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कम लागत वाली सस्ती आवास परियोजनाओं के लिए वाह्य वाणिज्यिक उधार

भारिबैंक/2012-13/339
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 61

17 दिसंबर 2012

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय,

कम लागत वाली सस्ती आवास परियोजनाओं के लिए वाह्य वाणिज्यिक उधार

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान वाह्य वाणिज्यिक उधार नीति से संबंधित 1 अगस्त 2005 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. वाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित नीति की समीक्षा करने और वर्ष 2012-13 के लिए संघीय (यूनियन) बजट में की गई घोषणा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि कम लागत वाली सस्ती आवास परियोजनाओं के लिए अनुमोदन मार्ग के तहत वाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी जाए जिसे अनुमत अंतिम उपयोग के रूप में माना जाएगा। डेवलपर/बिल्डर कम लागत वाली सस्ती आवास परियोजनाओं हेतु वाह्य वाणिज्यिक उधार की सुविधा ले सकते हैं। कम लागत वाली सस्ती आवास यूनिटों के भावी (संभावित) स्वामियों को वित्तपोषित करने के लिये आवास वित्त कंपनियां/राष्ट्रीय आवास बैंक भी वाह्य वाणिज्यिक उधार ले सकते हैं।

3. कम लागत वाली सस्ती आवास योजनाओं के लिए वाह्य वाणिज्यिक उधार लेने से संबंधित विस्तृत दिशानिर्देश नीचे दिए जा रहे हैं:-

(I) पात्र परियोजना की परिभाषा

वाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के प्रयोजनार्थ कम लागत वाली किसी सस्ती आवास परियोजना वह परियोजना होगी जिसमें अनुमत एफएसआई का कम से कम 60 प्रतिशत उन यूनिटों के लिए हो जिनकी कारपेट एरिया 60 वर्ग मीटर तक (से अधिक न) हो।

मलिन बस्ती (स्लम) पुनर्वास परियोजनाएं भी कम लागत वाली सस्ती आवास योजनाओं के अंतर्गत इसके लिए पात्र होंगी। वाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए मलिन बस्ती (स्लम) पुनर्वास परियोजनाओं की पात्रता सचिव, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन (HUPA) की अध्यक्षता में सहभागिता योजना के तहत सस्ते आवास (AHP) मुहैया कराने के संबंध में गठित केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति, जो मलिन बस्ती (स्लम) पुनर्वास परियोजनाओं को लागू करती है, द्वारा विनिर्दिष्ट किए गए मानदण्डों पर आधारित होगी।

(II) पात्र उधारकर्ता :-

(ए) डेवलपर/बिल्डर :-

निम्नलिखित मानदण्डों पर आधारित प्रामाणिक (सिद्ध) वित्तीय ट्रैक रेकॉर्ड वाले डेवलपर/बिल्डर  कम लागत वाली सस्ती आवास परियोजनाओं के लिए वाह्य वाणिज्यिक उधार लेने हेतु पात्र होंगे :

  1. कम लागत वाली सस्ती आवास परियोजना को हाथ में लेने वाले डेवलपर/बिल्डर कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत एक पंजीकृत कंपनी हों;

  2. ऐसे डेवलपर/बिल्डर को आवासीय परियोजनाओं को हाथ में लेने का न्यूनतम 5 वर्षों का अनुभव हो और निर्माण गुणवत्ता तथा सुपुर्दगी देने के मामले में अच्छा ट्रैक रेकार्ड हो;

  3. डेवलपर/बिल्डर किसी बैंक/वित्तीय संस्था अथवा किसी अन्य एजेंसी के प्रति किसी वित्तीय प्रतिबद्धता के बाबत चूककर्ता न रहा हो;

  4. परियोजना विवादित (litigation) न हो;

  5. परियोजना संबंधित क्षेत्र के मास्टर प्लान/विकास योजना (डेवलपमेंट प्लान) के उपबंधों के अनुरूप होनी चाहिए। परियोजना का ले आउट आवास परियोजनाओं के लिए टाउन और कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा भूमि के उपयोग संबंधी विनिर्देशन के अनुरूप होना चाहिए; तथा

  6. भूमि के उपयोग के संबंध में राजस्व विभाग/पर्यावरण विभाग की अनुमति, आदि सहित विभिन्न निकायों (संस्थाओं) से सभी आवश्यक स्वीकृतियां रेकार्ड में उपलब्ध होनी चाहिए।

(बी) आवास वित्त कंपनियां

निम्नलिखित शर्ते पूरी करने वाली आवास वित्त कंपनियां कम लागत वाली सस्ती आवास यूनिटों के भावी (संभावित) स्वामियों को वित्तपोषित करने के लिये वाह्य वाणिज्यिक उधार लेने हेतु पात्र होंगी :-

  1. आवास वित्त कंपनी राष्ट्रीय आवास बैंक के पास पंजीकृत होनी चाहिए और राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा जारी विनियामक निर्देशों के अनुसार परिचालित होनी चाहिए;

  2. नवीनतम लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार न्यूनतम प्रदत्त पूंजी 50 करोड़ (भारतीय) रुपए से कम नहीं होनी चाहिए;

  3. विगत तीन वित्तीय वर्षों में न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधियां (NOF) 300 करोड़ (भारतीय)  रुपए से कम नहीं होनी चाहिए;

  4. वाह्य वाणिज्यिक उधार के मार्फत ली गई उधार राशि आवास वित्त कंपनी की निवल स्वाधिकृत निधियों के 16 गुने की समग्र उधार सीमा के भीतर होनी चाहिए;

  5. निवल अनर्जक परिसंपत्तियां निवल अग्रिमों के 2.5% से अधिक नहीं होनी चाहिए;

  6. किसी एक क्रेता व्यक्ति को अधिकतम ऋण 25 लाख (भारतीय) रुपए की उच्चतम सीमा के भीतर स्वीकृत किया जा सकता है बशर्ते एक आवास यूनिट की लागत 30 लाख (भारतीय) रुपए से अधिक नहीं होगी; और

  7. पूर्ण हेज आधार पर, संपूर्ण परिपक्वता के लिए वाह्य वाणिज्यिक उधार राशि रुपए में स्वाप की जाएगी।

उपर्युक्त पैरा में निर्धारित मानदण्ड पूरे करने वाली आवास वित्त कंपनियों के अलावा, एकल उधारकर्ताओं की कम लागत वाली सस्ती आवास यूनिटों की लागत के वित्त पोषण के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक वाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए पात्र होगा। इसके अतिरिक्त, कम लागत वाली सस्ती आवास परियोजना के डेवलपर/बिल्डर द्वारा उपर्युक्त परिकल्पना के अनुसार सीधे वाह्य वाणिज्यिक उधार जुटाने में विफल होने पर, उक्त विषय पर ऊपर दिए पैरा 3(II)(ए) में विनिर्दिष्ट मानदण्ड पूरे करने वाले ऐसे डेवलपर को उधार देने के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक को वाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी जाएगी बशर्ते इस मामले में रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित ब्याज दर विन्यास (Interest Rate Spread) का पालन किया जाए।

(III) अंतिम उपयोग

वाह्य वाणिज्यिक उधार की आगम राशि का उपयोग केवल कम लागत वाली सस्ती आवास परियोजनाओं के लिए किया जाएगा और उसका उपयोग भूमि के अधिग्रहण के लिए नहीं किया जाएगा

(IV) कम लागत वाले सस्ते आवास के लिए परियोजना की पात्रता निर्धारित करने के लिए नोडल एजेंसी

पात्रता मानदण्ड पूरा करने वाला बिल्डर/डेवलपर विनिर्दिष्ट फार्मेट में राष्ट्रीय आवास बैंक को आवदेन करेगा। कम लागत वाले सस्ते आवास की परियोजना होने की पात्रता निश्चित करने के लिए नोडल एजेंसी का कार्य राष्ट्रीय आवास बैंक करेगा, और संतुष्ट होने पर, आवेदनपत्र अनुमोदन मार्ग के तहत विचार करने के लिए रिज़र्व बैंक को अग्रसारित करेगा। आवेदनपत्र रिज़र्व बैंक के विचारार्थ अग्रसारित करने का एक बार निर्णय ले लेने पर राष्ट्रीय आवास बैंक भावी(संभावित) उधारकर्ता (बिल्डर/डेवलपर) को सूचित करेगा कि वह विनिर्दिष्ट फार्म में अपने प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से वाह्य वाणिज्यिक उधार लेने हेतु मंजूरी के लिए रिज़र्व बैंक से संपर्क करे। आवेदनपत्र का फार्मेट, परियोजना की निगरानी (मानीटरिंग), आदि से संबंधित दिशानिर्देश राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा अलग से जारी किए जा रहे हैं।

4. डेवलपरों/बिल्डरों/आवास वित्त कंपनियों/राष्ट्रीय आवास बैंक को इस योजना के अंतर्गत विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (FCCBs) जारी करके राशि प्राप्त करने की अनुमति नहीं होगी।

5. कम लागत वाली सस्ती आवास योजनाओं के लिए वाह्य वाणिज्यिक उधार लेने हेतु वित्तीय वर्ष 2012-13 के लिए 1 (एक) बिलियन अमरीकी डालर की समग्र सीमा निश्चित की गई है जिसमें डेवलपरों/बिल्डरों और राष्ट्रीय आवास बैंक/विनिर्दिष्ट आवास वित्त कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले वाह्य वाणिज्यिक उधार शामिल हैं। यह सीमा वार्षिक पुनरीक्षा के अधीन होगी।

6. वाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी सभी अन्य मानदण्ड यथा मान्यता प्राप्त उधारदाता, न्यूनतम परिपक्वता अवधि, समग्र लागत की उच्चतम सीमा, गारंटियां जारी करने पर प्रतिबंध, प्रतिभूति का विकल्प, वाह्य वाणिज्यिक उधार की आगम राशि की पार्किंग, समयपूर्व भुगतान, वाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण, रिपोर्टिंग अपेक्षाएं अपरिवर्तित बने रहेंगे और उनका अनुपालन किया जाएगा।

7. संशोधित नीति तत्काल प्रभाव से लागू होगी और इस योजना को लागू करने से प्राप्त अनुभव के आधार पर एक वर्ष की समाप्ति पर इसकी समीक्षा की जाएगी।

8. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब विनियमावली को संशोधित कर दिया है और उसे 27 नवंबर 2012 की अधिसूचना सं. फेमा. 242/201 के द्वारा अधिसूचित किया गया है।

9. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषय वस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें।

10. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं ।

भवदीया,

(रश्मि फौज़दार)
 मुख्य महाप्रबंधक

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