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भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति की समीक्षा - सेक्टर विशेष संबंधी शर्तें – रक्षा क्षेत्र

भारिबैंक/2014-15/340
ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 46

8 दिसंबर 2014

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
नीति की समीक्षा - सेक्टर विशेष संबंधी शर्तें – रक्षा क्षेत्र

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 1 के विनियम 14 और संलग्नक "बी" की ओर आकृष्ट किया जाता है। उक्त अधिसूचना की अनुसूची 1 के अनुसार औद्योगिक (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 के अंतर्गत लाइसेन्स के अधीन रक्षा उद्योग में सरकारी मार्ग से 26 % तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। 26% से अधिक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रस्ताव, मामले दर मामले के आधार पर, सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमीटी के अनुमोदन के अधीन प्रदान किए जाएंगे जहां कहीं इनसे देश के आधुनिक और आधुनिकतम तकनीक तक पहुंचने की संभावना हो।

2. रक्षा क्षेत्र के लिए वर्तमान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति की अब समीक्षा की गई है। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग ने रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय द्वारा अंतिम रूप दी गई रक्षा मदों की सूची उपलब्ध कराई है और यह स्पष्ट किया है कि उक्त सूची में जिन मदों का उल्लेख नहीं है उनके लिए रक्षा प्रयोजन संबंधी औद्योगिक लाइसेन्स लेने की जरूरत नहीं है। दोहरे उपयोग वाली मदें, जो मिलिटरी के साथ-साथ नागरिक उपयोग के लिए भी हैं और उक्त सूची में जिनका विशिष्ट रूप से उल्लेख नहीं है, उनके लिए रक्षा उद्योग के दृष्टिकोण से औद्योगिक लाइसेन्स लेने की भी जरूरत नहीं होगी। रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय द्वारा लाइसेंसीकृत रक्षा उद्योगों के लिए सुरक्षा मैन्युअल तैयार किया गया है।

3. इसके अलावा, समीक्षा करने पर, 26 अगस्त 2014 के प्रेस नोट 7 (2014 सीरीज़) में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन, रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश अर्थात एफ़डीआई, एफ़आईआई, आरएफ़पीआई, एनआरआई, एफ़वीसीआई और क्यूएफ़आई द्वारा सरकारी मार्ग के अंतर्गत 49% तक निवेश करने की अनुमति 26 अगस्त 2014 से दी गई है। पोर्टफोलियो निवेश (आरएफ़पीआई/एफ़आईआई/एनआरआई/क्यूएफ़आई) और एफ़वीसीआई निवेश, निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी की कुल ईक्विटी के 24% से अधिक नहीं होंगे। पोर्टफोलियो निवेश स्वचालित मार्ग के अंतर्गत होंगे।

4. प्रेस नोट 7 (2014 सीरीज़) द्वारा उपलब्ध कराये गए दिशानिर्देशानुसार रक्षा क्षेत्र से संलग्न सूचीबद्ध निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी आरएफ़पीआई (क्यूएफ़आई और एफ़आईआई सहित), एनआरआई (10% से अनधिक) और एफ़वीसीआई के लिए अब निर्दिष्ट 24% की निर्दिष्ट सीमा में पोर्टफोलियो निवेश सीमाएं तत्काल आबंटित करे और रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, विदेशी निवेश प्रभाग, मुंबई से संपर्क करे ताकि आबंटित सीमाओं की निगरानी रिज़र्व बैंक द्वारा की जा सके।

5. औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इस संबंध में जारी 26 जून 2014, 08 जुलाई 2014 और 26 अगस्त 2014 के क्रमशः प्रेस नोट सं. 3,6,7 (2014 सीरीज़) की प्रतिलिपियां संलग्न हैं।

6. 13 नवंबर 2014 के जीएसआर सं. 799 (ई) के जरिए रिज़र्व बैंक ने 5 सितंबर 2014 की अधिसूचना सं. फेमा. 319/2014-आरबी के द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2014 के मार्फत अब मूल विनियमावली को संशोधित कर दिया है।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबन्धित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं ।

8. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(बी॰पी॰कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

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