अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों और विदेशी राष्ट्रिकों को सुविधाएं - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों और विदेशी राष्ट्रिकों को सुविधाएं - उदारीकरण
आरबीआइ/2006-07/180 नवंबर 16, 2006 सेवा में महोदया/महोदय, अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों और प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 13/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का विप्रेषण) विनियमावली, 2000 के विनियम सं. 4 और जनवरी 13, 2003 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.67 की ओर आकर्षित किया जाता है। 2. वर्तमान विनियम, किसी वास्तविक प्रयोजन के लिए अनिवासी भारतीयों और भारतीय मूल के व्यक्तियों को उनके अनिवासी सामान्य खातों के शेष से एक कैलेंडर वर्ष में एक मिलियम अमरीकी डॉलर तक विप्रेषण करने की अनुमति देता है। अनिवासी खातों के शेष में भारत में अनिवासी द्वारा उनके अपने स्रोतों से अधिगृहीत अचल संपत्ति की बिक्री आय अथवा विरासत अथवा उपहार के तौर पर प्राप्त संपत्ति की बिक्री आय भी शामिल हो सकती है। वर्तमान में, अचल संपत्ति की बिक्री आय का प्रेषण 10 वर्ष की समय-बंदी (लॉक-इन पीरियड) के अधीन है। 3. प्रक्रिया को और उदार बनाने तथा ज़्यादा लचीलापन प्रदान करने की दृष्टि से अचल संपत्ति की बिक्री आय के प्रेषण के लिए 10 वर्ष की समय-बंदी को हटा दिया गया है। तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक अब अचल संपत्ति की बिक्री आय सहित अनिवासी खातों के शेष से प्रेषण की अनुमति दे सकते हैं बशर्ते राशि एक वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) में एक मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक न हो। अन्य शर्तें यथावत रहेंगी। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक, संलग्न प्रोफार्मा के अनुसार पाक्षिक आधार पर आवेदनकर्ताओं की संख्या और प्रेषण की गई कुल राशि का विवरण रिपोर्टिंग तिमाही के 10 दिन के अंदर प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी निवेश प्रभाग (अनिवासी विदेशी खाता प्रभाग), भारतीय रिज़र्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय, मुंबई 400001 को प्रस्तुत करें। 5. विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का विप्रेषण) विनियमावली, 2000 के आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं। 6. प्राधिकृत व्यापारी - श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत करा दें। 7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है। भवदीय (सलीम गंगाधरन) |