प्रत्यक्ष विदेशी निवेश – एफवीसीआई को/द्वारा शेयरों को जारी करने/के अंतरण की रिपोर्टिंग - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश – एफवीसीआई को/द्वारा शेयरों को जारी करने/के अंतरण की रिपोर्टिंग
भारिबैंक/2012-13/529 12 जून 2013 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश – प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.20/2000-आरबी (इसके आगे अधिसूचना सं.फेमा.20 के रूप में उल्लिखित) के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 के विनियम 9 और 10 तथा अनुसूची । के पैरा 9 की ओर आकृष्ट किया जाता है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 30 मई 2008 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 44 तथा 22 अप्रैल 2009 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.63 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है। 2. उल्लिखित विनियमों के अनुसार, किसी भारतीय कंपनी के ईक्विटी शेयरों/पूर्णत: और अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचरों/पूर्णत: तथा अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय अधिमानी शेयरों (इसके आगे 'शेयरों' के रूप में उल्लिखित) के भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति (अनिवासी) से भारत में निवासी किसी व्यक्ति (निवासी) को अथवा इसके विपरीत अंतरण के बाबत हुए लेनदेनों की तारीख से 60 दिनों के भीतर उन्हें प्राधिकृत व्यापारी बैंक को रिपोर्ट किया जाना है। इसके अलावा, किसी अनिवासी को शेयरों के निर्गम के लिए प्रतिफल राशि की प्राप्ति के साथ ही साथ भारतीय कंपनी के शेयरों के निर्गम तत्सबंध में लेनदेन की तारीख से 30 दिनों के भीतर प्राधिकृत व्यापारी बैंक के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट किए जाने हैं। 3. यह देखा गया है कि समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा. 20/2000-आरबी की अनुसूची 1 के अनुसार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के तहत किसी भारतीय कंपनी में निवेश करते समय सेबी के पास पंजीकृत विदेशी जोखिम पूँजी निवेशक उल्लिखित अधिसूचना की अनुसूची 6 के तहत भी वही लेनदेन रिपोर्ट कर देते हैं, परिणामस्वरूप वही लेनदेन दो बार रिपोर्ट हो जाते हैं। 4. यह स्पष्ट किया जाता है कि सेबी के पास पंजीकृत विदेशी जोखिम पूँजी निवेशक, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.20/2000-आरबी की अनुसूची 1 के अनुसार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के तहत जब कभी किसी भारतीय कंपनी के शेयर अर्जित करता है, तो ऐसे निवेश, यथा लागू, केवल फार्म एफसी-जीपीआर/एफसी-टीआरएस में रिपोर्ट किए जाने चाहिए। यदि निवेश उल्लिखित अधिसूचना की अनुसूची 6 के तहत किया जाता है, तो एफसी-जीपीआर/एफसी-टीआरएस में उसकी रिपोर्टिंग नहीं करनी है। ऐसे लेनदेन कस्टोडियन बैंक के मार्फत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, यथा विनिर्दिष्ट मासिक रिपोर्टिंग फार्मेट में रिपोर्ट किए जाएंगे। संशोधित फार्म एफसी-जीपीआर और एफसी-टीआरएस इस ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र के साथ क्रमश: संलग्नक-। और संलग्नक-॥ के रूप में अनुलग्न किए गए हैं। 5. सेबी के पास पंजीकृत विदेशी जोखिम पूँजी निवेशक किसी भारतीय कंपनी में निवेश करते समय पहले ही (upfront) यह निर्धारित करे कि उल्लिखित निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के तहत है अथवा विदेशी जोखिम पूँजी निवेश योजना के तहत है और तदनुसार रिपोर्ट करे। विदेशी जोखिम पूँजी निवेश करने वाले निवेशकों के दिशानिर्देश के लिए, फार्म एफसी-जीपीआर के पैरा 3(4) तथा 5(ए)(4) और फार्म एफसी-टीआरएस के पैरा 4(4) और पैरा 5(4) में यथोचित टिप्पणी अंतर्निहित की गयी है, जो निम्नवत पढ़ी जाएगी: 'सेबी के पास पंजीकृत विदेशी जोखिम पूँजी निवेशक द्वारा किया गया/किए गए निवेश 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.20 की अनुसूची 1 के अनुसार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के तहत किया गया है/किए गए हैं।' 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 7. रिज़र्व बैंक ने अब 05 मार्च 1013 की अधिसूचना सं.फेमा.266/2013-आरबी के जरिये विनियमों में संशोधन किया है और 28 मई 2013 के जी.एस.आर.सं.341 (ई) के जरिये इसे अधिसूचित किया है। 8. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं । भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |