वित्तीय क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश-शेयरों का अंतरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
वित्तीय क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश-शेयरों का अंतरण
भारिबैंक/2013-14/366 11 नवंबर 2013 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, वित्तीय क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश-शेयरों का अंतरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (प्रा.व्या.श्रेणी I) बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 के विनियम 10(ए)(v) तथा 4 नवंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.43 के पैरा 2(बी) (iv) की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार निवासियों से अनिवासियों को शेयरों के अंतरण के लिए, जहां निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी वित्तीय सेवा क्षेत्र में है, संबंधित निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी के वित्तीय क्षेत्र के विनियामक/विनियामकों के साथ ही साथ अंतरणकर्ता एवं अंतरिती एंटिटीज़ के विनियामक/विनियामकों से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाना अपेक्षित है/किए जाने अपेक्षित हैं और ऐसा/ऐसे अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राधिकृत व्यापारी बैंक के पास फार्म एफसी-टीआरएस के साथ फाईल किया जाना/किए जाने चाहिए। 2. समीक्षा करने पर अब यह निर्णय लिया गया है कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के दृष्टिकोण से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करने की अपेक्षा से छूट दे दी जाएगी और ये अनापत्ति प्रमाणपत्र फार्म एफसी-टीआरएस के साथ फाईल करने की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, संबंधित वित्तीय क्षेत्र के विनियामक द्वारा अनिवासी निवेशक के संबंध में निर्धारित 'सही और उचित/समुचित सावधानी' संबंधी अपेक्षा/अपेक्षाओं का अनुपालन करना होगा। 3. उल्लिखित ए॰पी॰(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र में निहित अन्य अनुदेश अपरिवर्तित बने रहेंगे। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों और घटकों को अवगत कराएं। 5. रिज़र्व बैंक ने अब संबंधित विनियमावली में संशोधन किया है और उसे 4 अक्तूबर 2013 की अधिसूचना सं.फेमा.290/2013-आरबी के जरिये अधिसूचित किया है जिसे 11 अक्तूबर 2013 के जी.एस.आर. 682 (ई) के जरिये अधिसूचित किया गया है। 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |