मास्टर परिपत्र- नोट विनिमय सुविधा - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र- नोट विनिमय सुविधा
मास्टर परिपत्र- नोट विनिमय सुविधा
G-2/08.07.18/2002-03
5 जुलाई 2002
अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक
सरकारी और निजी क्षेत्र के सभी बैंक,
महोदय,
मास्टर परिपत्र- नोट विनिमय सुविधा
आप जानते ही हैं कि जनता के नोट बदलने की सुविधा देने के बारे में निदेश देते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर कई परिपत्र जारी किए हैं। बैंकों को सभी अनुदेश एक साथ उपलब्ध कराने के प्रयोजन से यह निर्णय किया गया है कि इन अनुदेशों को समेकित कर दिया जाए। तदनुसार आपकी जानकारी और यथा-अपेक्षानुसार आवश्यक कार्रवाई करने के लिए उपर्युक्त विषय पर तैयार किया गया मास्टर परिपत्र संलग्न किया जा रहा है।
भवदीय,
(डा.एन.कृष्ण मोहन)
महाप्रबंधक
भारतीय रिज़र्व बैंक(नोट वापसी) नियमावली -
सम्पूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58(2) के साथ पठित धारा 28 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह भारत सरकार द्वारा जारी करेंसी नोटों, बैंक नोटों में से किसी गुम हो चुके, चोरी हो गये, या विकृत या अपूर्ण करेंसी नोट का मूल्य भारत सरकार अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक से वसूल कर सके। तथापि, वास्तविक मामलों में जनता को कठिनाई से बचाने के प्रयोजन से यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति लेते हुए रिज़र्व बैंक उन परिस्थितियों तथा उन शर्तों और परिसीमाओं का निर्धारण कर सकता है, जिनके अनुसार ऐसे करेंसी नोटों या बैंक नोटों का मूल्य एक अनुग्रह के रूप में दिया जा सकेगा।
जनता के लाभ और सहूलियत के लिए नोट विनिमय सुविधा प्रदान करने के प्रयोजन से रिज़र्व बैंक ने करेंसी चेस्ट वाली सभी शाखाओं को भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अन्तर्गत कटे-फटे/विरूपित/दोषपूर्ण नोटों को बदलने के अधिकार प्रदान किए हैं।
2. गैर-करेंसी चेस्ट वाली शाखाओं सहित सभी बैकों की शाखाओं द्वारा निम्नलिखित प्रकार के कटे हुए नोटों को सरलतापूर्वक बदला जाए ताकि नोट बदलने की सुविधा में तेजी लाई जा सके। इन नोटों को सरकार, के प्रति अपनी देनदारी चुकता करने के लिए या जनता के अपने खातों में जमा करने के लिए बैंक के काउंटरों पर प्रस्तुत किए जाने पर भी स्वीकार किया जाए।
गंदे नोट
I. एकल नंबर वाले नोट 1 रुपया, 2 रुपये और 5 रुपये
प्रस्तुत किए गए नोट के दो से अधिक टुकड़े न हों। सभी अनिवार्य लक्षण मौजूद हों तथा नोट-नंबर के सभी अंक अखण्डित रूप से या किसी भी एक टुकड़े पर विद्यमान हों।
II. दोहरे नम्बर वाले नोट - 10रु., 20रु., 50रु., 100रु., 500रु. और 1000रु.
प्रस्तुत किए गए नोट के दो से अधिक टुकड़े न हों। सभी अनिवार्य लक्षण मौजूद होने चाहिए। नोट के दोनों टुकड़े एक ही नोट के हों अर्थात प्रत्येक टुकड़े के अखंडित भाग पर सम्पूर्ण नम्बर एक समान होना चाहिए।
उक्त प्रकार के नोटों को गंदे नोटों के रूप में माना जाए और इनके पैकेट गंदे नोटों के साथ बनाए जाए। इस प्रकार के अनफिट नोटों को किसी भी हाल में पुन: निर्गम योग्य नोटों के रूप में जनता को जारी ना किया जाए बल्कि इन्हें करेंसी चेस्टों में जमा कर दिया जाए और फिर चेस्ट विप्रेषण के रूप में रिज़र्व बैंक के कार्यालयों को लौटा दिया जाए।
(संदर्भ मुप्रवि.सं.जी-24/06.01.01/96-97 दिनांक 3.12.1996)
ऐसे नोट जो बहुत ही खस्ताहाल हों या बुरी तरह से जल गए हों, टुकड़े टुकड़े हो गए हों अथवा आपस में बुरी तरह से चिपक गए हों, और सामान्य रखरखाव को सहन करने लायक ना रह गए हों, तो शाखाएँ ऐसे नोटों को बदलने के लिए स्वीकार ना करें। ऐसी स्थिति में धारक को सलाह दी जाए कि वह इन नोटों को रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालय में प्रस्तुत करें, जहाँ इन पर विशेष रीति से अधिनिर्णय किया जाएगा।
3. शाखा के प्रत्येक प्रभारी अधिकारी अर्थात् शाखा प्रबंधक और शाखाओं के नकदी विंग की खाता बहियों के प्रत्येक प्रभारी अधिकारी को शाखा में भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अनुसार नोट बदलने के लिए शाखाओं में प्राप्त नोटों पर अधिनिर्णय देने के लिए ‘निर्धारित अधिकारी’ के रूप में कार्य करना होगा। विकृत नोटों पर अधिनिर्णय करने के बाद निर्धारित अधिकारी से यह अपेक्षित है कि वे "भुगतान करें" / "भुगतान किया" / "अस्वीकृत" की दिनांक सहित लगी मुहर पर अपने आद्याक्षर करते हुए आदेश जारी करें। "भुगतान करें" और ‘अस्वीकृत’ की मुहरों पर बैंक और संबंधित शाखा का भी नाम होना चाहिए। ऐसे विकृत नोट जिन पर भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी भी निर्गम कार्यालय या सरकारी क्षेत्र के किसी भी बैंक की शाखा द्वारा "भुगतान करें"/ "भुगतान किया"/ या "अस्वीकृत" की मुहर लगा दी गई हो तो इन नोटों को किसी भी निर्धारित बैंक शाखा पर भुगतान के लिए प्रस्तुत किए जाने पर, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) विनियमावली के नियम 5(1) के अंतर्गत इनका भुगतान अस्वीकृत किया जाए और प्रस्तुतकर्ता को सूचित किया जाए कि ऐसे विकृत नोट(टों) का मूल्य नहीं दिया जा सकता क्योंकि इनका मूल्य पहले ही दिया जा चुका है, और इस भुगतान के प्रमाणस्वरूप इन/इस पर "भुगतान करें"/ "भुगतान किया" की मुहरें लगी हुई हैं। सभी निर्धारित शाखाओं को यह हिदायत दी जाती है कि वे ‘भुगतान करें’ / ‘भुगतान किया’ मुहर लगे नोटों को जनता में दुबारा भूल से भी ना जाने दें। शाखाओं को चाहिए कि वे अपने ग्राहकों को सावधान कर दें कि वे ऐसे नोट किसी भी अन्य बैंक या दूसरे व्यक्ति से नहीं लें।
(संदर्भ सरकारी क्षेत्र के बैंकों द्वारा अनुपालन हेतु क्रियापद्धति ज्ञापन और 20.5.87 मुप्रवि सं.185/CL.1(सक्षेबै)86-87 तथा 11.1.97 का परिपत्र सं.52/08.07.18/96-97)
4. यदि किसी नोट पर कोई राजनैतिक नारा या संदेश लिख दिया जाता है तो यह विधिमान्य मुद्रा नहीं रह जाएगा और भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के नियम 5(2) के अंतर्गत ऐसे नोटों को अस्वीकृत किया जाएगा। इसी प्रकार जिन नोटों को खराब कर दिया गया है उन्हें भी भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के नियम 5(2) के अंतर्गत अस्वीकृत किया जाएगा।
(संदर्भ मुप्रवि.परि.सं.189/सीएल.2-86/87 दिनांक 2.6.1987)
5. यदि जानबूझकर काटे गए नोटों को भुगतान पाने के लिए प्रस्तुत किया जाता है तो इन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के नियम 5(2)(ii) के अंतर्गत अस्वीकार किया जाएगा। यद्यपि जानबूझकर काटे/विरूपित नोटों की कोई सुसंगत परिभाषा निर्धारित करना संभव नहीं है, तथापि ऐसे नोटों को ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह कार्य जानबूझकर और धोखा देने के उद्देश्य से किया गया है। ऐसे नोटों को जब विकृत किया जाता है तो नोटों के आकार/गायब हुए टुकड़ों में एक खासियत मिलेगी, अर्थात ये नोट किसी खास जगह पर ही विकृत होते हैं, खासकर तब जब ऐसे नोट अधिक संख्या में प्रस्तुत किए गए हों। ऐसे मामलों में प्रस्तुतकर्ता का नाम, प्रस्तुत किए गए नोटों की तादात और मूल्यवर्ग के विवरण निर्गम विभाग के उप/महाप्रबंधक को भिजवाएँं, जिनके अधिकारक्षेत्र में शाखा स्थित है। यदि ऐसे नोट बड़ी मात्रा में प्रस्तुत किए गए हैं तो यह मामला स्थानीय पुलिस को भी रिपोर्ट किया जाए।शाखाओं को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि नोट बदलने की यह सुविधा प्राइवेट मनीचेंजरो/ दोषपूर्ण नोटों के व्यवसायियों तक ही सीमित ना रह जाए।
डसंदर्भ परि. सं. एस-12/ सीएल.1 (पीएसबी) 88-89 दिनांक 30.9.88 और सं. 8/ सीएल.1 (पीएसबी)-90/91 दिनांक 17.8.90
6. हमारे निर्गम कार्यालयों को सूचित किया जा चुका है कि वे करेंसी चेस्टवाली शाखाओं के "निर्धारित अधिकारियों" के लिए प्राथमिकता के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें। यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रशिक्षण के लिए केवल उन्ही अधिकारियों को नामित किया जाए जिन्हें निर्धारित अधिकारी के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का अभिप्राय यही है कि दोषपूर्ण नोटों के अधिनिर्णय की प्रक्रिया में निर्धारित अधिकारियों में आत्मविश्वास पैदा किया जाए। अत: यह अपरिहार्य है कि संबंधित शाखाओं के निर्धारित अधिकारी इन कार्यक्रमो में अवश्य हिस्सा लें।
(संदर्भ परिपत्र-220/सीएल.1/ पीएसबी/85-86 दिनांक 31 मई 86)
7. सरकारी क्षेत्र के सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अपनी शाखाओं में आसानी से दिखाई देने वाले स्थानों पर इस आशय का बोड़ लगाएं कि यहाँ पर नोट विनिमय सुविधा उपलब्ध है। बोड़ पर लिखा होना चाहिए कि "दोषपूर्ण नोटों को यहाँ पर स्वीकार करके बदला जाता है"। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सभी शाखाएँ नोट विनिमय का कार्य करती हैं।
(संदर्भ परिपत्र जी 71/ 08.07.18/ 92-93 दिनांक 22 जून 1993)
8. एक हजार रुपये के बैंक नोटों कि शुरुआत के बाद नोट वापसी नियमावली में जहाँ भी ‘पाँच सौ रुपये’ शब्द लिखे हों उनके स्थान पर ‘एक हजार रुपये’ कर दिया जाए, और 500 की संख्या के बाद में 1000 लिख लिया जाए। इस अनुदेश का प्रभाव यह होगा कि 500 रुपये तक के दोहरे नंबर वाले नोटों को बदलने पर जो नियम लागू होते थे वे अब 1000 रुपये के नोटों पर भी लागू होंगे।
इस प्रकार भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अंतर्गत 1000रु. के नोटों पर भी उसी प्रकार अधिनिर्णय किया जायेगा, जिस प्रकार 10रु., 20रु., 50रु., 100रु. और 500रु. के नोटों पर किया जाता है।
(प्रेस प्रकाशनी दिनांक 6.10.2000)
9. सरकारी क्षेत्र के बैंकों की चेस्ट रहित शाखाओं द्वारा भुगतान किए गए नोटों को करेंसी चेस्ट वाली किसी निकटतम शाखा से या भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालय से बदलवा लिया जाए। करेंसी चेस्ट वाली शाखाएँ स्वयं द्वारा या गैर करेंसी चेस्ट वाली शाखाओं द्वारा पूर्ण मूल्य के लिए भुगतान किए गए नोटों को प्राप्त करके चेस्ट में जमा करें। हालांकि इन नोटों को एकदम अलग रखा जाए और इन्हें अन्य गंदे नोटों के साथ मिलाया ना जाए। यदि गंदे नोट वाले पैकेटो में ‘भुगतान करें’/ ‘भुगतान किया’ कि मुहर लगे हुए नोट हमारे निर्गम कार्यालयों को भेजे गये विप्रेषण में जाँच के दौरान पाए जाते हैं तो इन नोटों को चेस्ट प्रतिनिधि को दे दिया जायेगा/करेंसी चेस्ट वाली शाखा को लौटा दिया जायेगा और इसे अक्षमता माना जायेगा तथा हमारे कार्यालयों में सम्बद्ध बैंक के खाते में राशि को नामे डालते हुए लागत वसूल की जायेगी।
(संदर्भ परि.सं.जी-82 सीएल.1 (पीएसबी) 87/88 दिनांक 12 जनवरी 88 तथा जी 74/ सीएल (पीएसबी)जन-90/91 दिनांक 5 जून 1991)
10. करेंसी चेस्टवाली सभी शाखाओं से अपेक्षित है कि वे हमारे निर्गम कार्यालयों में तिमाही विवरण प्रस्तुत करें जिनमें उनके द्वारा अधिनिर्णित नोटों की संख्या दिखाई गई हो। यदि चेस्ट शाखाओं में भुगतान किए गए नोटों के संचयन की सूचना नहीं प्राप्त होती है तो हमारे निर्गम कार्यालयों को संबद्ध चेस्ट शाखाओं के लिए तिमाही लेखा परीक्षा कार्यक्रम का निर्धारण संभव नहीं हो पाता है। हमें यह सूचना दी गयी है कि करेंसी चेस्ट वाली बहुत सी शाखाओं में या तो इस स्कीम को लागू ही नहीं किया गया है या फिर इसको बहुत ही सीमित पैमाने पर लागू किया है जिसकी वजह से जनता को भी अनावश्यक कठिनाई होती है। यह देखते हुए आपको सूचित किया जाता है कि आप करेंसी चेस्टवाली अपनी सभी शाखाओं को निम्नलिखित अनुदेश जारी करें:
क) जिन करेंसी चेस्ट शाखाओ में यह स्कीम अभी लागू नहीं हुई है वहाँ तत्काल लागू की जाए।
ख) ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए कि सप्ताह के कितने दिनों यह सुविधा उपलब्ध रहेगी, अर्थात् यह सुविधा सभी कार्य दिवसों को कामकाज के घंटों के दौरान उपलब्ध रहनी चाहिए।
ग) सीमित अधिकारों के अंतर्गत गैर करेंसी चेस्ट शाखाओं द्वारा भुगतान किए गए नोटों को भी बदलने के लिए स्वीकार किया जाए चाहे वे शाखाएँ उसी बैंक की हों या किसी अन्य बैंक की हों।
घ) अधिनिर्णित नोटों को एकदम अलग रखा जाए और इन्हें किसी भी हाल में करेंसी चेस्ट में रखे हुए गंदे नोटों के साथ ना मिलाया जाए।
ङ) करेंसी चेस्ट शाखाओं में अधिनिर्णित /प्रतिपूर्ति किये गये नोटों का रिकाड़ डीएन 2 रजिस्टर में उचित रूप से रखा जाए और इसे अद्यतन किया जाए।
च) अधिनिर्णित/बदले गये नोट जिनकी लेखा परीक्षा अभी भारतीय रिज़र्व बैंक की लेखा परीक्षा टीम द्वारा की जानी है, का तिमाही विवरण 15 दिनों के भीतर भिजवा दिया जाए।
(संदर्भ परि.सं.जी-83/सीएल-1/(पीएसबी)91/92 दिनांक 6 मई 92 तथा जी.11/08.07.18/2001-02 दिनांक 2-11-01)
सरकारी क्षेत्र के बैंकों से अनुरोध है कि वे उन्हें दिए जा रहे अधिकारों का पूर्ण रूप से प्रयोग करते हुए अधिकतम सहयोग करें। इसमें किसी प्रकार की बंदिश ना रखें ताकि जनता को बड़े पैमाने पर बेहतर ग्राहक सेवा दी जा सके।
(संदर्भ परिपत्र सं.एनई.386/08.07.13/2000-01 दिनांक 16-11-2000)
उपर्युक्त अनुदेश भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दोषपूर्ण नोटों को बदलने के बारे में पहले ही जारी किए गए अनुदेशों का समेकन करते हुए जारी किया जा रहे है।
टिप्पणी - मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची अनुबंध-I में दी गई है।
अनुबंध-I
मास्टर परिपत्र
विषय - भारतीय रिज़र्व बैंक(नोट वापसी)
नियमावली अधिकारों का का प्रत्यायोजन
मास्टर परिपत्र द्वारा समेकित परिपत्रों की सूची
परिपत्र सं. |
दिनांक |
विषयवस्तु |
जी-67/08.07.18/96-97 |
18.2.1997 |
भारिबैं(नोट वापसी) नियमावली, 1975, निजी क्षेत्र के बैंकों की करेंसी चेस्ट वाली शाखाओं को सभी अधिकारों का प्रत्यायोजन |
जी-52/08.07.18/96-97 |
11.1.1997 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली में सरकारी क्षेत्र के बैंकों को दोषपूर्ण नोटों का विनिमय करने के लिए अधिकारों का प्रत्यायोजन भुगतान/प्रदत्त की स्टैम्प लगे नोटों का निपटान |
जी-24/08.01.01/96-97 |
3.12.1996 |
कटे नोटों को स्वीकार करना तथा बदलना उदारीकरण |
जी-64/08.07.18/95-96 |
18.5.1996 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली सरकारी क्षेत्र के बैंकों की शाखाओं को सम्पूर्ण अधिकारों का प्रत्यायोजन तथा दोषपूर्ण नोटों के विनिमय के लिए प्रचार. |
जी-71/08.07.18/92-93 |
22.6.1993 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली में सरकारी क्षेत्र के बैंकों की शाखाओं को दोषपूर्ण नोटों के विनिमय के लिए सम्पूर्ण अधिकारों का प्रत्यायोजन योजना जनप्रचार. |
जी-83/सीएल-1(पीएसबी) 91-92 |
6.5.1992 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंकों की करेंसी चेस्ट वाली शाखाओं को सम्पूर्ण अधिकारों का प्रत्यायोजन |
जी-74/सीएल(पीएसबी) (जन) 90-01 |
5.6.1991 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली के अधीन सरकारी क्षेत्र के बैंकों की शाखाओं को सम्पूर्ण अधिकारों का प्रत्यायोजन |
5.5/सीएल-1(पीएसबी)/ 90-91 |
25.9.90 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंको को सम्पूर्ण अधिकारों के प्रत्यायोजन की योजना |
8/सीएल-1(पीएसबी)/ 90-01 |
17.8.1990 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंकों को सम्पूर्ण अधिकारों के प्रत्यायोजन की योजना |
जी-123/सीएल-1(पीएसबीॅ)(जन)/89-90 |
7.5.1990 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंकों को सम्पूर्ण शक्तियों के प्रत्यायोजन की योजना(संशोधन) |
जी-108/सीएल-1(पीएसबी)(जन) 89-90 |
3.4.1990 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली 1989-500/-रु. मूल्यवर्ग के बैंक नोट सरकारी क्षेत्र के बैंको की शाखाओं में दोषपूर्ण नोटों को बदलना. |
जी-8/सीएल-1(पीएसबी)/ 89-90 |
12.7.1989 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली - भारतीय रिज़र्व बैंक, निर्गम कार्यालयों में दोषपूर्ण नोटों पर ‘दावे का’ स्टाम्प लगे नोट |
जी-84/सीएल-1(पीएसबी)/ 88-89 |
17.3.1989 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंकों को नोट बदलने के सम्पूर्ण अधिकारों का प्रत्यायोजन. |
जी-66/सीएल.1(पीएसबी)/ 88-89 |
09.2.1989 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंकों को अधिकारों का प्रत्यायोजन-प्रशिक्षण. |
एस.12/सीएल-1(पीएसबी) -88/89 |
30.9.1988 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली - जानबूझकर काटे या फाड़े गए नोटों पर अधिनिर्णय |
जी-134/सीएल/1(पीएसबी) 87-88 |
25.5.1988 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली - के अंतर्गत योजना के कार्यान्वयन के सम्पूर्ण अधिकारों का प्रत्यायोजन. |
192/सीएल-1(पीएसबी)/ 86-87 |
02.6.1987 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली - सरकारी क्षेत्र के बैंकों को सम्पूर्ण अधिकारों के प्रत्यायोजन की योजना |
189/सीएल.2/86-87 |
02.6.1987 |
दोषपूर्ण मुद्रा नोटों जिनपर कुछ संदेश अथवा नारे लिखे हुए हों। |
185/सीएल-1(पीएसबी)/ 86-87 |
20.5.1987 |
भारिबैं.(नोट वापसी) नियमावली - दोषपूर्ण नोटों पर ‘प्रदत्त’ तथा ‘निरस्त’ की मुहर लगाना. |
173/सीएल.1/84-85 |
02.4.1985 |
सरकारी क्षेत्र के बैंकों को दोषपूर्ण नोटों का विनिमय/उसकी प्रक्रिया सम्बन्धी सम्पूर्ण अधिकारों का प्रत्यायोजन. |
सीवाय.सं.1064/सीएल.1/76-77 |
09.8.1976 |
लोगों को गंदे नोटों तथा थोडेसे कटे-फटे नोटों के विनिमय की सुविधा |
सीवाय.सं.386/08.07.13/ 2000-01 |
16.11.2000 |
भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट विनिमय) नियमावली, 1975 - सरकारी/निजी क्षेत्र के बैंकों की करेंसी चेस्ट वाली शाखाओं को नोट विनिमय के सम्पूर्ण अधिकारों का प्रत्यायोजन। |
जी.11/08.07.18/ 2001-02 |
02.11.2001 |
भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट विनिमय) नियमावली, 1975 - सरकारी/निजी क्षेत्र के बैंकों की करेंसी चेस्ट वाली शाखाओं को नोट विनिमय के सम्पूर्ण अधिकारों का प्रत्यायोजन। |
अनुबंध-II
नोट विनिमय सुविधा
भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अंतर्गत प्राधिकृत
नोट विनिमय करने वाले निजी क्षेत्र के शेड्यूल वाणिज्य बैंकों की सूची
1) कर्नाटक बैंक लिमिटेड
प्रधान कार्यालय, पोस्ट बॉक्स सं.716
कोडियलबैल
मंगलूर-575003.
2) धनलक्ष्मी बैंक लिमिटेड
केंद्रीय कार्यालय
आयोजना विभाग, पोस्ट बॉक्स सं.2
त्रिचूर-680 001
केरल.
3) दि फेडरल बैंक लिमिटेड
प्रधान कार्यालय 103, फेडरल टॉवर्स
पोस्ट बॉक्स सं.103
अलवायी-683 101.
4) दि क़थोलिक सीरीयन बैंक लिमिटेड
सेंट मेरी कॉलेज रोड
पोस्ट बॉक्स सं.502
त्रिचूर-680 020
केरल.
5) दि बैंक ऑफ राजस्थान लिमिटेड
पी एण्ड डी विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सी-3, सरदार पटेल मार्ग
‘सी’ स्कीम
जयपुर-302 001.