशर्ते कि ऐसे परिवर्तन संबंधी मामलों में ऊपर उल्लिखित 30 नवम्बर 2015 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 32 के अनुलग्नक के पैराग्राफ सी.14 की शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। 4. कृपया इस संबंध में यह ध्यान दिया जाए कि संबंधित ईसीबी उधारकर्ता ने यदि समुद्रपारीय बैंक शाखाओं / बैंकों की अनुषंगी कंपनियों सहित भारतीय बैंकिंग प्रणाली से किसी प्रकार की ऋण सुविधा प्राप्त की हो, तो ऐसे मामलों में ईसीबी को विस्तार अवधि देना / भुगतान न की गई ईसीबी (भले ही वह परिपक्व हुई हो अथवा नहीं) को इक्विटि में परिवर्तित करने संबंधी मामले भारतीय रिज़र्व बैंक के बैंकिंग विनियमन विभाग द्वारा जारी विवेकपूर्ण (prudential) मानदंडों सहित पुनर्रचना पर जारी दिशा-निर्देशों के अधीन होंगे। इसके अतिरिक्त, ईसीबी के इक्विटि में परिवर्तन संबंधी मामले उस उधरकर्ता के अन्य उधारदाताओं, यदि कोई हो, की सहमति के अधीन होंगे अथवा कम से कम ऐसे परिवर्तन संबंधी सूचना उस उधरकर्ता के अन्य उधारदाताओं को भी दी जाएगी। 5. ईसीबी नीति संबंधी अन्य सभी पहलू अपरिवर्तित बने रहेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों एवं घटकों को अवगत कराएं। 6. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए 01 जनवरी 2016 को जारी मास्टर निदेश सं.05/2015-16 को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीय (शेखर भटनागर) |