बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति- संरचना क्षेत्र के लिए सुनियोजित दायित्व - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति- संरचना क्षेत्र के लिए सुनियोजित दायित्व
भारिबैंक/2011-12/203 26 सितंबर 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति- प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। (प्रा.व्या.श्रेणी ।) बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)- नीतिगत सुनियोजित दायित्व से संबंधित 2 मार्च 2010 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.40 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, खासकर संरचना क्षेत्र के विकास में कार्यरत भारतीय कंपनियों और अनुमत मार्ग के तहत, रिज़र्व बैंक द्वारा वर्गीकृत इंफ्रास्ट्रक्चर वित्तीय कंपनियों (आइएफसीएस) द्वारा डिबेंचरों तथा बांडों जैसे पूँजी बाजार-लिखतों के निर्गम के जरिये लिए/उठाये गये घरेलू ऋण के लिए बहुद्देशीय/क्षेत्रीय वित्तीय संस्थाओं तथा सरकारी स्वामित्व वाली विकास वित्तीय संस्थाओं द्वारा ऋणों में वृद्धि किये जाने की अनुमति है । 3. पुनरीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि खासकर संरचना, जहां 'संरचना' बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) संबंधी मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत परिभाषित है, क्षेत्र के विकास में संलग्न/कार्यरत भारतीय कंपनियों और रिज़र्व बैंक द्वारा वर्गीकृत इंफ्रास्ट्रक्चर वित्तीय कंपनियों (आइएफसीएस) को मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) संबंधी दिशानिर्देशों के अनुसार (प्रदत्त पूंजी के 25 प्रतिशत की न्यूनतम धारिता वाले) प्रत्यक्ष विदेशी ईक्विटी धारक(धारकों) तथा प्रदत्त पूंजी की न्यूनतम 51% धारिता वाले अप्रत्यक्ष विदेशी ईक्विटी धारक/धारकों द्वारा ऋण में बढ़ोत्तरी की सुविधा देने की अनुमति के लिए सुनियोजित दायित्व से संबंधित नीति को और उदारीकृत किया जाए । 4. अब से सभी पात्र अनिवासी संस्थाओं द्वारा ऋणों में वृद्धि के लिए स्वचालित मार्ग के तहत अनुमति दी जाएगी तथा रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी । 2 मार्च 2010 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.40 के पैरा 4(ii) से (viii) में उल्लिखित सभी अन्य शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी । 5. संशोधित नीति तत्काल प्रभाव से लागू होगी तथा पुनरीक्षा के अधीन है। 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 7. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीया, (रश्मि फौजदार) |