प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - अनिवासी इंटिटी को तेल क्षेत्रों में 'सहभागिता इंटरेस्ट/अधिकार(राइट)' के निर्गम/अंतरण की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लेनदेन के रूप में रिपोर्टिंग - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - अनिवासी इंटिटी को तेल क्षेत्रों में 'सहभागिता इंटरेस्ट/अधिकार(राइट)' के निर्गम/अंतरण की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लेनदेन के रूप में रिपोर्टिंग
भारिबैंक/2011-12/259 16 नवंबर 2011 सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - अनिवासी इंटिटी को तेल क्षेत्रों में 'सहभागिता इंटरेस्ट/अधिकार(राइट)' प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (प्रा.व्या.श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान समय समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20 / 2000 - आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 के विनियम 9 और 10 तथा अनुसूची । के पैराग्राफ 9 की ओर आकर्षित किया जाता है । साथ ही उनका ध्यान 22 अप्रैल 2009 के ए. पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 63 की ओर भी आकर्षित किया जाता है । उक्त विनियमों के अनुसार, किसी भारतीय कंपनी के ईक्विटी शेयरों/पूर्णत: और अनिवार्यत: परिवर्तनीय डिबेंचरों/पूर्णत: तथा अधिदेशात्मक परिवर्तनीय अधिमानी शेयरों (इसके आगे 'शेयर' के रूप में उल्लिखित) के भारत से बाहर के निवासी (अनिवासी) व्यक्ति से भारत में निवासी व्यक्ति को अथवा उसके विपरीत अंतरण लेनदेन की तारीख से 60 दिनों के भीतर प्राधिकृत व्यापारी बैंक को रिपोर्ट करने चाहिए । इसके अलावा, किसी अनिवासी को किसी भारतीय कंपनी के शेयरों के निर्गम के लिए प्रतिफल की प्राप्ति तथा शेयरों के निर्गम संबधी लेनदेन(अनिवासी को शेयरों के निर्गम के लिए प्रतिफल की प्राप्ति अथवा अनिवासी को शेयरों के निर्गम) की तारीख से 30 दिनों के भीतर उन्हें प्राधिकृत व्यापारी बैंक के माध्यम से रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट किया जाना चाहिए । 2. भारत सरकार के परामर्श से अब यह निर्णय लिया गया है कि अनिवासी को तेल क्षेत्रों में 'सहभागिता इंटरेस्ट/राइट्स' के निर्गम/अंतरण को मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति और फेमा विनियमावली के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लेनदेन के रूप में समझा जाए । तदनुसार, ये लेनदेन, 22 अप्रैल 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.63 के साथ पठित समय समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 के विनियम 9 और 10 के प्रावधानों के साथ ही साथ समय समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची । के पैराग्राफ 9 के अनुसार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लेनदेनों के रूप में रिपोर्ट किया जाने चाहिए । अस्तु 'सहभागिता इंटरेस्ट/राइट्स' के अंतरण संलग्न पुनरीक्षित फार्म एफसी-टीआरएस के पैरा 7 के अंतर्गत 'अन्य श्रेणी' में रिपोर्ट किये जाएं और 'सहभागिता इंटरेस्ट/राइट्स' के निर्गम एफसी-टीआरएस के पैरा 4 के अंतर्गत 'अन्य श्रेणी के लिखत' में रिपोर्ट किये जायेंगे । 3. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किये जा रहे हैं । 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा),1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं । भवदीया, (मीना हेमचंद्र) |