भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) – विधिसम्मत देय राशियों (dues) के बदले, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के अंतर्गत, ईक्विटी शेयर जारी करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) – विधिसम्मत देय राशियों (dues) के बदले, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के अंतर्गत, ईक्विटी शेयर जारी करना
भारिबैंक/2014-15/234 17 सितंबर 2014 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) – विधिसम्मत देय राशियों (dues) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी के मार्फत अधिसूचित, समय-समय पर यथा संशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000, 1 अक्तूबर 2004 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.15 एवं 19 अक्तूबर 2012 की अधिसूचना सं.फेमा.242/2012-आरबी की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. उक्त अधिसूचना की अनुसूची 1 के पैराग्राफ 2(4) के अनुसार प्रवेश मार्ग, सेक्टोरल कैप, कीमत निर्धारण संबंधी दिशानिर्देशों और लागू कर कानूनों संबंधी कतिपय शर्तों का अनुपालन करते हुए, कोई भारतीय कंपनी तकनीकी जानकारी हेतु एकमुश्त फीस, रायल्टी, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)(भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार बाह्य वाणिज्यिक उधार समझे गये आयात ड्यूज अथवा ट्रेड क्रेडिट्स से भिन्न) तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की इकाइयों द्वारा कैपिटल गुड्स के आयात देय राशियों के बदले भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति को, स्वचालित मार्ग के अंतर्गत, शेयर/ परिवर्तनीय डिबेंचर जारी कर सकती है। 3. स्वचालित मार्ग के अंतर्गत शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों को जारी करने से संबंधित वर्तमान दिशानिर्देशों की भारत सरकार के परामर्श से समीक्षा की गई है और तदनुसार यह निर्णय लिया गया है कि निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी द्वारा देय अन्य निधियों के बदले ईक्विटी शेयर जारी करने की अनुमति दी जाए यदि ऐसे विप्रेषणों हेतु भारत सरकार अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 एवं उसके तहत निर्मित नियमों/विनियमों अथवा जारी निदेशों के अनुसार अनुमति लेने की आवश्यकता न होती हो, बशर्ते: i. सेक्टोरल कैप, कीमत निर्धारण संबंधी दिशानिर्देशों, आदि के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथासंशोधित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार ईक्विटी शेयर जारी किए जा सकेंगे; स्पष्टीकरण: शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों को जारी करने के जिन मामलों में फेमा 20 की अनुसूची 1 के पैराग्राफ 3 के अनुसार भारत सरकार की अनुमति आवश्यक हो अथवा आयात ड्यूज जिन्हें बाह्य वाणिज्यिक उधार अथवा अथवा ट्रेड क्रेडिट्स समझा जाए अथवा पुरानी (सेकेन्ड हैन्ड) मशीनरी के आयात के प्रति देय हो, उनके निपटान वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार किए जाएंगे; ii. इस प्रावधान के तहत जारी ईक्विटी शेयर उन कानूनों के तहत होंगे जो देय निधियों पर लागू होते हैं और ईक्विटी में उनका परिवर्तन ऐसे करों को घटाकर किया जाएगा। 4. स्वचालित मार्ग {देखें 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.20/2000-आरबी की अनुसूची 1 के पैराग्राफ 2(4)(i)(ii)(iii)} एवं सरकारी अनुमोदन मार्ग (देखें 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.20/ 2000-आरबी की अनुसूची 1 के पैराग्राफ 3) के अंतर्गत ईक्विटी शेयरों को जारी करने से संबंधित सभी अन्य शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी। 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों / ग्राहकों को अवगत करायें । 6. रिज़र्व बैंक ने 2 सितंबर 2014 के जीएसआर सं.632 के मार्फत 10 जुलाई 2014 की अधिसूचना सं. फेमा.315/2014-आरबी के जरिए विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (बारहवां संशोधन) विनियमावली, 2014 के द्वारा अब संबंधित विनियमावली को तदनुसार संशोधित कर दिया है। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय, (बी.पी.कानूनगो) |