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बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – बाह्य वाणिज्यिक उधारों की प्राप्तियों को पार्क करना

भारिबैंक/2011-12/274
ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 52

23 नवंबर 2011

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी- I बैंक

महोदया/ महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – बाह्य वाणिज्यिक उधारों की प्राप्तियों को पार्क करना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (एडी श्रेणी I) बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) से संबंधित 22 अक्तूबर 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 26 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. वर्तमान में, उधारकर्ताओं को बाह्य वाणिज्यिक उधारों की प्राप्तियों को विदेश में रखने अथवा इन निधियों को अनुमत अंतिम उपयोग के लिए प्रयोग करने तक भारत को प्रेषित करने की अनुमति दी गयी है । विदेशों में रखी गयी बाह्य वाणिज्यिक उधारों की प्राप्तियों को नकदी परिसंपत्तियों, जैसे जमा अथवा जमा प्रमाणपत्र अथवा बैंकों द्वारा ऑफर किये गये अन्य उत्पादों, (स्टैंडर्ड एंड पुअर/फिच आइबीसीए द्वारा एए(-) अथवा मूडीज द्वारा एए3 से कम न रेटिंग वाले) खजाना बिलों तथा उल्लिखित से कम न रेटिंग वाले एक वर्ष की परिपक्वता के अन्य मौद्रिक लिखतों में तथा भारतीय बैंकों की समुद्रापारीय शाखाओं / विदेशी सहायक कंपनियों में जमा के रूप में निवेश किया जा सकता है । अंतर्निहित तथ्य/सिध्दांत यह है कि निधियों को इस प्रकार निवेशित किया जाना चाहिए कि उधारकर्ता की आवश्यकता होने पर निवेशों का नकदीकरण किया जा सके । बाह्य वाणिज्यिक उधारों की प्राप्तियां अनुमत अंतिम उपयोगों के लिए प्रयोग करने तक भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों के पास उधारकर्ता के रुपया खाते में जमा करने के लिए भारत को प्रत्यावर्तित भी की जा सकती हैं ।

3. वर्तमान समग्र आर्थिक परिस्थितियों की समीक्षा के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि आगे से भारत में रुपया व्यय जैसे, पूंजीगत माल को स्थानीय स्तर पर जुटाने, स्वयं सहायता समूहों अथवा माइक्रो क्रेडिट के लिए ऋण देने, स्पैक्ट्रम आबंटन के भुगतान करने, आदि के लिए विदेश में उठायी/ली गयी बाह्य वाणिज्यिक उधारों की प्राप्तियां भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों के पास रखे रुपया खाते में जमा करने के लिए तत्काल लायी जाएं । दूसरे शब्दों में, केवल विदेशी मुद्रा व्यय के लिए रखी गयी बाह्य वाणिज्यिक उधारों की प्राप्तियां उपयोग करने तक विदेश में रोक रखी जा सकती हैं । तथापि, इन रुपया निधियों का अब तक की तरह पूँजी बाजारों, स्थावर संपदा में निवेश करने अथवा इंटर-कार्पोरेट उधार के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी ।

4. संशोधित बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति तत्काल प्रभाव से लागू होगी और तदुपरांत समीक्षा के अधीन है । बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति के सभी अन्य पहलू यथावत् रहेंगे ।

5.प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक इस परिपत्र की विषय वस्तु से संबंधित अपने घटकों/ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं ।

भवदीया,

(रश्मि फौजदार)
मुख्य महाप्रबंधक

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