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बाह्य वाणिज्यिक उधार और एकमुश्त शुल्क/रॉयल्टी का ईक्विटी में परिवर्तन

 

आरबीआइ/2004-05/203

ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.15

अक्तूबर 01, 2004

सेवा में

विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिवफ्त सभी बैंक

मबेदया/मबेदय

बाह्य वाणिज्यिक उधार और एकमुश्त शुल्क/रॉयल्टी का ईक्विटी में परिवर्तन

प्राधिवफ्त व्यापारी बैंकों का ध्यान नवंबर 14, 2003 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.34 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार भुगतान/ चुकौती के लिए देय एकमुश्त तकनीकी ज्ञान शुल्क / रॉयल्टी और बाह्य वाणिज्यिक उधार पर ईक्विटी/ अधिमानी शेयरों के निर्गम की अनुमति दी गई थी बशर्ते सभी लागू कर देयताओं को पूरा और निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन किया गया हो।

2. भारत सरकार, वित्त मंत्रालय ने इस मुे िकी समीक्षा की है, देखें सितंबर 29, 2004 की प्रेस विज्ञप्ति (प्रतिलिपि संलग्न है)। तदनुसार यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्यिक उधार के ईक्विटी में परिवर्तन को निम्नलिखित शर्तों के अधीन सामान्य अनुमति दी जाए :

(व) कंपनी के कार्यकलापों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए स्वत: अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत सुरक्षा दी जाती है अथवा उन्होंने कंपनी में विदेशी ईक्विटी के लिए सरकारी अनुमोदन प्राप्त किया था,

(वव) ऋणों के ईक्विटी में ऐसे परिवर्तन के बाद विदेशी ईक्विटी, यदि कोई सेक्टोरल कैप, हो, के अंतर्गत है।

(ववव) सूचीबद्ध/ गैर-सूचीबद्ध कंपनियां, जैसा भी मामला हो, में शेयरों का मूल्यांकन सेबी और पूर्ववर्ती पूंजी निर्गम नियंत्रक मार्गदर्शी सिद्धांतों/ विनियमों के अनुसार है।

(वख्) प्रचलित किसी अन्य कानून अथवा विनियम के अंतर्गत निर्धारित अपेक्षाओं का अनुपालन।

3. यह स्पष्ट किया जाता है कि रिज़र्व बैंक के साधारण अथवा विशेष अनुमति से लिए गए सभी बाह्य वाणिज्यिक उधारों के लिए परिवर्तन सुविधा उपलब्ध है। यह सुविधा चुकौती के लिए देय अथवा अदेय और अनिवासी सहायोगियों से लिए गए ज़मानती/ गैर-ज़मानती ऋण जैसे बाह्य वाणिज्यिक उधारों पर भी लागू है। तथापि, बाह्य वाणिज्यिक उधार के रूप में समझे जानेवाले आयात देयों के संबंध में ईक्विटी/ अधिमानी शेयरों में परिवर्तन की सुविधा नहीं होगी।

4. रिपोर्टिंग की अपेक्षाएं - बाह्य वाणिज्यिक उधार का ईक्विटी में परिवर्तन :

बाह्य वाणिज्यिक उधार के परिवर्तन पर शेयरों के निर्गम के ब्योरे नीचे दर्शाए अनुसार रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को रिपोर्ट किए जाएं :

व) बाह्य वाणिज्यिक उधार के ईक्विटी में पूर्णत: परिवर्तन के मामले में कंपनी पार्म एपसी-जीपीआर में परिवर्तन की सूचना रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को तथा पार्म ईसीबी-2 में सांख्यकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, बांद्रा-कुर्ला संकुल, मुंबई 400 051 को संबंधित महीने की समाप्ति से सात कार्य दिवस के अंदर प्रस्तुत करेगा। "ईक्विटी में पूर्णत: परिवर्तित बाह्य वाणिज्यिक उधार" शब्द ईसीबी-2 पार्म के ऊपर स्पष्ट रूप से लिखा जाए। एक बार रिपोर्ट करने के बाद अनुवर्ती महीनों में ईसीबी-2 को भरने की आवश्यकता नहीं है।

वव) बाह्य वाणिज्यिक उधार के आंशिक परिवर्तन के मामले में कंपनी एपसी-जीपीआर पार्म में परिवर्तित भाग की सूचना संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को और ईसीबी-2 पार्म में अपरिवर्तित भाग से परिवर्तित भाग का स्पष्ट अंतर दर्शाते हुए प्रेषित करें। " ईक्विटी में अंशत: परिवर्तित बाह्य वाणिज्यिक उधार" शब्द ईसीबी-2 पार्म के ऊपर लिखा जाए। अनुवर्ती महीनों में बाह्य वाणिज्यिक उधार के बकाया भाग की सूचना जनवरी 31, 2004 के एपी(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.60 में दिए गए अनुदेशों के अनुसार सांख्यकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग को ईसीबी-2 पार्म में सूचित किया जाए।

5. एकमुश्त शुल्क/ रॉयल्टी का ईक्विटी में परिवर्तन:

हम उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 2 की ओर भी आपका ध्यान आकर्षित करते हैं। एकमुश्त शुल्क अथवा रॉयल्टी के परिवर्तन द्वारा ईक्विटी/ अधिमानी शेयरों के निर्गम के संबंध में उसके ब्योरे रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को एपसी-जीपीआर पार्म में रिपोर्ट किए जाएंगे।

6. दिनांक मई 3, 2000 के विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 के आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं, देखें दिनांक मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. पेमा 20/2000-आरबी।

7. प्राधिवफ्त व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें।

8. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

 

 

भावदीया

 

(ग्रेस कोशी)

मुख्य महाप्रबंधक

(अक्तूबर 01, 2004 के एपी(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.15 का संलग्नक)


प्रेस विज्ञप्ति

भारत सरकार

वित्त मंत्रालय

आर्थिक कार्य विभाग

बुधवार,
सितंबर 29, 2004

विदेशी निवेश प्रक्रिया को सरल बनाना

विदेशी निवेशकों के लिए भारत में परिवेश को और बेहतर बनाने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया है कि तत्काल और कारगर निवेश अनुमोदन के लिए निम्नलिखित को वर्तमान सरकारी अनुमोदन मार्ग (अर्थात् एपआइपीबी मार्ग) के बदले सामान्य अनुमति मार्ग (अर्थात् भारिबैंक मार्ग) के अधीन रखकर प्रक्रिया को और सरल बनाया जाए :

क) वित्तीय सेवा क्षेत्र से इतर में निवासी द्वारा अनिवासी को शेयरों का अंतरण (अभिदाता के शेयरों का अनिवासी को अंतरण सहित) बशर्ते निवेश स्वत: अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत कवर किया जाता है, सेबी (शेयरों का पर्याप्त अधिग्रहण और टेकओवर) विनियमावली, 1997 के प्रावधान इस पर लागू नहीं होते हैं, क्षेत्रीय सीमा के अंतर्गत आता है, साथ ही निर्धारित कीमत निर्धारण के मार्गदर्शी सिद्धांत का अनुपालन करता है।

ख) ईसीबी/ ऋण का ईक्विटी में परिवर्तन बशर्ते कंपनी का कार्यकलाप स्वत: अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत कवर किया जाता है, ऐसे परिवर्तन के बाद विदेशी ईक्विटी क्षेत्रीय सीमा के अंतर्गत आता है तथा निर्धारित कीमत निर्धारण के मार्गदर्शी सिद्धांतों का अनुपालन करता है।

ग) शेयरों के नए निर्गम, साथ ही ईक्विटी पूंजी में अधिमानी शेयरों के परिवर्तन द्वारा विदेशी ईक्विटी सहभागिता में वफ्द्धि के मामले, बशर्ते ऐसी वफ्द्धि संबंधित क्षेत्रों में क्षेत्रीय सीमा के अंतर्गत है और वह स्वत: अनुमोदित मार्ग के अंदर हैं और निर्धारित कीमत निर्धारण के मार्गदर्शी सिद्धांतों का अनुपालन करता है।

उपर्युक्त पैरा 1 में दिए गए प्रक्रियागत सरलीकरण के संबंध में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति के अंतर्गत निर्धारित क्षेत्रीय सीमाओं और अन्य मार्गदर्शी सिद्धांतों/ विनियमों के अनुपालन का दायित्व खरीददार और विक्रेता/ जारीकर्ता पर होगा।

प्रक्रिया के सरलीकरण के ब्योरे देनेवाले आवश्यक अधिसूचना/ परिपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पेमा के अंतर्गत जारी किए जाएंगे।

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