विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण) विनियमावली, 2018 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण) विनियमावली, 2018
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा. 21(आर)/2018-आरबी 26 मार्च, 2018 विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण) विनियमावली, 2018 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा (3) के खंड (i), धारा 47 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 21/2000-आरबी को अधिक्रमित करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक निम्नलिखित विनियम निर्मित करता है, अर्थात:- 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ:- i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण) विनियमावली, 2018 कहलाएंगे। ii) वे सरकारी राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे। 2. परिभाषाएँ :- इन विनियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो - (ए) ‘अधिनियम’ का तात्पर्य विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) से है; (बी) "प्राधिकृत व्यापारी" का तात्पर्य उक्त अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी के रूप में प्राधिकृत किये गए व्यक्ति से है; (सी) ‘अनिवासी भारतीय (NRI)’ का तात्पर्य भारत से बाहर के निवासी उस व्यक्ति से है, जो भारत का नागरिक है; (डी) ‘भारत के ओवरसीज नागरिक (OCI)’ का तात्पर्य भारत से बाहर के निवासी उस व्यक्ति से है, जो नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7 (ए) के अंतर्गत भारत के ओवरसीज़ नागरिक (OCI)’ के रूप में कार्ड-धारक है; (ई) "भारत से बाहर प्रत्यावर्तन" का तात्पर्य भारत में प्राधिकृत व्यापारी से विदेशी मुद्रा की खरीद अथवा आहरण एवं उसे बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत से बाहर विप्रेषित करना अथवा किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास रखे विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गीकृत खाते अथवा भारतीय मुद्रा में रखे खाते में जमा (क्रेडिट) करने से है, जिसे विदेशी मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकता है; (एफ़) इस विनियमावली में प्रयुक्त शब्द एवं अभिव्यक्तियां, जिन्हें यहां परिभाषित नहीं किया गया है, उनके क्रमशः वही अर्थ होंगे जो अधिनियम में दिए गए हैं। 3. अनिवासी भारतीय अथवा भारत के ओवेरसीज़ नागरिक द्वारा भारत में संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण:- कोई अनिवासी भारतीय (NRI) अथवा कोई भारत का समुद्रपारीय नागरिक (OCI) (ए) कृषि-भूमि/ फार्म हाउस/ प्लैंटेशन संपत्ति से भिन्न किसी अचल संपत्ति का अधिग्रहण कर सकता है: बशर्ते, अचल संपत्ति के अंतरण, यदि को हो, के लिए प्रतिफल का भुगतान (i) भारत से बाहर के किसी स्थान से बैंकिंग चैनलों के जरिए आवक विप्रेषण से भारत में प्राप्त निधियों से अथवा (ii) अधिनियम के उपबंधों तथा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों अथवा विनियमों के अनुसार रखे गए किसी अनिवासी खाते में धारित निधियों से किया जाएगा। बशर्ते यह कि अचल संपत्ति के अंतरण संबंधी भुगतान यात्री चेक अथवा विदेशी करेंसी नोटों से अथवा इस खंड के तहत अनुमत विनिर्दिष्ट रूप से भिन्न किसी अन्य तरीके से नहीं किया जा सकेगा। (बी) कृषि-भूमि/ फार्म हाउस/ प्लैंटेशन संपत्ति से भिन्न अचल संपत्ति का अधिग्रहण भारत में निवासी किसी व्यक्ति अथवा अनिवासी भारतीय अथवा भारत के ओवरसीज़ नागरिक, जो किसी मामले में कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 (77) में यथापरिभाषित रूप से रिश्तेदार है, से उपहार के रूप में किया जा सकेगा। (सी) भारत से बाहर के निवासी ऐसे व्यक्ति, जिसने अचल संपत्ति (ए) तत्समय लागू विदेशी मुद्रा कानून के प्रावधानों के तहत अर्जित की थी अथवा इस विनियमावली के उपबंधों अथवा (बी) भारत में निवासी किसी व्यक्ति से विरासत में अचल संपत्ति प्राप्त कर सकता है। (डी) भारत में कोई अचल संपत्ति भारत में निवासी किसी व्यक्ति को अंतरित कर सकता है। (ई) भारत में कृषि-भूमि/ फार्म हाउस/ प्लैंटेशन संपत्ति से भिन्न कोई अचल संपत्ति किसी अनिवासी भारतीय (NRI) अथवा भारत के किसी ओवरसीज़ नागरिक (OCI) को अंतरित कर सकता है । 4. अनुमत गतिविधि(यों) के लिए अचल संपत्ति का अधिग्रहण:- भारत से बाहर का निवासी कोई व्यक्ति समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में शाखा कार्यालय अथवा संपर्क कार्यालय अथवा परियोजना कार्यालय अथवा अन्य कारोबारी स्थल की स्थापना) विनियमावली, 2016 के अनुसार, भारत में संपर्क कार्यालय को छोड़कर कारोबार करने के लिए शाखा, कार्यालय अथवा अन्य कारोबारी स्थान स्थापित करने हेतु – (ए) भारत में अचल संपत्ति अधिग्रहीत कर सकता है जो उसकी गतिविधियों के लिए आवश्यक अथवा प्रासंगिक हो; बशर्ते कि (i) तत्समय लागू सभी कानून, नियम, विनियम अथवा निदेश विधिवत रूप से अनुपालित होते हों, और (ii) ऐसा व्यक्ति, समय-समय पर, रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट IPI फॉर्म में घोषणापत्र ऐसे अधिग्रहण की तारीख से 90 (नब्बे) दिनों के भीतर फाइल करे। (बी) खंड (ए) के अनुसरण में अधिग्रहीत अचल संपत्ति को किसी प्रकार का उधार (कर्ज़) लेने हेतु किसी प्राधिकृत व्यापारी को जमानत के तौर पर गिरवी के रूप में अंतरित कर सकता है; बशर्ते यह कि पाकिस्तान अथवा बांग्लादेश अथवा श्रीलंका अथवा अफगनिस्तान अथवा चीन अथवा ईरान अथवा हाँगकाँग अथवा मकाऊ अथवा नेपाल अथवा भूटान अथवा डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (DPRK) के व्यक्ति पाँच वर्ष से अनधिक अवधि के लिए लीज़ पर लेने के सिवाय भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना अचल संपत्ति अधिग्रहित नहीं करें । 5. विदेशी दूतावासों / राजनयिकों / कांसुलेट जनरल द्वारा अचल संपत्ति की खरीद / बिक्री:- कोई विदेशी दूतावास / राजनयिक / कांसुलेट जनरल कृषि भूमि / प्लैंटेशन संपत्ति/ फार्म हाउस से भिन्न किसी अचल संपत्ति की खरीद / बिक्री कर सकता है, बशर्ते (i) भारत सरकार, विदेश मंत्रालय से उसकी खरीद/ बिक्री की अनुमति ली गई हो, और (ii) भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए प्रतिफल राशि का भुगतान विदेश से बैंकिंग चैनल के जरिये विप्रेषित निधियों से किया जाए। 6. किसी अनिवासी भारतीय (NRI) अथवा भारत के ओवरसीज़ नागरिक (OCI) की पत्नी/ पति द्वारा संयुक्त अधिग्रहण:- भारत से बाहर का निवासी कोई व्यक्ति, जो अनिवासी भारतीय (NRI) अथवा भारत का ओवरसीज़ नागरिक (OCI) नहीं है, किन्तु जो अनिवासी भारतीय (NRI) अथवा भारत के ओवरसीज़ नागरिक (OCI) की पत्नी/ पति है, वह (कृषि भूमि / फार्म हाउस/ प्लैंटेशन संपत्ति से भिन्न) अपने अनिवासी भारतीय, भारत के ओवरसीज़ नागरिक (OCI) पति / पत्नी के साथ संयुक्त रूप से एक अचल संपत्ति अधिग्रहीत कर सकता/ सकती है। बशर्ते कि
7. दीर्घकालिक वीजा-धारक द्वारा अधिग्रहण:- अफगानिस्तान, बांग्लादेश अथवा पाकिस्तान का कोई नागरिक, जो इन देशों में अल्पसंख्यक समुदाय से संबन्धित हो, जैसे : हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय से संबन्धित हो और भारत में रह रहा हो और केंद्र सरकार द्वारा उसे दीर्घ-कालिक वीजा (LTV) प्रदान किया गया हो, वह निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारत में स्वयं रहने के लिए केवल एक आवासीय अचल संपत्ति तथा स्व-रोजगार चलाने के लिए केवल एक अचल संपत्ति की खरीद कर सकता है: (ए) यह संपत्ति केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित ऐसे प्रतिबंधित/संरक्षित क्षेत्रों और कैंटॉन्मेंट क्षेत्रों के आस-पास स्थित न हो, (बी) संबंधित व्यक्ति उस जिले जहां यह परिसंपत्ति स्थित है, के राजस्व प्राधिकारी को एक घोषणा प्रस्तुत करें जिसमें निधियों का स्त्रोत तथा वह भारत में LTV पर रह रहा है का उल्लेख हो, (सी) परिसंपत्ति के पंजीकृत दस्तावेज़ में राष्ट्रीयता का उल्लेख हो तथा यह भी उल्लेख हो कि वह LTV पर है, (डी) भारत विरूद्ध गतिविधियों में शामिल होने पर ऐसे व्यक्ति की परिसंपत्ति कुर्क/ जब्त की जाएगी, (ई) खरीदी गई संपत्ति के दस्तावेजों की प्रतिलिपियां पुलिस उप-अधीक्षक (DCP) / विदेशी नागरिक पंजीकरण कार्यालय (FRO) / संबन्धित विदेशी नागरिक क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) तथा गृह मंत्रालय (विदेशी नागरिक अनुभाग) में प्रस्तुत करनी होगी । (एफ़) ऐसा व्यक्ति संपत्ति बेचने के लिए तभी पात्र होगा जब वह भारत की नागरिकता प्राप्त करें। तथापि, भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के पूर्व संपत्ति के अंतरण हेतु पुलिस उप-अधीक्षक (DCP) / विदेशी नागरिक पंजीकरण कार्यालय (FRO) / संबन्धित विदेशी नागरिक क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है। 8. बिक्रीगत आगम राशि का प्रत्यावर्तन :- (ए) अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (5) में संदर्भित कोई व्यक्ति अथवा उसका उत्तराधिकारी रिज़र्व बैंक की सामान्य अथवा विशिष्ट अनुमति के बिना इस उप-खंड में संदर्भित अचल संपत्ति की बिक्रीगत आगम राशि को भारत से बाहर विप्रेषित नहीं कर सकेगा। (बी) किसी अनिवासी भारतीय (NRI) अथवा भारत के ओवरसीज़ नागरिक (OCI) द्वारा कृषि भूमि / फार्म हाउस/ प्लैंटेशन संपत्ति से भिन्न भारत में स्थित किसी अचल संपत्ति की बिक्री के मामले में बिक्रीगत आगम राशि के भारत से बाहर प्रत्यावर्तन की अनुमति प्राधिकृत व्यापारी निम्नलिखित शर्तों के अधीन दे सकते हैं: (i) विक्रेता द्वारा अचल संपत्ति के अधिग्रहण के समय लागू विदेशी मुद्रा प्रबंध संबंधी उपबंधों अथवा इन विनियमों के उपबंधों के अनुसार अधिग्रहीत की गई हो; (ii) अचल संपत्ति के अधिग्रहण की राशि का भुगतान बैंकिंग चैनल के जरिए प्राप्त विदेशी मुद्रा अथवा FCNR खाते अथवा NRE खाते में जमा निधियों से किया गया हो; (iii) आवासीय संपत्ति के मामले में, बिक्रीगत आय का प्रत्यावर्तन केवल ऐसी दो सम्पत्तियों तक ही सीमित होगा। (सी) भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा समय-समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा उधार देना) विनियमावली, 2000 के अंतर्गत लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार के भुगतान में असफल होने के मामले में प्राधिकृत व्यापारी बैंक समुद्रपारीय उधारदाता को अथवा प्रतिभूति न्यासी (Security trustee) को (जिसके पक्ष में बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने हेतु जमानत के तौर पर अचल संपत्ति पर प्रभार सृजित किया गया हो) भारत में निवासी किसी व्यक्ति को ऐसी अचल संपत्ति की बिक्री के लिए अनुमति प्रदान सकता है और उक्त ऋण के बकाया के भुगतान के लिए ही बिक्रीगत आगम राशि के प्रत्यावर्तन की अनुमति दे सकता है किन्तु किसी अन्य ऋण के लिए नहीं। 9. कतिपय देशों के नागरिकों द्वारा भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण अथवा अंतरण पर रोक:- पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगनिस्तान, चीन, ईरान, नेपाल, भूटान, हाँगकाँग अथवा मकाऊ अथवा डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (DPRK) के नागरिक होने के कारण ऐसा कोई व्यक्ति, 5 साल से अनधिक अवधि के लिए लीज़ पर लेने के सिवाय, भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना भारत में कोई अचल संपत्ति अधिग्रहीत अथवा अंतरित नहीं कर सकेगा। बशर्ते यह रोक किसी भारत के ओवरसीज़ नागरिक (OCI) पर लागू नहीं होगी। स्पष्टीकरण : इस विनियम के प्रयोजन के लिए “नागरिक” शब्द में स्वाभाविक व्यक्ति और विधिक एंटिटी शामिल होंगी। 10. भारत में अचल संपत्ति के अंतरण पर रोक:- उक्त अधिनियम अथवा विनियमावली में उपबंधित के सिवाय, भारत से बाहर का निवासी कोई व्यक्ति भारत में किसी अचल संपत्ति का अंतरण नहीं कर सकेगा :- बशर्ते (i) पर्याप्त कारणों के होने पर रिज़र्व बैंक, यथावश्यक शर्तों के साथ, अंतरण की अनुमति दे सकता है। (ii) कोई बैंक, जो कि प्राधिकृत व्यापारी बैंक है, इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत, समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार देना अथवा उधार लेना) विनियमावली, 2000 के उपबंधों के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए भारत में निवासी किसी व्यक्ति को अथवा ऐसे व्यक्ति की ओर से भारत में ऐसे व्यक्ति की अचल संपत्ति पर समुद्रपारीय उधारदाता अथवा प्रतिभूति ट्रस्टी के पक्ष में प्रभार सृजित करने की अनुमति दे सकता है। (iii) भारत का प्राधिकृत व्यापारी, जो समुद्रपारीय उधारदाता का कोरेस्पोंडेंट है, वह रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में जारी निर्देशों के तहत अनिवासी भारतीय अथवा भारत का ओवरसीज़ नागरिक (OCI), जो भारत के बाहर स्थित किसी कंपनी का निदेशक है, उस कंपनी को ऋण देने हेतु उस निदेशक की भारत में स्वामित्व वाली अचल संपत्ति को गिरवी रख सकता है। बशर्तें
(iv) भारत से बाहर का निवासी कोई व्यक्ति जिसने अचल संपत्ति अधिग्रहित करने के समय लागू विदेशी मुद्रा संबंधी कानूनों अथवा रिज़र्व बैंक की समान्य अथवा विशिष्ट अनुमति के तहत भारत में कोई अचल संपत्ति अधिग्रहित की है, वह भारत में निवासी किसी व्यक्ति को ऐसी संपत्ति अंतरित कर सकता है बशर्ते लेन-देन समान्य बैंकिंग चैनल से किए जाएं एवं बशर्ते यह कि ऐसे व्यक्ति को इस प्रकार के अधिग्रहण से अन्यथा रूप में प्रतिबंधित न किया गया हो। 11. विविध:- इन विनियमों के अंतर्गत अचल संपत्ति के अर्जन अथवा अंतरण से संबन्धित लेनदेन :- (ए) भारत में बैंकिंग चैनल के जरिए किए जाएंगे । (बी) वे भारत में लागू करों तथा अन्य ड्यूटी/ लेवी आदि के भुगतान के अधीन होंगे। 12. छूट:- ऐसे अधिग्रहण के समय मौजूदा नीति के अनुसार भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा भारत में धारण की गई मौजूदा अचल संपत्ति के लिए इन विनियमों के अनुरूप संशोधन करने की आवश्यकता नहीं होगी। (ज्योति कुमार पांडे) पाद टिप्पणी : |