भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग केद्रीय कार्यालय मुंबई ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.104 मई 31, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 - उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान पूंजी खाता लेनदेनों में 30 जून 2003 की अवधि तक, समीक्षा के अधीन कतिपय उदारीकृत सुविधाएं घोषित करने वाले निम्नलिखित ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र की ओर आकृष्ट किया जाता है- क्रम सं. | ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. | तारीख | विषय | 1 | 66 | 13.01.2003 | समुद्रपारीय निवेश - कंपनी, व्यक्ति और म्यूचुअल फंडों से | 2 | 67 | 13.01.2003 | अनिवासी / भारतीय मूल के व्यक्ति और विदेशी राष्ट्रीयों को सुविधाएं | 3 | 68 | 13.01.2003 | ईएसओपी योजना के अंतर्गत निवासी भारतीयों से विदेशी प्रतिभूति का अभिग्रहण | 4 | 69 | 13.01.2003 | विदेशी में एडीआर/जीडीआर आय को रखना | 5 | 70 | 13.01.2003 | बाह्य वाणिज्यिक उधार - विदेश में निधि रखना | 6 | 71 | 13.01.2003 | भारत के बाहर स्थायी संपत्ति का अभिग्रहण - विदेश में शाखाएं /व्यापार कार्यालय | 7 | 78 | 14.02.2003 | विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (ईईएफसी) खाता योजना - समुद्रपारीय आयातकों को व्यापार संबंधी ऋण /अग्रिम प्रदान करना | 2. अब यह निर्णय किया गया है कि इन सुविधाओं को 30 जून 2003 के आगे अगली सूचना तक प्रदान की जाए। 3. विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली 2000 में आवश्यक आशोधनों को अलग से जारी किया जा रहा है। 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु की जानकारी अपने सभी संबंधित ग्राहकों को दे दें। 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय, (ग्रेस कोशी) मुख्य महाप्रबंधक |