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विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसीडिंग्स) नियमावली, 2000 (नियमावली) फेमा, 1999 के अंतर्गत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग

भारिबैंक/2015-16/412
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.73

26 मई 2016

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय,

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा)
विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसीडिंग्स) नियमावली, 2000 (नियमावली)
फेमा, 1999 के अंतर्गत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग

कृपया फेमा,1999 के अंतर्गत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग के संबंध में भारिबैं/एफईडी/2015-16/1 के तहत 1 जनवरी 2016 को जारी एफईडी मास्टर निदेश सं.4/2015-16 देखें।

2. 1 जून 2000 से लागू विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसीडिंग्स) नियमावली, 2000 के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक को धारा 7, 8 और 9 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खातेगत लेनदेन) (FEMCAT) नियमावली, 2000 की तीसरी अनुसूची से संबंधित उल्लंघनों की कंपाउंडिंग करने की शक्तियां प्राप्त हैं। जानबूझकर, असद्भावी (बदनीयत वाले) और कपटपूर्ण लेनदेनों के प्रति गंभीर रुख कायम रखते हुए, 13 सितंबर 2004 के जीएसआर सं. 609(ई) के द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 3(ए) के अलावा अन्य सभी उल्लंघनों को कंपाउंड करने की शक्तियां भारतीय रिज़र्व को प्रदान की गईं ताकि व्यक्तियों तथा कंपनी समुदाय के लेनदेनगत उल्लंघनों की लागत को कम करके उन्हें राहत दी जा सके।

3. अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने और सूचना-प्रसार को विस्तृत आयाम देने के उद्देश्य से निम्नवत निर्णय लिया गया है :

I. कंपाउंडिंग आदेशों को सार्वजनिक करना

कंपाउंडिंग आदेशों से संबन्धित सूचनाओं का व्यापक प्रसार करने हेतु यह निर्णय लिया गया है कि 1 जून 2016 को या उसके बाद पारित होने वाले कंपाउंडिंग आदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर प्रकाशित किया जाए। वेबसाइट पर ऐसे आंकड़े निम्नलिखित फार्मेट में मासिक अंतराल पर अद्यतन किए जाएंगे:

क्र. ओवदक का नाम कंपाउंडिंग आदेश के तहत लगाई गई कम्पाउंडिंग राशि यदि लगाई गई राशि का भुगतान किया गया है आदेश की प्रति डाउनलोड करें।

तदनुसार, कंपाउंडिंग संबंधी मास्टर निदेश में एक नया उप-पैरा सं. 8.6 जोड़ा जाएगा।

II. कंपाउंडिंग के दौरान लगाई गई दण्ड की राशि के संबंध में दिशानिर्देशों को सार्वजनिक करना

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम की धारा 13 के उपबंधों के अनुसार लगाई गई राशि उल्लंघनगत राशि के तीन गुना तक हो सकती है। तथापि, अनुबंध में दिये गए दिशानिर्देश नोट (guidance note) के अनुसार कंपाउंडिंग राशि का आकलन किया जा सकता है। अब यह निर्णय लिया गया है कि दिशानिर्देश नोट (guidance note) को भी जन सूचनार्थ बैंक की वैबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा। तथापि, ध्यान रहे कि यह दिशानिर्देश नोट (guidance note) केवल भारतीय रिज़र्व बैंक के विभिन्न कार्यालयों के कंपाउंडिंग अधिकारियों द्वारा लगाई जाने वाली राशि को मोटे-तौर पर दर्शाता है। वास्तविक कंपाउंडिंग राशि उल्लिखित मास्टर निदेश के पैराग्राफ 7.3 में दिए गए तथ्यों को ध्यान में रखते हुए एवं मामले की परिस्थितियों के अनुसार कभी-कभी भिन्न हो सकती है। इसे कंपाउंडिंग संबंधी मास्टर निदेश के उप-पैरा 7.4 के रूप में अंतर्विष्ट किया जाएगा और इसके बाद वाले अनुवर्ती उप-पैराग्राफों को मास्टर निदेश में तदनुसार पुनर्क्रमांकित किया जाएगा।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहको को अवगत कराएं।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(शेखर भटनागर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रोसीडिंग्स) नियमावली, 2000 के अंतर्गत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग राशि के आकलन हेतु मार्गदर्शी नोट (गाइडेंस नोट)

संदर्भ : ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 73 दिनांक : 26 मई 2016

I. आकलन का साँचा (Computation Matrix)

उल्लंघन का प्रकार प्रचलित सिद्धान्त

1] रिपोर्टिंग संबंधी उल्लंघन
ए) फेमा 20
पैरा 9(1)(ए), 9(1)(बी), FC(GPR) का भाग-बी, FCTRS (Reg. 10) तथा FCTRS (Reg. 4) के रेकॉर्ड संबंधी मामले

बी) फेमा 3
ECB विवरणियों को प्रस्तुत न करना

C) फेमा 120
सहायक कंपनियों/ उप-अनुषंगी सहायक कंपनियों की स्थापना/ अधिग्रहण / शेयरधारिता के पैटर्न में परिवर्तन संबंधी रिपोर्टिंग न करना / रेपोर्टिंग में विलंब करना

डी) अन्य कोई उल्लंघन (पंक्ति-2 में नीचे दिये गए को छोडकर)

निश्चित राशि : रुपये 10000/- (कम्पाउंडिंग आवेदन में प्रत्येक उल्लंघन पर एक बार लागू) +

निम्नलिखित परिवर्ती राशि :

रुपये 10 लाख तक : 1000 प्रतिवर्ष
रुपये 10-40 लाख तक : 2500 प्रतिवर्ष
रुपये 40-100 लाख तक : 7000 प्रतिवर्ष
रुपये 1-10 करोड़ तक : 50000 प्रतिवर्ष
रुपये 10-100 करोड़ तक : 100000 प्रतिवर्ष
रुपये 100 करोड़ से अधिक : 200000 प्रतिवर्ष

ई) LO/BO/PO द्वारा रिपोर्टिंग संबंधी उल्लंघन
उपर्युक्त के अनुसार, 2 लाख रुपये की अधिकतम सीमा के अधीन। परियोजना कार्यालय के मामले में, कम्पाउंडिंग की राशि परियोजना की कुल कीमत के 10% पर आकलित की जाएगी।
2] AAC/ APR/ शेयर प्रमाणपत्र जारी करने में विलंब
APR/शेयर प्रमाणपत्र को प्रस्तुत न करना / विलंब से प्रस्तुत करना/ (फेमा-120) अथवा AAC (फेमा-22) अथवा FCGPR (B) विवरणियाँ (फेमा-20)

- प्रत्येक AAC/APR/FCGPR (B) की विलंबित विवरणी हेतु रुपये 10000/- प्रति विवरणी ।
- शेयर प्रमाणपत्रों का विलंब से प्राप्त होना – रुपये 10000/- प्रतिवर्ष, यह राशि कुल निवेश राशि के 300% की अधिकतम सीमा के अधीन होगी ।

3]
ए] आबंटन / रिफ़ंड

फेमा-20/2000-आरबी का पैरा-8 (शेयरों को आबंटित न करना अथवा निर्धारित 180 दिनों की अवधि के पश्चात शेयर आबंटित करना / रिफ़ंड करना)

B] LO/BO/PO
(रिपोर्टिंग उल्लंघनों के अलावा अन्य उल्लंघन)

रुपये 30000/- + निम्नलिखित प्रतिशत:

1ला वर्ष : 0.30%
1-2 वर्ष : 0.35%
2-3 वर्ष : 0.40%
3-4 वर्ष : 0.45%
4-5 वर्ष : 0.50%
> 5 वर्ष : 0.75%
(परियोजना कार्यालय के मामले में, उल्लंघन की राशि परियोजना की कुल कीमत के 10% पर आकलित की जाएगी।)

4] कॉर्पोरेट गारंटियों को छोडकर अन्य सभी उल्लंघन

रुपये 50000/- + निम्नलिखित प्रतिशत :

1ला वर्ष : 0.50%
1-2 वर्ष : 0.55%
2-3 वर्ष : 0.60%
3-4 वर्ष : 0.65%
4-5 वर्ष : 0.70%
> 5 वर्ष : 0.75%

5] UIN के बिना कॉर्पोरेट गारंटियाँ जारी करना /
जहां अनुमति ली जानी जरूरी है वहाँ अनुमति के बिना गारंटी जारी करना / खुली गारंटियाँ अथवा कॉर्पोरेट गारंटी संबंधी अन्य कोई उल्लंघन।
रुपये 500000/- + निम्नलिखित प्रतिशत :
1ला वर्ष : 0.050%
1-2 वर्ष : 0.055%
2-3 वर्ष : 0.060%
3-4 वर्ष : 0.065%
4-5 वर्ष : 0.070%
> 5 वर्ष: 0.075%
इन उल्लंघनों में ऋणों की उगाही के लिए गारंटियाँ जारी करना, जिन्हें भारत में पुनः निवेशित किया गया हो, शामिल हैं। ऐसे मामलों में कम्पाउंडिंग राशि को तिगुना किया जाएगा।

II. उपर्युक्त राशियाँ निम्नलिखित परंतुको (proviso) के अधीन हैं, यथा:-

(i) कंपाउंडिंग की राशि उल्लंघन राशि के 300% से अधिक न हों।

(ii) रिपोर्टिंग संबंधी उल्लंघनों के मामलों में यदि उल्लंघन की राशि 1 लाख रुपये से कम हो, तो ऐसे मामलों में कंपाउंडिंग की राशि उल्लंघन की वास्तविक राशि और उल्लंघन अवधि के 5% प्रतिवर्ष की दर से आकलित सामान्य ब्याज की राशि से अधिक न हों, अन्य सभी उल्लंघनों के मामलों में ये राशि 10% प्रतिवर्ष की दर पर होगी।

(iii) फेमा 20/2000-आरबी की अनुसूची-I के पैराग्राफ 8 संबंधी उल्लंघनों के मामलों में, दण्ड की राशि को निम्नप्रकार श्रेणीबद्ध किया गया है :

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना यदि 180 दिनों के बाद शेयर आबंटित किए जाए, तो उपर्युक्त टेबल में आकलित की गई राशि के अनुसार दण्ड की राशि 1.25 गुना होगी (उपर्युक्त परंतुक (i) और (ii) के प्रावधानों के अधीन)।

  2. यदि शेयर आबंटित न किए जाए और रिज़र्व बैंक की अनुमति से 180 दिनों के पश्चात राशि लौटाई जाए, तो उपर्युक्त टेबल में आकलित की गई राशि के अनुसार दण्ड की राशि 1.50 गुना होगी (उपर्युक्त परंतुक (i) और (ii) के प्रावधानों के अधीन)।

  3. यदि शेयर आबंटित न किए जाए और रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना 180 दिनों के पश्चात राशि लौटाई जाए, तो उपर्युक्त टेबल में आकलित की गई राशि के अनुसार दण्ड की राशि 1.75 गुना होगी (उपर्युक्त परंतुक (i) और (ii) के प्रावधानों के अधीन)।

(iv) उन मामलों में, जहां यह स्पष्ट हो जाता है कि उल्लंघनकर्ता द्वारा अनुचित लाभ प्राप्त किया गया है, ऐसे मामलों में उपर्युक्त सारणी (चार्ट) के अनुसार आकलित की गई कम्पाउंडिंग राशि में उस राशि को यथोचित सीमा तक जोड़कर उसे न्यूट्रलाइज किया जा सकता है।

(v) यदि किसी पार्टी के किसी उल्लंघन की कम्पाउंडिंग पहले की जा चुकी और उसी प्रकार के उल्लंघन की कम्पाउंडिंग हेतु पार्टी द्वारा पुनः आवेदन किया गया, तो ऐसे उल्लंघन की कम्पाउंडिंग राशि 50% तक बढाई जाए।

III. उपर्युक्त पैरा- I.1 रिपोर्टिंग संबंधी उल्लंघनों के तहत कम्पाउंडिंग राशि के आकलन हेतु उल्लंघन की अवधि को समानुपातिक दर से {(लगभग अगले उच्चतम माह में पूर्णांकित÷12) x एक वर्ष अवधि की राशि} आकलित किया जाएगा। दिनों की कुल संख्या में रविवार /अवकाश के दिनों को भी शामिल किया जाएगा।

IV. नमूने के तौर पर कुछ मामलों के उदाहरण (दृष्टांत) इसके साथ संलग्न हैं।

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