विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपयों में उधार लेना और देना) (संशोधन) विनियमावली, 2009 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपयों में उधार लेना और देना) (संशोधन) विनियमावली, 2009
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.फेमा. 183/2009-आरबी दिनांक: जनवरी 20, 2009 विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपयों में उधार लेना और देना) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा (3) के खण्ड (ञ) और धारा 47 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, एतद् द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपयों में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.4/2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात् , 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (क) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपयों में उधार लेना और देना) ( संशोधन) विनियमावली, 2009 कहलाएंगे । (ख) ये, इन विनियमों में विनिर्दिष्ट तारीखों से लागू समझे जाएंगे । 2. विनियमों में संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपयों में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा. 4/2000-आरबी) में, विनियम 5 में, उप-विनियम (3) के बाद निम्नलिखित नया उप-विनियम (4) अंत:स्थापित किया जाएगा, अर्थात्,- " (4) भारत के बाहर रहनेवाले किसी व्यक्ति को , विनिर्दिष्ट समय के अंदर ईक्विटी में पूर्णत: और अनिवार्यत: परिवर्तनीय 30 अप्रैल 2007 को अथवा उसके बाद , में अधिमानी शेयरों के निर्गम तथा विनिर्दिष्ट समय के अंदर ईक्विटी में पूर्णत: और अनिवार्यत: परिवर्तनीय 07 जून 2007 को अथवा उसके बाद परिवर्तनीय डिबेंचरों के निर्गम के रुप में उधार देना ऋण समझा जाएगा और तदनुसार विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा. 3/2000- आरबी) में, विनयम 6 की उक्त विनियम में यथा विनिर्दिष्ट ऐसे उधारों की सीमाओं के अनुरूप होगा ।" (सलीम गंगाधरन) (i) पाद टिप्पणी : मूल विनियमावली 5 मई 2000 को जी.एस.आर.सं. 387 (अ) के जरिये सरकारी राजपत्र में भाग ।।, धारा 3, उप-धार (i) में प्रकाशित की गयी और तत्पश्चात् निम्नलिखित द्वारा संशोधित की गयी : 12.02.2001 के जी.एस.आर.सं.90(अ)
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