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विदेशी प्रत्यक्ष निवेश - विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के तहत शेयरों का निर्गम और अग्रिम विप्रेषणों की धनवापसी

आरबीआइ/2007-08/213
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.20

दिसंबर 14, 2007

सेवा में
सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश - विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के तहत
शेयरों का निर्गम और अग्रिम विप्रेषणों की धनवापसी

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी (अधिसूचना) द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की ओर आकर्षित किया जाता है।

2. अधिसूचना की अनुसूची 1 के अनुसार, भारत से बाहर निवासी व्यक्ति विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति के तहत किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी ईक्विटी शेयर/ अनिवार्यत: परिवर्तनीय अधिमानी शेयर और अनिवार्यत: परिवर्तनीय डिबेंचर (ईक्विटी लिखतें) खरीद सकता है तथा भारतीय कंपनी को उसमें निर्धारित शर्तों के अधीन ऐसी ईक्विटी लिखतों के निर्गम के लिए अग्रिम के रूप में प्रतिफल की राशि प्राप्त करने की अनुमति है। वही अनुसूची 1 के विनियम 9(1)(अ) के अनुसार भारतीय कंपनी को आवक प्रेषण की प्राप्ति की तारीख अथवा भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक के पास विदेशी निवेशक के अनिवासी विदेशी/ विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खाते के नामे डालने की तारीख के 30 दिनों के अंदर प्रतिफल की राशि की प्राप्ति रिपोर्ट निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार देनी है। इसके अतिरिक्त नवंबर 12, 2002 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं45 के अनुसार समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के विनियम 5(1) के तहत भारतीय कंपनियों को शेयरों की खरीद के लिए प्राप्त राशि को वापस करने की सामान्य अनुमति है।

3. भारत सरकार के परामर्श से इस विषय की समीक्षा की गई और यह निर्णय लिया गया है कि नवंबर 29, 2007 से विप्रेषण की प्राप्ति के 180 दिनों के अंदर ईक्विटी लिखतों को जारी किया जाए। आवक विप्रेषण की प्राप्ति की तारीख अथवा अनिवासी भारतीय/ विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खाते के नामे डालने की तारीख से 180 दिनों के अंदर ईक्विटी लिखतें जारी न किए जाने की स्थिति में, इस प्रकार प्राप्त प्रतिफल की राशि, सामान्य बैंकिंग चैनल अथवा अनिवासी विदेशी/ विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खाते में जमा के माध्यम से, जैसा मामला हो, जावक विप्रेषण द्वारा अनिवासी निवेशक को तत्काल वापस किया जाए। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक लेनदेन की वास्तविकता से खुद को संतुष्ट करने के बाद ऐसे जावक विप्रेषणों की अनुमति दें और कि विप्रेषण का कोई अंश अग्रिम के रूप में प्राप्त निधियों पर ब्याज नहीं है। उपर्युक्त प्रावधान के अनुपालन न करने की स्थिति को फेमा के तहत उल्लंघन माना जाएगा और उस पर दण्ड का प्रावधान हो सकता है।

4. अपवाद स्वरूप मामलों में प्राप्ति की तारीख से 180 दिनों से अधिक अवधि के प्राप्य प्रतिफल की राशि की वापसी के मामलों पर रिज़र्व बैंक गुण-दोषों पर विचार करेगा। तदनुसार प्राधिकृत व्यापारी बैंक ऐसे अग्रिमों की धनवापसी के लिए रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को आवेदन करें।

5. सभी मामलों में, जहां नवंबर 28, 2007 की स्थिति में, निधियों की प्राप्ति के बाद 180 दिन बीत चुके हैं तथा ईक्विटी लिखतें जारी नहीं की गई हैं, कंपनियों से अपेक्षित है कि वे ईक्विटी लिखतों के आबंटन अथवा अग्रिम की वापसी के लिए विशिष्ट अनुमोदन हेतु पूरे ब्योरों के साथ निश्चित कार्य योजना सहित अपने प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक के माध्यम से रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के विदेशी मुद्रा विभाग से संपर्क करें।

6. यह स्पष्ट किया जाता है कि ईक्विटी लिखतों पर अग्रिम स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत सिर्फ वही प्राप्त किया जाए जहां विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी जाती है।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।

8. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी) को संशोधित करनेवाली इस संबंध में नवंबर 29, 2007 का जीएसआर 737 (E) द्वारा अधिसूचित
अधिसूचना सं. फेमा 170/2007-आरबीकी प्रति संलग्न है।

9. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई 400 001.

अधिसूचना सं.फेमा /2007-आरबी

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का
अंतरण अथवा निर्गम) (तीसरा संशोधन) विनियमावली, 2007

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (ख) और धारा 47 द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000 (मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्-

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ :-

(i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (तीसरा संशोधन) विनियमावली 2007 कहलाएंगे।

(ii) ये सरकारी राजपत्र में प्रकाशित होने की तारीख से लागू होंगे।

2. विनियमावली में सेशोधन :-

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 में अधिसूचना की अनुसूची-1 के पैरा 8 में, निम्नलिखित परंतुक जोड़ा जाए :

आवक प्रेषण की प्राप्ति से 180 दिनों के अंदर शेयर अथवा परिवर्तनीय डिबेंचर न जारी करने की स्थिति में, ऐसे प्रेषणकर्ता, जो भारत से बाहर निवासी व्यक्ति हैं, को लौटाया जाएगा;

बशर्ते आगे यह कि रिज़र्व बैंक, अपने पास आवेदन प्राप्त होने पर तथा पर्याप्त कारण होते हुए प्रतिभूति जारी करने के लिए अग्रिम के तौर पर प्राप्त राशि को प्राधिकृत व्यापारी को लौटाने की अनुमति दे सकता है, जहां ऐसी राशि 180 दिनों से अधिक अवधि के लिए बकाया रहा हो।

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक


(i) पाद टिप्पणी : मूल विनियमावली सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 8, 2000 के जी.एस.आर. सं.406(E) में भाग II, खंड 3, उप-खंड (i) में प्रकाशित किए गए हैं और तत्पश्चात् निम्नानुसार संशोधित किए गए हैं :-

दिनांक 02.03.2001 का जीएसआर सं.158(E)
दिनांक 13.03.2001 का जीएसआर सं.175(E)
दिनांक 14.03.2001 का जीएसआर सं.182(E)
दिनांक 02.01.2002 का जीएसआर सं. 4(E)
दिनांक 19.08.2002 का जीएसआर सं.574()िं
दिनांक 18.03.2003 का जीएसआर सं.223(E)
दिनांक 18.03.2003 का जीएसआर सं.225(E)
दिनांक 22.07.2003 का जीएसआर सं.558(E)
दिनांक 23.10.2003 का जीएसआर सं.835(E)
दिनांक 22.11.2003 का जीएसआर सं.899(E)
दिनांक 07.01.2004 का जीएसआर सं.12(E)
दिनांक 23.04.2004 का जीएसआर सं.278(E)
दिनांक 16.07.2004 का जीएसआर सं.454(E)
दिनांक 21.09.2004 का जीएसआर सं.625(E)
दिनांक 08.12.2004 का जीएसआर सं.799(E)
दिनांक 01.04.2005 का जीएसआर सं.201(E)
दिनांक 01.04.2005 का जीएसआर सं.202(E)
दिनांक 25.07.2005 का जीएसआर सं.504(E)
दिनांक 25.07.2005 का जीएसआर सं.505(E)
दिनांक 29.07.2005 का जीएसआर सं.513(E)
दिनांक 22.12.2005 का जीएसआर सं.738(E)
दिनांक 19.01.2006 का जीएसआर सं. 29(E)
दिनांक 11.07.2006 का जीएसआर सं. 413(E)

 

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