विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 - विदेश यात्रा - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 - विदेश यात्रा
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 19 अक्तूबर 30, 2000 प्रति प्रिय महोदय, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 - विदेश यात्रा प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली 2000 को अधिसूचित करनेवाली भारत सरकार की दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. जीएसआर 381 (ई) की ओर आकृष्ट कियाजाता है जिसके अनुसार कतिपय यचालू खाता लेनदेनों के लिए विदेशी मुद्रा आहरण को मना किया गया था और कतिपय अन्य लेनदेनों पर प्रतिबंध लगाये गये थे । नियम 5 के अनुसार अधिसूचना की अनुसूची III में विनिर्दिष्ट लेनदेनों के लिए रिज़र्व बैंक का पुर्वानुमोदन अपेक्षित है । तदनुसार प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र के अनुबंध में अंतर्विष्ट निदेशों का संबंधित विदेश यात्रा हेतु विदेशी मुद्रा जारी करने के लिए आवेदन पत्रों तक पालन करें । 2. यह स्पष्ट किया जाता है कि अनुबंध में अंतर्विष्ट निदेश भारत सरकार, वित्त मंत्रालय की संदर्भाधीन 3 मई 2000 की अधिसूचना द्वारा अधिसूचित नियमों के साथ पढ़ा जाए । 3. भारत सरकार की दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. जीएसआर 381 (ई) के नियम 2 के उपबंध (बी) के अनुसार "आहरण" में अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड, अंतर्राष्ट्रीय डेबिट कार्ड आदि शामिल है । अत: यह स्पष्ट किया जाता है कि ये लिखतें अधिसूचना के अंतर्गत लगाये गये प्रतिबंधों के अधीन है । इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 2 के उपबंध (एच) के अनुसार "मुद्रा" में अन्य बातों के साथ साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड शामिल है । रिज़र्व बैंक ने भी दिनांक 3 मई 2000 की अपनी अधिसूचना सं. फेमा15/आरबी 2000 द्वारा एटीएम कार्ड और डेबिट कार्डों को मुद्रा के रुप में अधिसूचित किया गया है । तदनुसार क्रेडिट कार्डों, एटीएम कार्डो आदि द्वारा किये गये भुगतान केवल भुगतान के विभिन्न प्रकारों से किये जा रहे हैं । अधिनियम के अधीन किये गये विनियम और जारी किये गये निदेश क्रेडिट कार्डों, एटीएम कार्डों, डेबिट कार्डों आदि पर भी लागू है । 4. यह स्पष्ट किया जाता है कि जहाँ एक व्यक्ति निजी यात्रा के अलावा अन्य उद्देश हेतु विदेश जा रहा है, तब प्राधिकृत व्यापारियों के लिए यह अधिदेशात्मक नहीं है कि वे ऐसी यात्रा के लिए बेचे गए विदेश्ां मुद्रा की राशि यात्री के पासपोर्ट पर अंकित करें । तथापि जहां व्यक्तिगत यात्रा अर्थात् यात्रियों द्वारा ली गई मूल यात्रा कोटा (बीटीक्यू) के लिए बेची गई विदेशी मुद्रा यात्री के पासपोर्ट पर अनिवार्य रुप से प्राधिकृत व्यापारी के स्टाम्प, तारीख और हस्ताक्षर के साथ अंकित किया जाना चाहिए । 5. अग्रिम प्रेषण प्राधिकृत व्यापारी किसी भी चालू खाता लेनदेन, जारी करना स्वीकार्य है, के लिए अग्रिम प्रेषण करने की अनुमति दे बशर्ते अग्रिम प्रेषण की राशि 25,000 अमेरिकी डालर से अथवा उसके समकक्ष से अधिक नहीं है । जहाँ राशि 25,000 अमेरिकी डालर अथवा उसके समकक्ष से अधिक है, वहाँ भारत के बाहर स्थित किसी प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बैंक से गारंटी अथवा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी से गारंटी, यदि ऐसी गारंटी भारत के बाहर स्थित किसी प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बैंक की प्रति गारंटी पर जारी है तब विदेशी हिताधिकारी से प्राप्त करना चाहिए । प्राधिकृत व्यापारी को यह सुनिश्चित करने के लिए अनुवर्ति करना होगा कि अग्रिम प्रेषण के हिताधिकारी ने उसकी बाध्यता का संविदा के अंतर्गत अथवा भारत में प्रेषणकर्ता के साथ करार के अंतर्गत पूर्ति की है । 6. इस परिपत्र के अनुबंध में अंतर्विष्ट निदेश्ांटं ने विदेशी मुद्रा नियंत्रण मैन्युअल (1993 संस्करण) के अध्याय 8 के भाग ए और उसके अनुबंध I, II और IV में अंतर्विष्ट अनुदेशों का स्थान लिया है । 7. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु को अपने संबंधित ग्राहकों के ध्यान में लाये । 8. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये है और इसका किसी भी तरह से उल्लंघन किया जाना अथवा अनुपालन न किया जाना अधिनियम के अधीन निर्धारित जुर्माने से दंडनीय है । भवदीया, (कि.ज.उदेशी) |