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सीमित देयता भागीदारी फर्म (LLP) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

भारिबैंक/2013-14/566
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.123

16 अप्रैल 2014

सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

सीमित देयता भागीदारी फर्म (LLP) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची I की ओर आकृष्ट किया जाता है। मौजूदा अनुदेशों के अनुसार कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत गठित कोई कंपनी अथवा जोखिम पूंजी निधि (VCF) ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश स्वीकार करने के लिए पात्र है।

2. अब यह निर्णय लिया गया है कि सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के अंतर्गत गठित सीमित देयता भागीदारी फर्म अनुबंध I में दी गयी शर्तों के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश स्वीकार करने के लिए पात्र होंगी।

3. औद्द्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (DIPP), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इस संबंध में जारी 20 मई 2011 के प्रेस नोट सं.1 (2011 सीरीज) की प्रतिलिपि संलग्न है। औद्द्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (DIPP) द्वारा इस बाबत जारी 5 अप्रैल 2013 के समेकित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति संबंधी वर्ष 2013 के परिपत्र सं.1 के पैराग्राफ 3.2.5 की ओर भी आपका ध्यान आकृष्ट किया जाता है।

4. रिजर्व बैंक ने अब विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (तीसरा संशोधन) विनियमावली, 2014 के जरिए मूल विनियमावली को संशोधित कर दिया है जो 19 मार्च 2014 के जीएसआर सं.190 (ई) के मार्फत 13 मार्च 2014 की अधिसूचना सं.फेमा. 298/2014-आरबी के द्वारा अधिसूचित की गई है।

5. इस परिपत्र में जारी अनुदेश 20 मई 2011 से प्रभावी होंगे। तथापि, सीमित देयता भागीदारी फर्म/फार्मों (LLP) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की रिपोर्टिंग संबंधी अपेक्षा रिजर्व बैंक द्वारा इस बाबत जारी अनुदेशों की तारीख से लागू होगी। सीमित देयता भागीदारी फर्म (LLP) जिसने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) के अनुमोदन के तहत 20 मई 2011 से इस परिपत्र की तारीख तक विदेशी निवेश प्राप्त किया है, वह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संबंध में इस परिपत्र की तारीख से 30 अथवा 60 दिनों, यथा लागू, में रिपोर्टिंग अपेक्षा का अनुपालन करेगी।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय वस्तु से अपने संबंधित घटकों एवं ग्राहकों को अवगत कराएं।

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा),1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं ।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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