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बांगलादेश के नागरिक/बांगलादेश में निगमित कंपनी द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश

आरबीआइ/2007-08/215
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.22

दिसंबर 19, 2007

सेवा में
सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

बांगलादेश के नागरिक/बांगलादेश में निगमित कंपनी द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की ओर आकर्षित किया जाता है।

2. वही अधिसूचना के विनियम 5 के उप-विनियम (1) के अनुसार भारत के बाहर निवासी कोई व्यक्ति (बांगलादेश अथवा पाकिस्तान के नागरिक से इतर) अथवा भारत के बाहर निगमित कोई कंपनी (बांगलादेश अथवा पाकिस्तान में कंपनी से इतर) अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी की अनुसूची 1 में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना के तहत किसी भारतीय कंपनी के शेयर अथवा परिवर्तनीय डिबेंचर खरीद सकता है। रिज़र्व बैंक ने अब विनियमावली को संशोधित किया है तथा अक्तूबर 23, 2007 की फेमा अधिसूचना सं.167 द्वारा उसे अधिसूचित किया है (प्रतिलिपि संलग्न)।

3. तदनुसार, कोई व्यक्ति जो बांगलादेश का नागरिक है अथवा बांगलादेश में निगमित कोई कंपनी है, समय-समय पर यथासंशेधित मई 3, 2000 की अधासूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी की अनुसूची 1 में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन भारत सरकार के विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के पूर्वानुमोदन से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना के तहत किसी भारतीय कंपनी के शेयर और परिवर्तनीय डिबेंचर खरीद सकता है।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।

5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय - मुंबई

अधिसूचना सं.फेमा /2007-आरबी दिनांक अगस्त , 2007

विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का
अंतरण अथवा निर्गम) (दूसरा संशोधन) विनियमावली, 2007

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (क) और धारा 47 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद् द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2004 (जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा.120/आरबी-2004) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्,

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ :-

(i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (दूसरा संशोधन) विनियमावली 2007 कहलाएंगे।

(ii) ये सितंबर 2007 के 6ठे दिन से लागू समझे जाएंगे।

2. विनियम 6 में संशोधन :-

विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रति?ाझति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 (जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा.120/आरबी-2004) में, इसके बाद मूल विनियमावली के रूप में उल्लिखित)

विनियम 6 खंड (1) में, कोष्ठकों, आंकड़े और शब्दों "(और वित्तीय सेवा क्षेत्र में निवेश के मामले में विनियम 7)" के लिए कोष्ठक, आंकड़े और शब्दों "(और वित्तीय सेवा क्षेत्र में लगी भारतीय पार्टी द्वारा निवेश के मामले में विनियम 7)" को प्रतिस्थापित किया जाएगा।

3. विनियम 7 में संशोधन

विनियम 7 में, मूल विनियमावली में,

(i) शीर्षक के लिए निम्नलिखित नए शीर्षक को प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात्,

"वित्तीय सेवा क्षेत्र में लगी हुई भारतीय पार्टी द्वारा निवेश"

(ii) उप-विनियम (1) के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात् :

"(1) भाग I में विनियमों के अधीन, भारत में वित्तीय सेवा क्षेत्र में लगी हुई कोई भारतीय पार्टी भारत से बाहर किसी कंपनी में निवेश कर सकती है।"

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक

पाद टिप्पणी :

(i) विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 सरकारी राजपत्र में दिनांक नवंबर 19, 2004 को जी.एस.आर. सं.757(E) में प्रकाशित किए गए और तत्पश्चात्

अप्रैल 7, 2005 के जी.एस.आर. सं.220(E)

मई 27, 2005 के जी.एस.आर. सं.337(E)

अगस्त 31, 2005 के जी.एस.आर. सं.552(E)

____________ के जी.एस.आर. सं.________

द्वारा संशोधित किए गए हैं।

(ii) यह प्रमाणित किया जाता है कि इस विनियम के पूर्वव्यापी प्रभाव से किसी व्यक्ति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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