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बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के द्वारा वित्तीय समावेशन-शहरी सहकारी बैंकों द्वारा व्यवसाय प्रतिनिधि/व्यवसाय सहायकों का उपयोग

आरबीआई /2010-11/308
शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी)सीआईआर नं.28/09.18.300/2010-11

10 दिसंबर 2010

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी शहरी सहकारी बैंक

प्रिय महोदय/महोदया,

बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के द्वारा वित्तीय समावेशन-शहरी सहकारी बैंकों द्वारा व्यवसाय प्रतिनिधि/व्यवसाय सहायकों का उपयोग

रिज़र्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा में यह घोषित किया था कि वित्तीय समावेशन के उद्देश्य को अधिक मात्रा में आगे बढ़ाने के लिए सुव्यवस्थापित और वित्तीय दृष्टि से सुस्थित शहरी सहकारी बैंकों को व्यवसाय प्रतिनिधियों (बीसी)/व्यवसाय सहायकों (बीएफ) की नियुक्ति करने की अनुमति दी जाएगी। पुनरीक्षण का संबंधित पैरा नीचे उद्धृत किया जा रहा है

शहरी सहकारी बैंकों के लिए व्यवसाय प्रतिनिधि/व्यवसाय सुलभकर्ता मॉडल

92. शहरी सरकारी बैंकों की पहुंच का दायरा बढ़ाने और तदनुसार वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को और आगे बढ़ाने के लिए यह प्रस्ताव है क:

  • सुव्यवस्थित और वित्तीय रूप से मजबूत शहरी सहकारी बैंकों को सूचना एवं संचार टेक्नालॉजी (आइसीटी) समाधान का उपयोग कर व्यवसाय प्रतिनिधि (बीसी)/व्यवसाय सुलभकर्ता (बीएफ) नियुक्त करने की अनुमति दी जाए ।

2. अधिकाधिक वित्तीय समावेशन और शसबैं की व्याप्ति बढ़ाने के उद्देश्य से सुलभ दर पर मूल तथा बैंकिंग सुविधाओं को शसबैं के परिचालन क्षेत्रों में उपलब्ध कराने की दृष्टि से सार्वजनिक हित में यह निर्णय लिया गया है कि सुव्यवस्थापित और वित्तीय दृष्टि से सुस्थित शसबैं से आईसीटी साधनों का प्रयोग करते हुए व्यवसाय प्रतिनिधियों/व्यवसाय सहायकों की नियुक्ति करने से संबंधित अनुरोधों पर विचार किया जाए। तदनुसार शसबैं अपने बोर्ड के अनुमोदन से व्यवसाय प्रतिनिधियों/व्यवसाय सहायकों के उपयोग संबंधी योजना बनाएं और यह सुनिश्चित करें कि इस परिपत्र में विनिर्दिष्ट उद्देश्यों और मानदंडों का योजना के अंतर्गत कड़ाई से अनुपालन किया गया है। योजना रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत की जाए और व्यवसाय प्रतिनिधियों/व्यवसाय सहायकों की नियुक्ति से पहले अनुमोदन प्राप्त किया जाए।

पात्रता मानदंड

3. निम्नलिखित मानदंडों का संतोषजनक अनुपालन करनेवाले शहरी सहकारी बैंक व्यवसाय प्रतिनिधियों/व्यवसाय सुविधादाताओं की नियुक्ति करने के लिए पात्र हैं।

(क) सीआरएआर 10 प्रतिशत से अधिक;

(ख) निवल एनपीए 5 प्रतिशत से कम;

(ग) पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान सीआरआर और एसएलआर का अचूक रखरखाव;

(घ) पिछले तीन वर्ष लगातार निवल लाभ;

(ङ) बोर्ड में कम से कम दो चयनित व्यावसायिक निदेशक हों और

(च) अन्य बातों के साथ-साथ बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएएएस), भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों और रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी अनुदेशों / निदेशों के अनुपालन पर आधारित विनियामक संतोषजनक स्थिति।

जो शहरी सहकारी बैंक उपर्युक्त शर्तों का पालन करते हैं वे व्यवसाय प्रतिनिधि / व्यवसाय सहायक की नियुक्ति के लिए अनुमति प्राप्त करने के लिए रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय (शहरी बैंक विभाग) से संपर्क करें।

व्यवसाय सहायक मॉडेल: पात्र कंपनियां और गतिविधियों की व्याप्ति

4.1 "व्यवसाय सहायक" (बीएफ) मॉडेल के अंतर्गत शसबैं सहायक सुविधाएं प्रदान करने के लिए गैर सरकारी संगठनों/सोसाइटी/न्यास अधिनियम के अंतर्गत स्थापित लघु वित्त संस्थाओं, किसान क्लबों, प्राथमिक और ऋण सहकारी सोसाइटियों को छोड़कर अन्य सहकारी सोसाइटियों, समुदाय आधारित संगठनों, कारपोरेट कंपनी के आईटी समर्थित ग्रामीण निकासों, डाक कार्यालयों, बीमा एजेंटों, सुचालित पंचायतों, ग्रामीण ज्ञान केंद्रों, कृषि निदानशालाओं/कृषि व्यवसाय केंद्रों, कृषि विज्ञान केंद्रों और केवीआईसी/केवीआईबी युनिटों जैसी मध्यवर्ती संस्थाओं और व्यवसाय सहायकों के रूप में व्यक्तियों की बैंक की दृष्टि से संतोषजनक रूप से नियुक्ति कर सकते हैं। तथापि, शसबैं के निदेशक और उनके रिश्तेदार (निवेश मानदंड सांविधिक/अन्य प्रतिबंधों के संबंध में 1 जुलाई 2010 के मास्टर परिपत्र के पैरा 2.2.7 में यथा परिभाषित) तथा शसबैं के सेवारत कर्मचारी व्यवसाय सहायक के रूप में कार्य करने के पात्र नहीं हैं। सहायक सेवाओं में  i) उधारकर्ताओं की पहचान और गतिविधियों की उपयुक्तता; ii) ऋण आवेदनपत्रों को एकत्रित करना और प्रारंभिक प्रसंस्करण करना जिसमें प्राथमिक सूचना/आंकड़ों की जांच शामिल है; iii) बचतों और अन्य उत्पादों तथा शिक्षा के बारे में जागरूकता निर्माण करना और मुद्रा प्रबंध सूचना तथा ऋण परामर्श, iv) आवेदनों का प्रसंस्करण और शसबैं को प्रस्तुति; v) स्वयं सहायता समूहों/संयुक्त देयता समूहों का प्रवर्तन और प्रशिक्षण; vi) मंजूरी पश्चात् निगरानी; vii) स्वयं सहायता समूहों/संयुक्त देयता समूहों/ऋण समूहों/अन्यों की निगरानी और सहायता (हैंडहोल्डिंग); और viii) वसूली के लिए अनुवर्तन को शामिल किया जा सकता है।

4.2 जहां पर व्यक्तियों को व्यवसाय सहायक के रूप में नियुक्त किया जाता है, पर्याप्त एहतियात और समुचित सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। तथापि, शसबैं के निदेशक और उनके रिश्तेदार (निवेश मानदंड और सांविधिक/अन्य प्रतिबंध पर 1 जुलाई 2010 के मास्टर परिपत्र सं. 1 के पैरा 2.7.7 में यथा परिभाषित) तथा शसबैं में सेवारत कर्मचारी व्यवसाय सहायक के रूप में कार्य करने के पात्र नहीं हैं।

व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडेल: पात्र संस्थाएं और गतिविधियों की व्याप्ति

5.1 "व्यवसाय प्रतिनिधि" (बीसी) मॉडेल के अंतर्गत सोसायटी/न्यास अधिनियम के अधीन स्थापित एनजीओ/एमएफआई, प्राथमिक/सहकारी ऋण समितियों के अलावा पारस्परिक तौर पर सहायताप्राप्त सहकारी समिति अधिनियम अथवा राज्यों की सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत सहकारी समितियां, डाक कार्यालय, सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारी, पूर्वसैनिक, सेवानिवृत्त अध्यापक, सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी, अलग-अलग किराणा/मेडीकल/उचित मूल्य दुकानमालिक, एकल सार्वजनिक कॉल ऑफिस (पीसीओ) परिचालक, भारत सरकार की लघु बचत योजनाओं/बीमा कंपनियों के एजेंट, पेट्रोल पंपों के एकल मालिक, शसबैं से संबद्ध सुचालित स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के प्राधिकृत पदाधिकारी अथवा कोई अन्य व्यक्ति जिनमें कॉमन सर्विस सेंटर परिचालक शामिल हैं, बीसी के रूप में कार्य कर सकते हैं। तथापि शसबैं के निदेशक और उनके रिश्तेदार (निवेश मानदंड और सांविधिक/अन्य प्रतिबंध पर 1 जुलाई 2010 के हमारे मास्टर परिपत्र 1 में यथा परिभाषित) और साथ ही साथ शसबैं के सेवारत कर्मचारी व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने के पात्र नहीं हैं। शसबैं कंपनी अधिनियम, 1956 की धारी 25 के अधीन पंजीकृत कंपनियों की भी नियुक्ति कर सकते हैं, बशर्ते धारा 25 के अधीन पंजीकृत कंपनियां एकल आधार कंपनियां अथवा धारा 25 कंपनियां हैं जिनमें एनबीएफसी, बैंक, टेलीकॉम कंपनियां और अन्य कारपोरेट कंपनियां अथवा उनकी नियंत्रक कंपनियों की 10 प्रतिशत से अधिक इक्विटी धारिता नहीं है। यदि उत्तर पूर्वी क्षेत्र में शसबैं उपर्युक्त किसी भी श्रेणी के अंतर्गत न आनेवाले संगठन/संघ को बीसी के रूप में नियुक्त करना चाहते हैं तो वे समुचित सावधानी बरतते हुए अनुमोदन हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक के गुवाहाटी स्थित क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। शसबैं को यह भी अनुमति दी गयी है कि वे समुचित और पर्याप्त सुरक्षा उपाय करते हुए उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बीसी को लेनदेन की तारीख से अधिक से अधिक दूसरे कामक़ाजी दिन की समाप्ति तक बैंक की बहियों में लेनदेनों का लेखाजोखा करें।

5.2 बीएफ मॉडेल में सूचीबद्ध की गयी गतिविधियों के अतिरिक्त बीसी द्वारा पूर्ण की जानेवाली गतिविधियों की व्याप्ति में i) अल्प मूल्य ऋण संवितरण, ii) मूलधन की पुन: प्राप्ति/ब्याज की वसूली iii) अल्प मूल्य जमाराशियों का संग्रह, iv) व्यष्टि बीमा/म्युच्युअल फंड उत्पाद/सेवानिवृत्ति वेतन उत्पाद/कोई और अन्य पक्ष उत्पाद बिक्री और v) अल्प मूल्य प्रेषणों/अन्य भुगतान साधनों की प्राप्ति और वितरण शामिल हैं।

5.3 बीसी द्वारा पूर्ण की जानेवाली गतिविधियां बैंकों के बैंकिंग कारोबार के सामान्य कामकाज़ के अंतर्गत किंतु उपर्युक्त उल्लिखित कंपनियों के माध्यम से बैंक परिसरों के अलावा अन्यत्र पूरी की जाएंगी। तदनुसार व्यष्टि वित्त के लिए बैंकों की पहुंच बढ़ाने के उद्दिष्ट को आगे विस्तारित करने में रिज़र्व बैंक सार्वजनिक हित में बैंकों को योजना को सूत्रबद्ध करने की अनुमति देता है।

5.4 बीसी के साथ की गयी व्यवस्थाओं में

क) नकदी धारिता पर उचित सीमा तथा एकल ग्राहक भुगतानों और रसीदों पर सीमा, और

ख) लेनदेनों का लेखाजोखा रखने और अगले कामकाज के दिन की समाप्ति तक बैंक की बहियों में प्रतिक्षेपित करने की शर्त विनिर्दिष्ट की जाएगी और

ग) ग्राहक के साथ सभी करारों/संविदाओं में स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा कि बीएफ/बीसी की चूक और कमीशन के लिए बैंक ग्राहक के प्रति उत्तरदायी होगा।

5.5 शसबैं द्वारा बीसी के परिचालनों और गतिविधियों पर पर्याप्त पर्यवेक्षण को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक बीसी विशिष्ट बैंक शाखा से संलग्न रहेगा और उसके पर्यावलोकन के अधीन रहेगा, जिसे आधारभूत शाखा के रूप में पदनामित किया जाएगा। बीसी के स्थान और आधारभूत शाखा के स्थान के बीच की दूरी ग्रामीण, अर्द्धशहरी और शहरी क्षेत्रों में 30 किमी से और महानगरों के केंद्रों 5 किमी से अधिक नहीं होनी चाहिए। बीसी की नियुक्ति करते समय शसबैं यह सुनिश्चित करें कि बीसी द्वारा व्याप्त क्षेत्र अनिवार्य रूप से उनके परिचालन के पात्र क्षेत्र के भीतर ही है।

5.6 बीसी के रूप में नियुक्ति के लिए शसबैं प्रस्तावित कंपनियों की गहन सम्यक सावधानी बरतें और अनुबंध में दिये गये संकेतक मानदंडों के परिप्रेक्ष्य में एजेंसी जोखिम कम करने के लिए यथोचित अतिरिक्त सुरक्षा उपाय, भी आरंभ करें। बीसी के रूप में मध्यवर्ती संस्थाओं की नियुक्ति करते समय शसबैं यह सुनिश्चित करें कि वे सुस्थापित और प्रतिष्ठित हैं और स्थानीय लोगों के विश्वास के पात्र हैं। शसबैं यह भी सुनिश्चित करें कि जिन व्यक्तियों की बीसी के रूप में नियुक्ति की गयी है वे बीसी के रूप में जिन क्षेत्रों में कार्य करना चाहते हैं उस स्थान के स्थायी निवासी हैं और एजेंसी जोखिम को कम करने हेतु अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करें जिन्हें वे उचित समझें। शसबैं, उनके द्वारा बीसी के रूप में नियुक्त मध्यवर्ती संस्था के बारे में स्थानीय प्रचार-प्रसार करें और गलत प्रतिनिधित्व से बचने के लिए उपाय करें।

5.7 शसबैं के विधिवत् नियुक्त बीसी यदि उप एजेंट की आरंभिक स्तर पर नियुक्ति करना चाहते हैं तो शसबैं यह सुनिश्चित करें कि i) बीसी के उप एजेंट दिशानिर्देशों के अनुसार बीसी के लिए विनिर्दिष्ट सभी संबंधित मानदंडों की पूर्ति करते हैं; ii) उनके द्वारा नियुक्त बीसी के संबंध में प्रतिष्ठा और अन्य निहित जोखिमों का ध्यान रखने के लिए समुचित सावधानी बरतते हैं; और iii)आधारभूत शाखा से 30 किमी/5 किमी की यथा लागू दूरी की शर्त की सभी उपएजेंटों के मामले में अनिवार्यत: पूर्ति की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त जहां व्यक्तियों को बीसी के रूप में नियुक्त किया जाता है वे उसके बदले में उपएजेंटों को नियुक्त नहीं कर सकते।

व्यवसाय प्रतिनिधि/व्यवसाय सहायक की नियुक्ति के लिए सेवा प्रभार और कमीशन/ फीस का भुगतान

6.1 बीसी मॉडेल की व्यवहार्यता को सुनिश्चित करने के लिए शसबैं (बीसी नहीं) को अनुमति दी जाती है कि वे बोर्ड-अनुमोदित नीति के अंतर्गत ग्राहक से पारदर्शी तरीके से उचित सेवा प्रभार वसूली करें। बीसी मॉडेल के माध्यम से जिस ग्राहक वर्ग को बैंकिंग सेवाएं वितरित की जा रही हैं उनके प्रोफाईल को ध्यान में रखते हुए शसबैं यह सुनिश्चित करें कि बीसी मॉडेल के मार्फत बैंकिंग सेवाओं के वितरण के लिए ग्राहक से वसूल किये जानेवाले प्रभार/फीस वास्तव में उचित और न्यायसंगत हैं इसके बारे में पता लगाया गया हो। इस संदर्भ में बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति भारिबैं, शहरी बैंक विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को अग्रेषित की जाए। शसबैं यह सुनिश्चित करें कि  प्रभार अपारदर्शी, अनुचित होने के बारे में ग्राहकों से शिकायतें प्राप्त न हों। इस संबंध में शसबैं द्वारा कोई अनुचित पद्धति का अवलंब किये जाने पर रिज़र्व बैंक उस पर गंभीरता से विचार करेगा।

6.2 शसबैं बीएफ/बीसी को उचित कमीशन/फीस का भुगतान करें, जिसकी दर और मात्रा की आवधिक रूप से जांच की जाए। रुपया जमाराशियों पर ब्याज दरों से संबंधित 1 जुलाई 2010 के मास्टर परिपत्र यूबीडी। पीसीबी। एमसी। नं। 11/13।01।000/2010-11 के पैरा 18 को उस सीमा तक संशोधित समझा जाए। बीएफ/बीसीके साथ किये गये करार में बैंक की ओर से उनके द्वारा सीधे ग्राहकों को दी जानेवाली सेवाओं के लिए कोई फीस प्रभारित करने से स्पष्ट रूप से रोका जाए।

बीएफ/बीसी द्वारा दी गयी सेवाओं के संबंध में शिकायतों का निवारण

7.1 बीएफ/बीसी द्वारा दी गयी सेवाओं के संबंध में शिकायतों के निवारण के लिए शसबैं बैंक के भीतर शिकायत निवारण यंत्रणा स्थापित करें और उसका इलेक्ट्रॉनिक और मुद्रण माध्यम के जरिये बड़े पैमाने पर प्रचार करें। बैंक के पदनामित शिकायत निवारण अधिकारी के नाम और संपर्क नंबर का व्यापक रूप से प्रचार किया जाए और सार्वजनिक संकेत स्थानों पर प्रदर्शित किया जाए। शिकायत निवारण अधिकारी के ब्यौरे बीसी के परिसर और आधारभूत शाखा में भी प्रदर्शित किये जाएं। पदनामित अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि ग्राहकों की वास्तविक शिकायतों का तत्परता से निवारण किया जाता है।

7.2 बैंक की शिकायत निवारण प्रक्रिया और शिकायतों को उत्तर देने के लिए निश्चित समय सीमा की बैंक की वेबसाइट पर जानकारी दी जाए।

7.3 शिकायत दर्ज करने की तारीख से 60 दिन के भीतर शिकायतकर्ता को बैंक से संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है तो उसे शिकायत निवारण हेतु बैंकिंग लोकपाल कार्यालय (अनुसूचित शसबैं के विरूद्ध शिकायत के मामले में) अथवा रिज़र्व बैंक के शहरी बैंक विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों से संपर्क करने का विकल्प प्राप्त होगा।

अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंडों का अनुपालन

8. केवाईसी मानदंडों का अनुपालन करना शसबैं की निरंतर जिम्मेदारी रहेगी। कम विशेषाधिकार प्राप्त और बैंक विहीन जनसमुदाय को बचत और ऋण सुविधाएं देना यह उद्देश्य होने के कारण शसबैं को चाहिये कि वह केवाईसी के विषय में समय समय पर जारी किये मार्गदर्शी सिद्धान्तों के पैरामीटर के भीतर लचीला दृष्टिकोण अपनाएं। केवाईसी मानदंडों के अंतर्गत पहले से ही किसी सुपरिचित व्यक्ति से परिचय कराने के अतिरिक्त शसबैं मध्यस्थों के रूप में नियुक्त व्यवसाय प्रतिनिधि, ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी (बीओडी), ग्रामपंचायत के प्रमुख, संबंधित डाक कार्यालय के पोस्ट मास्टर अथवा बैंक को ज्ञात किसी अन्य लोक पदाधिकारी द्वारा जारी किये गये पहचान प्रमाणपत्रों पर निर्भर कर सकता है।

बीएफ और बीसी की नियुक्ति की अन्य शर्तें एवं निबंधन

9.1 चूंकि मध्यवर्ती संस्थाओं की बीएफ/बीसी के रूप में नियुक्ति करने में प्रतिष्ठायुक्त, कानूनी और परिचालनगत जोखिम निहित हैं अत: शसबैं द्वारा इन जोखिमों पर उचित रूप से सोच-विचार किया जाना चाहिये। किफायती तरीके से व्याप्ति बढ़ाने के अलावा जोखिम प्रबंध के लिए प्रौद्योगिकी आधारित साधनों का उपयोग करने के प्रयास भी किये जाने चाहिये।

9.2 शसबैं की शाखाओं के आवधिक दौरों के दौरान बीएफ/बीसी के कार्यकलापों की विशेष रूप से जांच पड़ताल करनेवाले नियंत्रक प्राधिकारी द्वारा बीएफ/बीसी मॉडेल के कार्यान्वयन की बारीकि से निगरानी की जानी चाहिये। साथ ही बीएफ/बीसी के कार्यान्वयन की आवधिक जांच करने के लिए शसबैं बोर्ड स्तर पर संस्थागत प्रणाली स्थापित करें।

9.3 बैंकिंग सेवाओं का अधिकाधिक व्यापन करने के उद्देश्य से शसबैं विभिन्न साधनों के जरिये अपने ग्राहकवर्ग को उनकी संबंधित मातृभाषाओं में बैंकिंग की सेवाओं, बीसी की भूमिका और ग्राहक के प्रति उनके दायित्व के संबंध में शिक्षित करने की दिशा में भरपूर प्रयासों का प्रवर्धन करें - जैसे मुद्रण, इलेक्ट्रॉनिक आदि। और उनके द्वारा बीसी मॉडेल के कार्यान्वयन के विषय में व्यापक प्रसार करें।

9.4 शसबैं द्वारा नियुक्त बीसी के विषय में जानकारी शसबैं की वेबसाइट पर रखी जाए। शसबैं की वार्षिक रिपोर्ट में बीसी मॉडेल के माध्यम से बैंकिंग सेवाओं को प्रदान करने के संबंध में हुई प्रगति और इस संबंध में शसबैं द्वारा किये गये पहलों को शामिल किया जाए।

9.5 नकदी प्रबंध को कारगर बनाने हेतु शसबैं जहां पर न्यायसंगत हो वहां पर उचित नकदी संक्रमण बीमा सहित ‘नकदी मार्गों’ (आपसी तौर पर एक-दूसरे के सन्निकट विभिन्न बीसी को आधारभूत शाखा से जोड़ते हुए) को अपनाने पर विचार कर सकते हैं।

9.6 शसबैं बीसी की अभिरक्षा अथवा उसके कब्जे में ग्राहक जानकारी की सुरक्षितता और गोपनीयता के परिरक्षण को सुनिश्चित करें।

9.7 शसबैं बीसी की प्रारंभिक स्थापना लागत और अन्य लागतें वहन करने पर विचार करें और कम से कम प्रारंभिक स्तर पर बीसी को हैंडहोल्डिंग सहायता प्रदान करें। शसबैं बीसी को उचित रूप से अस्थायी ओव्हरड्राफ्ट देने पर विचार करें।

9.8 शसबैं बीसी में उचित विचार अनुस्थापन और निपुणता लाने की दृष्टि से स्थानिक भाषा/ओं में उचित प्रशिक्षण मोडयुल्स विकसित करें।

9.9 शसबैं बीसी मॉडेल का कार्यान्वयन करते समय 4 जुलाई 2007 के परिपत्र यूबीडी नं। बीपीडी (पीसीबी) नं। 2/09।18।300/2007-08 में यथानिर्दिष्ट यथोचित प्रौद्योगिकी अपनाने पर प्रचलित रिज़र्व बैंक दिशानिर्देशों का कठोरतापूर्वक अनुपालन करें।

भवदीय,

(ए.उदगाता)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक: अनुबंध।


अनुबंध

बीएफ/बीसी की समुचित सावधानी के लिए संकेतक पैरामीटर

व्यवसाय सहायक/प्रतिनिधि के रूप में नियुक्ति की जानेवाली कंपनियों के मामले में समुचित सावधानी मुख्य जोखिमों और कंपनियों की अलग-अलग क्षमताओं के विषय में अभिनिर्धारित अन्य जोखिमों को प्रभावित करेगी। यहां पर लघु वित्त संस्थानों और अन्य कंपनियों का एजेंसी/निधीयन संबंधों के लिए विचार करते समय जो समुचित सावधानी बरतनी जानी जाहिये उसके संकेतक पैरामीटरों का उल्लेख किया गया है

(क) एनजीओ/एमएफआई के मामले में समुचित सावधानी

(क) चार्टर और पंजीकरण - सर्वप्रथम इसकी जांच की जानी चाहिये कि क्या एमएफआई/एनजीओ के चार्टर और उद्दिष्ट उसे प्रस्तावित गतिविधियों को विशेषत: वित्तीय मध्यस्थता के रूप में, हाथ में लेने की अनुमति प्रदान करते हैं ?

(ख) स्थान में उपस्थिति - जिन एमएफआई/एनजीओ की संबंधित स्थान में न्यायसंगत समय के लिए पर्याप्त मौजुदगी हो उन्हें वरीयता दी जाए क्योंकि उस समय के भीतर वे बेहतर नेटवर्क विकसित कर पाते हैं और स्थानीय स्थितियों को समझ लेते हैं।

(ग) प्रबंध और नियंत्रण ढांचा - कई एनजीओ/एमएफआई अधिकांशत: मात्र संस्थापकों द्वारा चलाये जाते हैं। यह आवश्यक है कि संबंधित कंपनी के नियंत्रक निकाय की संरचना की जांच की जाए ताकि इस बात का आकलन किया जा सके कि क्या वह प्रवर्तक से स्वतंत्र रहकर कार्य कर सकता है और प्रबंध का दूसरा स्तर विद्यमान है अथवा नहीं।

(घ) श्रमशक्ति गुणवत्ता और प्रतिधारण क्षमता - नये कार्य को हाथ में लेने की दृष्टि से श्रमशक्ति की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाना चाहिये। यदि पर्याप्त संख्या में उपलब्ध न हो तो भर्ती अथवा प्रशिक्षण के जरिये श्रमशक्ति बढ़ाने के संबंध में एमएफआई/एनजीओ की योजनाओं पर विचार किया जाना चाहिये।

(ङ) सामाजिक बनाम लाभ उन्मुखता - अक्सर एनजीओ/एमएफआई सामाजिक सेवा-उन्मुख होते हैं जो वित्तीय मध्यस्थता जैसे कार्य हाथ में लेने में बाधा बन सकते हैं। इसका सावधानी से आकलन किया जाना चाहिये क्योंकि ये दोनों बहुतही भिन्न-भिन्न क्षमताएं हैं।

(च) लेखा प्रणालियां - लेखा प्रणालियों और पद्धतियों का बारीकि से अध्ययन किया जाना जरूरी है विशेष रूप से उस मामले में जब वित्तीय मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए एमएफआई/एनजीओ का विचार किया जा रहा हो।

(छ) धर्म निरपेक्ष और सामाजिक उन्मुखता - एमएफआई/एनजीओ अधिमानत: जाति, लिंग, राजकीय संलग्नता और धार्मिक सीमारेखाओं के मामले में निष्पक्षपाती हो। जबकि अपने कार्य में विशिष्ट समूहों अथवा समुदायों पर ध्यान केंद्रित करते समय उसमें कोई नकारात्मक भेदभाव नहीं होना चाहिए। वंचित, गरीब और असुविधाओंवाले खंडों, जिनमें महिलाएं शामिल हैं, आदि की जिम्मेदारी लेने की कंपनी की बचनबद्धता पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

(ज) दाताओं, साझेदारों और रईसों का मूल्यांकन - दाताओं, साझेदारों और रईसों द्वारा एमएफआई/ एनजीओ का मूल्यांकन उसकी क्षमताओं के आकलन के लिए महत्वपूर्ण होगा। यह जानकारी एसे कार्यों से जुड़े दाताओं, साझेदारों और रईसों तथा सरकारी एजेंसियों के साथ स्वतंत्र रूप से चर्चा करने से प्राप्त की जा सकती है।

(झ) वित्तीय रिपोर्टिंग - एमएफआई/एनजीओ की वित्तीय रिपोर्टिंग पारदर्शिता और स्थल के कानूनों का अनुपालन दोनों की स्थिति की ओर संकेत करती है। यह देखा जाए कि रिपोर्टिंग प्राधिकारी, सरकार और दाताओं आदि को वित्तीय रिपोर्टिंग करने में सातत्य है अथवा नहीं।

(ख) एमएसीएस के अंतर्गत समितियों जैसे एसएचजी फेडरेशन के मामले में समुचित सावधानी

संघबद्ध ढांचे के मामले में फेडरेशन की मज़बूती घटक एसएचजी की सुस्थिति पर निर्भर करती है क्यों कि वित्तीय आस्तियां एसएचजी के पास होंगी। इसलिए समुचित सावधानी के पैरामीटर विशिष्ट एमएफआई से थोड़े से अलग होंगे। फेडरेशन का दर्जा निर्धारित करने के लिए कुछ पैरामीटर इस प्रकार होंगे:

(क) नियंत्रण संबंधी

  1. फेडरेशन की आवधिक अंतरालों पर, अधिमानत: छमाही आधार पर अपने एसएचजी घटकों का दर्जा निर्धारित करने की प्रणाली होनी चाहिए। कम से कम 75% एसएचजी का दर्जा निर्धारण सुस्पष्ट तरीके से व्याख्यायित पैरामीटरों पर किया जाना चाहिये।

  2. फेडरेशन पंजीकृत निकाय हो और उसमें कानूनी दायित्वों को समझने और उनमें भाग लेने की क्षमता होनी चाहिए।

  3. फेडरेशन का परिचालन क्षेत्र निश्चित रूप से स्पष्ट किया गया हो और केवल प्राथमिक एसएचजी उसके सदस्य हों।

  4. फेडरेशन का चयनित बोर्ड हो जो नियमित अंतरालों पर बैठकें आयोजित करें।

  5. फेडरेशन के लेखों की लेखापरीक्षा की जानी चाहिये और लेखा अवधि की समाप्ति से छ: महीने की अवधि के भीतर जनरल बॉडी के समक्ष प्रस्तुत किये जाने चाहिये।

  6. फेडरेशन ने सभी सांविधिक विवरणियों को उचित प्राधिकारण के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।

(ख) वित्त संबंधी

  1. फेडरेशन को बचत और ऋण परिचालनों से परिचालनगत लाभ होना चाहिये।

  2. एसएचजी स्तर पर बचत राशियों का संग्रहण निर्धारित राशि के कम से कम 90% तक होना चाहिये।

  3. शेयर पूंजी जुटाने का काम बकाया न रहे।

  4. फेडरेशन निरंतर आधार पर 90% अथवा उससे अधिक का चुकौती कार्यनिष्पादन दर्शाता रहे।

  5. ऋण आस्तियों का 95% हिस्सा अर्जक श्रेणी में हो।

  6. फेडरेशन ने पर्याप्त ऋण हानि प्रावधान करने चाहिये।

  7. फेडरेशन व्यक्ति और समूहों के लिए निवेश मानदंड निश्चित रूप से निर्धारित करें।

(ग) अन्य कंपनियों के मामले में समुचित सावधानी

एमएफआई और एनजीओ के अलावा अन्य कंपनियों के मामले में समुचित सावधानी अधिक सख्ती से बरती जाए। जिन पहलुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिये वे हैं :-

(i)निगमन और प्रवर्तकों के ब्यौरे (ii) प्रबंध स्टाफ के ब्यौरे जिसमें अर्हता, अनुभव, अन्य व्यवसाय गतिविधियां, वित्तीय स्थिति आदि का उल्लेख किया गया हो (iii) कर्मचारी स्तर पर विशेषज्ञता के ब्यौरे (iv) उपलब्ध मूलभूत संरचना का प्रकार (v) वित्तीय स्थिति (vi) वर्तमान व्यवसाय संबंध और उनका दर्जा (vii) विभिन्न स्थानीय नियमों और विनियमों का कठोर अनुपालन।

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