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बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति की समीक्षा

आर बी आइ/2007-08/112
ए.पी. (डी आइ आर सिरीज़)परिपत्र सं.4

अगस्त 7, 2007

सेवा में

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक

महोदय / महोदया

बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति की समीक्षा

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित अगस्त 1, 2005 के

ए.पी.(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.5 और मई 21, 2007 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.60 की ओर आकर्षित किया जाता है। वर्तमान समष्टि आर्थिक परिस्थितियों और रिज़र्व बैंक द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति को लागू करने में अब तक प्राप्त अनुभवों के मद्देनज़र बाह्य

वाणिज्यिक उधार के मार्गदर्शी सिद्धांतें की समीक्षा की गई है।

2. समीक्षा के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि अगली समीक्षा होने तक बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति को निम्नानुसार आशोधित किया जाए:-

(i) अब से आगे, प्रति वित्तीय वर्ष प्रति उधारकर्ता कंपनी को 20 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक बाह्य वाणिज्यिक उधार की अनुमति अनुमत अंतिम उपयोग के लिए केवल विदेशी मुद्रा व्यय हेतु दी जाएगी। तदनुसार, 20 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक बाह्य वाणिज्यिक उधार उगाहने वाले उधारकर्ता,अनुमत अंतिम उपयोग हेतु विदेशी मुद्रा व्यय के रूप में उपयोग के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार प्राप्तियों को समुद्रपार रखेंगे तथा निधियों को भारत नहीं भेजेंगे। उपर्युक्त आशोधन प्रति वित्तीय वर्ष स्वत: अनुमोदित मार्ग और अनुमोदन मार्ग दोनों के तहत 20 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक बाह्य वाणिज्यिक उधार पर लागू होगा।

(ii) स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत अंतिम उपयोग हेतु, विदेशी मुद्रा व्यय के लिए प्रति वित्तीय वर्ष प्रति उधारकर्ता कंपनी 20 मिलियन अमरीकी डालर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधार की अनुमति दी जाएगी। अनुमत अंतिम उपयोग हेतु रुपया व्यय के लिए 20 मिलियन अमरीकी डालर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधार का प्रस्ताव करनेवाले उधारकर्ताओं को अनुमोदन मार्ग के तहत रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होगी।

(iii) पात्र उधारकर्ता,स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष प्रति ऊधार कर्ता कंपनी 500 मिलियन अमरीकी डालर की सीमा, मान्यताप्राप्त उधारदाता, औसत परिपक्वता अवधि, समग्र लागत सीमा, पूर्व भुगतान, वर्तमान बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था जैसे बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अन्य पहलू अपरिवर्तित रहेंगे।

(iv) ये शर्तें उन उधारकर्ताओं पर लागू नहीं होंगी जो ऋण करार कर चुके हैं और रिज़र्व बैंक से ऋण पंजीयन संख्या प्राप्त कर चुके हैं। जहां पूर्व छूट के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए उधारकर्ता ने ऋण करार किया है और उधारकर्ता ने प्रमाणनीय और प्रभावी कार्रवाई की है और ऋण पंजीयन संख्या प्राप्त नहीं की है, वेअपने प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन करें।

3. उपर्युक्त परिवर्तन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपए में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं ।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं ।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुदा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 की 42) धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानुन के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोन यदि कोई हो , पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है ।

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महा प्रबंधक

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