वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना
भारिबैं/204/2005-06
बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 44/ 09.07.005/2005-06
11 नवंबर 2005
20 कार्तिक 1927 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय,
वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना
कृपया वर्ष 2005-06 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा का पैरा 96 देखें ।
2.अप्रैल 2005 के वार्षिक नीति वक्तव्य में आबादी के एक बड़े भाग को अपनी ओर आकर्षित करने के बजाय उसे अपने से दूर करने की बैंकिंग कार्यप्रणाली की प्रवृत्तियों पर चिंता व्यक्त करते हुए, बैंकों से अनुरोध किया गया है कि वे अधिकाधिक व्यक्तियों को वित्तीय सेवाओं के दायरे में लाने के प्रयोजन हेतु अपनी वर्तमान प्रणालियों की समीक्षा करें । अनेक बैंकों में न्यूनतम राशि की अपेक्षा और लगाए गए प्रभारों के साथ हालांकि अनेक मुफ्त सुविधाएं दी जाती हैं, आबादी के एक बड़े भाग को बैंक खाते खोलने/रखने में बाधा होती है।
3.इस संदर्भ में अधिकाधिक व्यक्तियों को वित्तीय सेवाओं के दायरे में लाने के लिए बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे "शून्य" अथवा बहुत कम शेष राशि और प्रभारों के साथ एक मूल बैंकिंग "नो फ्रिल्स" खाता उपलब्ध कराएं ताकि आबादी के बड़े भाग की ऐसे खातों तक पहुंच हो सके। ऐसे खातों में लेन-देनों का स्वरूप और उसकी संख्या को प्रतिबंधित किया जा सकता है, किंतु इस संबंध में पारदर्शी तरीके से ग्राहक को पहले ही बताया जाए । सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऐसे "नो फ्रिल्स" खाता सुविधा का अपनी वेब-साइट सहित इन सुविधाओं तथा प्रभारों को पारदर्शी तरीके से निर्दिष्ट करते हुए व्यापक प्रचार करें।
4.बैंक द्वारा खोले गये इस तरह के जमा खातों की संख्या हमें तिमाही आधार पर रिपोर्ट करें ।
5.इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जाए और एक महीने के भीतर हमें अनुपालन की रिपोर्ट भेजी जाए ।
6.कृपया प्राप्ति-सूचना दें ।
भवदीय
(प्रशांत सरन)
मुख्य महाप्रबंधक