विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 - सेवाओं के आयात के लिए अग्रिम विप्रेषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 - सेवाओं के आयात के लिए अग्रिम विप्रेषण
आरबीआई/2008-09/158 08 सितंबर, 2008 सेवा में महोदय / महोदया विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 - सेवाओं के आयात के लिए अग्रिम विप्रेषण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 06 जनवरी 2003एपी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.65 के पैराग्राफ 3 की ओर आकर्षित किया जाता है , जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों के लिए अपेक्षित था कि वे भारत को आयात सेवाओं के लिए 100,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य से अधिक के अग्रिम विप्रेषण हेतु भारत से बाहर की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बैंक से गारंटी अथवा भारत की किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक से गारंटी प्राप्त करें,यदि ऐसी गारंटी भारत से बाहर की किसी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बैंक द्वारा काउंटर-गारंटी पर जारी की गयी हो । 2. क्रियाविधि को और अधिक सरल बनाने के उद्देश्य से सेवाओं के आयात के लिए बिना बैंक गारंटी के चालू खाते के सभी अनुमत लेनदेनों के अग्रिम विप्रेषण हेतु 100,000 अमरीकी डॉलर की सीमा को बढ़ाकर 500,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य तक करने का निर्णय लिया गया है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक ऐसे मामलों के निपटान के लिए बैंक के निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार अपना दिशा-निर्देश निर्धारित कर सकते हैं । 3. जहाँ अग्रिम विप्रेषण की राशि 500,000 अमरीकी डॉलर से अथवा उसके समतुल्य से अधिक हो ,वहाँ अग्रिम विप्रेषण हेतु समुद्रपारीय हिताधिकारी से भारत से बाहर की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बैंक अथवा भारत की किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक से ,यदि ऐसी गारंटी भारत से बाहर की किसी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बैंक द्वारा काउंटर-गारंटी पर जारी की गयी हो तो , गारंटी प्राप्त की जाये । 5. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राकों को अवगत करा दें। भवदीय (सलीम गंगाधरन) |