प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -।(ए.डी. श्रेणी - ।) बैंकों का ध्यान 24 मार्च 2002 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 24 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों को पट्टे के आधार पर परिचालन करने पर एयरक्राफ्ट इंजिन/हेलिकॉप्टर के आयात के संबंध में उसमें दी गयी शर्तों पर पट्टे किराये का भुगतान,प्रतिभूति जमा के लिए साख पत्र खोलना,आदि की मंजूरी देने की अनुमति दी गयी है । साथ ही, 11 जुलाई 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.11 के अनुसार, वर्तमान प्रक्रिया युक्तिसंगत बनाने के उपाय के रुप में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -।(ए.डी. श्रेणी-।) बैंकों को अनुमति दी गयी है कि वे उधारकर्ता द्वारा उठाये जानेवाले बाह्य वाणिज्य उधार को सुरक्षित करने के लिए अचल परिसंपत्तियों, वित्तीय प्रतिभूतियों पर ऋण-भार सृजित करने और समुद्रपारीय उधारदाता/प्रतिभूति ट्रस्टी के पक्ष में कार्पोरेट अथवा व्यक्तिगत गारंटियां देने के लिए निर्धारित शर्तों के अंतर्गत विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 के तहत ’ अनापत्ति’ सूचित करें। 2. प्रक्रिया को और अधिक युक्तिसंगत बनाने के उपाय के रुप में यह निर्णय लिया गया है कि ए.डी. श्रेणी -। बैंकों को हवाई जहाज/ हवाई जहाज इंजिन/हेलिकॉप्टर की आयात के संबंध में पट्टा परिचालन के लिए समुद्रपारीय पट्टाकर्ता के पक्ष में कार्पोरेट गारंटी जारी करने हेतु विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 के नजरिये से ’अनापत्ति’ सूचित कराने की अनुमति दी जाए । 3. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 के अंतर्गत कार्पोरेट गारंटी जारी करने के लिए भारतीय आयातक को ’अनापत्ति’ निम्नलिखित जानकारी प्राप्त होने के बाद सूचित की सूचना दी जाए :- (i) इस प्रकार की गारंटी जारीकर्ता कंपनी से कार्पोरेट गारंटी जारी करने के लिए कंपनी की ओर से इस प्रकार की गारंटी निष्पादित करने के लिए प्राधिकृत किये गये अधिकारियों के नाम विनिर्दिष्ट करते हुए बोर्ड का प्रस्ताव । (ii) यह सुनिश्चित करना कि इस प्रकार की कार्पोरेट गारंटी की अवधि पट्टे की अवधि के समान हो । 4.प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक अनिवार्यत: विनिर्दिष्ट करें कि ’अनापत्ति’ विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 के प्रावधानों के तहत केवल विदेशी मुद्रा के नजरिये से ही जारी की जाती है और इसका अर्थ किसी अन्य सांविधिक प्राधिकारी अथवा सरकार अथवा किसी अन्य नियमों/विनियमों द्वारा दिये गये अनुमोदन के रुप में नही लिया जाना चाहिए । यदि किसी अन्य विनियामक/सांविधिक प्राधिकारी अथवा सरकार अथवा किसी संबंधित नियमों/विनियमों से और अनुमोदन अथवा अनुमति आवश्यक है तो आवेदक को लेनदेन करने से पहले संबंधित प्राधिकारी का अनुमोदन लेना चाहिए ।साथ ही, ’ सूचित करें।’ का अर्थ विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के प्रावधानों अथवा किसी अन्य नियमों अथवा विनियमों के तहत किसी अनियमितताएं,उल्लंघन अथवा अन्य चूकों, यदि कोई हो तो उसे विनियमित करने अथवा वैध करने के रुप में नहीं लिया जाना चाहिए । 5. यह तत्काल प्रभाव से लागू होगा और समय समय पर समीक्षा के अधीन होगा । 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों को और संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें । 7. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 8/2000-आरबी [विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं । 8. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 (1999का42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है । |