विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 - चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 - चालू खाता लेनदेन - उदारीकरण
आर.बी.आइ/2004/74 एपी(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 76 24 फरवरी 2004 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 - प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान चालू खाता लेनदेन के संबंध में मई 16, 2000 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र क्रं.11 के संलग्नक I की ओर आकृष्ट किया जाता हैं। 2. अधिक उदारीकरण की ओर एक और कदम के रूप में यह निर्णय लिय गया है कि निवासियों द्वारा भेजे गए विप्रेषणों पर से निम्नलिखित प्रतिबंधों को हटा लिया जाए। (i) विदेश स्थित कंपनियों से स्वास्थ हेतु बीमा प्राप्त करने के लिए विप्रेषण अनुसूची II की मद सं. 10 के अनुसार विदेशी स्थित किसी कंपनी से स्वास्थ संबंधी बीमा लेने के लिए भुगतान हेतु, वित्त मंत्रालय के अनुमोदन की आवश्यकता होती है। अब यह निर्णय लिया गया है कि सरकार के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी तथा प्राधिकृत व्यापारी ऐसे विप्रेषणों के लिए स्वेच्छा से अनुमति दे सकते हैं। (ii) कलाकारों द्वारा विप्रेषण अनुसूची III की मद सं.1 के अनुसार कुश्तीबाज, नर्तक, मनोरंजन से जुड़े व्यक्ति जैसे कलाकारों के विप्रेषणों को भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होती है। अब से आगे प्राधिकृत व्यापारी ऐसे विप्रेषणों के लिए स्वेच्छा से अनुमति दे सकते हैं। (iii) भारत स्थित आवासीय फलैटों/ वाणिज्यिक प्लाटों के विक्रय के लिए विदेश में रहने वाले एजंटों को कमीशन अनुसूची III की मद सं.11 के अनुसार भारत स्थित आवासीय फलैटों/ वाणिज्यिक प्लॉटों के विक्रय हेतु विदेशी एजेंटों को कमीशन के रूप में विप्रेषण, जो आवक विप्रेषण के 5 प्रतिशत से अधिक न हो, को भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमोदन की आवश्यकता होती है। प्राधिकृत व्यापारी 25,000 अमरीकी डॉलर अथवा आवक विप्रेषणों के 5 प्रतिशत प्रति विप्रेषण, जो भी अधिक हो, की स्वेच्छा से अनुमति दे सकते हैं। iv) भारतीय कपनियों के विदेश स्थित कार्यालयों को अल्पावधि ऋण अनुसूची III की मद सं.12 के अनुसार भारतीय कंपनियों के विदेश स्थित कार्यालयों को अल्पावधि ऋण के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानूमोदन की आवश्यकता होती है। अब से आगे प्राधिकृत व्यापारी ऐसी सुविधआाटं की अनुमति भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमोदन के बगैर दे सकते हैं। v) विदेशी टेलिविज़न चैनल में विज्ञापन के लिए विप्रेषण अनुसूची III की मद सं.13 के अनुसार पूर्ववर्ती 2 वर्षों के प्रत्येक वर्ष के दौरान विज्ञापक की निर्यात से 10 लाख रुपये से कम की आय के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होती है। अब से प्राधिकृत व्यापारी विदेशी टेलिविज़न चैनलों में विज्ञापन के लिए स्वेच्छा से विप्रेषण की अनुमति दे सकते हैं। vi) रॉयल्टी के विप्रेषण और एकमुश्त भुगतान फ़ीस अनुसूची III की मद सं.14 के अनुसार तकनीकी सहभागिता के करार के भारतीय रिज़र्व बैंक के पास दर्ज न होने की स्थिति में भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होती है। अब से प्राधिकृत व्यापारी रॉयल्टी के लिए विप्रेषण और एक मुश्त फ़ीस के भुगतान की अनुमति दे सकते हैं बशर्ते कि भुगतान अनुसूची II की मद सं.8 के मानदंडों के अनुसार हो, अर्थात स्थानीय विक्रय पर रॉयल्टी 5 प्रतिशत और निर्यात पर 8 प्रतिशत से अधिक न हो तथा एक मुश्त भुगतान 2 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक न हो। vii) भारत में ट्रेडमॉर्क/ विशेष विक्रय अधिकार (प्रॅन्चाईस) का उपयोग और / अथवा खरीद के लिए विप्रेषण अनुसूची III की मद सं.16 के अनुसार भारत में ट्रेडमॉर्क/ प्रॅन्चाईस का उपयोग और/ अथवा खरीद के विप्रेषण हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होती है। अब से आगे भारत में ट्रेडमॉर्क/ प्रॅन्चाईस केउपयोग के विप्रेषण हेतु प्राधिकृत व्यापारी स्वेच्छा से अनुमति दे सकते हैं। तथापि, भारत में ट्रेडमॉर्क/प्रॅन्चाईस की खरीद के लिए विप्रेषण के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन लेना जारी रहेगा। viii) ट्रांस्पांडर किराए पर लेने के प्रभार का विप्रेषण अनुसूची III की मद सं.18 के अनुसार ट्रांस्पांडर किराए पर लेने के प्रभार का विप्रेषण के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होती है। इस मद को विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची II में अंतरित कर दिया गया है तथा अब से आगे टेलिविज़न चैनलों और इंटरनेट सेवा प्रदान करने वालों द्वारा ट्रांस्पांडर किराए पर लेने के प्रस्तव पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय से पूर्वानुमोदन आवश्यक होगा। 3. विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 मे आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे है। 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों को दे दें। 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय ग्रेस कोशी |