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बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति में उदारीकरण

आरबीआइ/2008-09/245
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.26

22 अक्तूबर 2008

सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक

महोदय/महोदय

बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति में उदारीकरण

सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) श्रेणी-I बैंकों का ध्यान , बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति से संबंधित 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.5, 21 मई 2007 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.60 , 7 अगस्त 2007 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.4 , 29 मई 2008 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.43 , 22 सितंबर 2008 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.16 और 8 अक्तूबर 2008 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.20 की ओर आकर्षित किया जाता है ।

2. समीक्षा के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के कुछ पहलुओं को निम्नवत् संशोधित किया जाए:-

3. अब से आगे, प्रति वित्तीय वर्ष प्रति उधारकर्ता कंपनी को अनुमोदन मार्ग के तहत अंतिम उपयोग के लिए स्वीकार्य रुपये में व्यय हेतु / अथवा विदेशी मुद्रा व्यय हेतु 500 मिलियन अमरीकी डॉलर तक बाह्य वाणिज्यिक उधार की अनुमति दी जाएगी। तदनुसार , संरचनात्मक क्षेत्र में उधारकर्ताओं द्वारा रुपये में पूंजीगत व्यय के लिए 100 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक के बाह्य वाणिज्यिक उधार हेतु न्यूनतम सात वर्ष की परिपक्वता अवधि की अपेक्षा समाप्त कर दी गयी है ।
                       
4. देश में दूरसंचार क्षेत्र को और अधिक विकसित करने के उद्देश्य से 3-जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस / परमिट प्राप्त करने के लिए किये जाने वाले भुगतान को बाह्य वाणिज्यिक उधार के प्रयोजन हेतु स्वीकार्य अंतिम -उपयोग माना जायेगा ।

5. मौजूदा समय में, बाह्य वाणिज्यिक उधारों की प्राप्तियों को जब तक कि भारत में उनकी आवश्यकता नहीं है , समुद्रपार रखा जायेगा और इन प्राप्तियों को निम्नलिखित नकदी परिसंपत्तियों में निवेश किया जा सकता है :

(क) निक्षेप अथवा स्टैंडर्ड एंड पुअर / फिच आईबीसीए अथवा अक 3 द्वारा निर्धारित कम से कम अअ(-) दर वाले बैंकों द्वारा जारी जमा प्रमाणपत्र

(ख) ऐतथा निधियों को नहीं भेजेंगे। स्वीकार्य अंतिम उपयोग के लिए भारतीय रुपये में व्यय हेतु 20 मिलियन अमरीकी डालर तक के के प्रस्ताव देते समय अनुमोदन मार्ग के तहत भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्व अनुमति प्राप्त करना अपेक्षित है । यह निर्णय लिया गया है कि , इसके बाद से उपयोग हेतु विदेशी मुद्रा व्यय के रूप में उपयोग के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार उपर्युक्त आशोधन प्रति वित्तीय वर्ष स्वत: अनुमोदित मार्ग और अनुमोदन मार्ग दोनों के तहत 20 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक बाह्य वाणिज्यिक उधार पर लागू होगा।

(ii) स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत अंतिम उपयोग हेतु, विदेशी मुद्रा व्यय के लिए प्रति वित्तीय वर्ष प्रति उधारकर्ता कंपनी 20 मिलियन अमरीकी डालर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधार की अनुमति दी जाएगी। अनुमत अंतिम उपयोग हेतु रुपया व्यय के लिए 20 मिलियन अमरीकी डालर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधार का प्रस्ताव करनेवाले उधारकर्ताओं को अनुमोदन मार्ग के तहत रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होगी।

कंपनियों को चलनिधि और ब्याज लागत के सक्रिय रूप से संचालन को और अधिक लोच बाह्य वाणिज्यिक उधार का समयपूर्व भुगतान की 400 मिलियन अमरीकी डॉलर की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर 500 मिलियन अमरीकी डॉलर कर दिया गया है। तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक ऋण पर यथालागू न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि के अनुपालन की शर्त पर, रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बगैर, 500 मिलियन अमरीकी डॉलर तक बाह्य वाणिज्यिक उधार के समयपूर्व भुगतान की अनुमति दे सकते हैं।

(iii) पात्र उधारकर्ता,स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष प्रति ऊधार कर्ता कंपनी 500 मिलियन अमरीकी डालर की सीमा, मान्यताप्राप्त उधारदाता, औसत परिपक्वता अवधि, समग्र लागत सीमा, पूर्व भुगतान, वर्तमान बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था जैसे बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अन्य पहलू अपरिवर्तित रहेंगे।

(iv) ये शर्तें उन उधारकर्ताओं पर लागू नहीं होंगी जो ऋण करार कर चुके हैं और रिज़र्व बैंक से ऋण पंजीयन संख्या प्राप्त कर चुके हैं। जहां पूर्व छूट के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए उधारकर्ता ने ऋण करार किया है और उधारकर्ता ने प्रमाणनीय और प्रभावी कार्रवाई की है और ऋण पंजीयन संख्या प्राप्त नहीं की है, वेअपने प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन करें।

3. उपर्युक्त परिवर्तन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपए में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं ।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं ।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुदा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 की 42) धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानुन के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोन यदि कोई हो , पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है ।

2 (क)

(i ) संरचनात्मक क्षेत्र में उधारकर्ता अनुमोदन मार्ग के तहत अंतिम उपयोग के लिए स्वीकार्य भारतीय रुपये में व्यय हेतु 100 मिलियन अमरीकी डालर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधार ले सकते हैं।

(ii ) अन्य उधारकर्ताओं के मामले में अनुमोदन मार्ग के तहत , स्वीकार्य अंतिम उपयोग के लिए भारतीय रुपये में व्यय हेतु बाह्य वाणिज्यिक उधारों की 20 मिलियन अमरीकी डालर की सीमा को बढ़ाकर 50 मिलियन अमरीकी डालर कर दिया गया है ।

(ख)समग्र-लागत से संबंधित सीमायें निम्नवत् संशोधित कर दी गई हैं।

औसतन परिपक्वता अवधि

6 माह से ऊपर के लिए लंदन-अंतर-बैंक प्रस्तावित दर *

वर्तमान

पुनरीक्षित

तीन वर्ष से अधिक और 5 वर्ष तक

150 आधार अंक

200 आधार अंक

5 वर्ष से अधिक

250 आधार अंक

350 आधार अंक

* अपनी-अपनी संबंधित करेंसी ऑफ क्रेडिट अथवा लागू बेंचमार्क के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के उपर्युक्त परिवर्तन स्वत: अनुमोदित और अनुमोदित मार्ग दोनों के लिए लागू होंगे ।

3.बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के दिशा-निर्देशों के संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे । बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अन्य पहलू जैसे कि अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत प्रति कंपनी के लिए 500 मिलियन अमरीकी डालर की वार्षिक सीमा , पात्र उधारकर्ता , मान्यता प्राप्त उधारदाता, पूँजीगत माल तथा विदेशी निवेशों के लिए विदेशी मुद्रा व्यय का अंतिम उपयोग औसतन परिपक्वता अवधि, पूर्व चुकौती , वर्तमान बाह्य वाणिज्यिक उधार तथा सूचना देने की व्यवस्था आदि अपरिवर्तित रहेंगे।

4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (उधार लेना अथवा विदेशी मुद्रा में उधार देना) विनियमावली , 3 मई 2000 में किये गये आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं।

5. श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंक , कृपया इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने सभी संघटकों तथा ग्राहकों को अवगत करा दें।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए ं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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