विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) (संशोधन) विनियमावली, 2007 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) (संशोधन) विनियमावली, 2007
भ्ाारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई 400 001.
अधिसूचना सं.फेमा. 157 /2007-आरबी
दिनांक 30 अगस्त , 2007
विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) (संशोधन) विनियमावली, 2007
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 6 की उपधारा 3 के खंड (घ)और धारा 47 की उपधारा 2 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक इसके द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 ( दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 3/2000-आरबी )में संशोधन के लिए निम्नलिखित विनियम बनाता है, अर्थात:,
2. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
(क) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना)(संशोधन) विनियमावली, 2007 कहा जाएगा।
(ख) ये इन विनियमों में विनिर्दिष्ट तारीखों से लागू समझे जाएंगे।
3. अनुसूची I में संशोधन
2. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000(मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3 / 2000- आर बी)(इसके आगे " प्रधान विनियमावली " के रूप में उल्लिखित ) में,-
(i) अनुसूची I में
(क) पैरा (1) में, उप पैरा (iv) में, खंड (आ) के बाद "नोट" को हटा दिया जाएगा तथा मई 2007 के 21 वें दिन से हटा दिया गया समझा जाएगा ;
(ख) पैरा (1) में, उप पैरा (iv) में खंड , ’अ’ के बाद अगस्त 2007 के 7 वें दिन से निम्नलिखित पैरा जोड़ा जाएगा अर्थात्:-
"(अअ) अनुमत अंतिम उपयोग हेतु विदेशी मुद्रा व्यय के लिए ही प्रति ऊधारकर्ता कंपनी को प्रति वित्तीय वर्ष 500 मिलियन अमरीकी डालर तक विदेशी मुद्रा में उधार की अनुमति दी जाएगी ।"
4. अनुसूची II में संशोधन - प्रधान विनियमावली की अनुसूची II में,
(i) पैरा (3) में, उप पैरा (i) में, खंड (घ) के बाद अंत में निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा तथा अगस्त 2005 के पहले दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा,
अर्थात्: -
"(V) रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट कोई अन्य कंपनी "
(ii) पैरा 4 के बाद निम्नलिखित पैरा जोड़ा जाएगा तथा अगस्त 2005 के पहले दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा, अर्थात्:- "(5) कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत कोई कंपनी रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के सिवाय अंतरराष्ट्रीय बैंकें, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं अथवा संयुक्त उद्यम साझीदारों द्वारा वर्धित देशी रुपया मूल्यांकित सुनियोजित बाध्यता ऋण नहीं लेगी।"
(iii) पैरा (3) में, उप पैरा (vi) में, खंड (ख) के बाद अपवाद को उसके अपवाद-1 के रूप में संख्यांकित किया जाएगा तथा नवम्बर 2005 के 4 थे दिन से संख्यांकित किया गया समझा जाएगा तथा अपवाद 1 , जैसा कि संख्यांकित किया गया है , के बाद निम्नलिखित अपवाद जोड़ा जाएगा तथानवम्बर 2005 के 4 थे दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा ।
"अपवाद -2- बैंक टेक्सटाइल कंपनियों के यूनिटों के आधुनिकीकरण
अथवा विस्तार हेतु उनके द्वारा लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार के संबंध में रिज़र्व बैंक के अनुमोदन से बैंक गारंटी, आपाती साख पत्र , वचन पत्र,चुकौती आश्वासन पत्र दे सकते हैं।"
(iv) पैरा (3) में, उप पैरा (iv) के लिए निम्नलिखित पैरा को प्रतिस्थापित किया जाएगा तथा दिसम्बर 2006 के 4 थे दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा, अर्थात्:-
"(iv)परिपक्वता अवधि- (क) विदेशी मुद्रा में उधारों की परिपक्वता अवधि निम्नानुसार होगी:
क्रम सं. |
राशि |
औसत परिपक्वता अवधि |
(i) |
20 मिलियन अमरीकी |
तीन वर्ष से कम नहीं |
(ii) |
20 मिलियन अमरीकी डालर |
पांच वर्ष से कम नहीं |
(iii) |
500 मिलियन डालर |
10 वर्ष से अधिक |
(ख) 20 मिलियन अमरीकी डालर तक के ऊधार क्रय / विक्रय विकल्प रख सकते हैं बशर्ते खंड (क) में निर्धारित 3 वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि का क्रय /विक्रय विकल्प देने से पूर्व अनुपालन किया जाता है।
(ग) दस वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि के लिए विदेशी मुद्रा में 500 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक और 750 मिलियन अमरीकी डालर तक अथवा समकक्ष उधार हेतु पूर्व भुगतान और क्रय / विक्रय विकल्प की अनुमति नहीं दी जाएगी।"
(v) पैरा (3) में, उप पैरा (iii) में, खंड (आ) के बाद "नोट" को हटा दिया जाएगा और मई 2007 के 21 वें दिन से हटा दिया गया समझा जाएगा।
(vi) पैरा (3) में, उप पैरा (iii) के तहत खंड अ के बाद निम्नलिखित पैरा जोड़ा जाएगा और अगस्त 2007 के 7 वें दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा
अर्थात्:-
"(अअ) अनुमत अंतिम उपयोग हेतु रुपया व्यय के लिए प्रति वित्तीय वर्ष प्रति ऊधारकर्ता कंपनी 20 मिलियन अमरीकी डालर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधार को भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी।"
सलीम गंगाधरन
मुख्य महा प्रबंधक
पाद टिप्पणी :
i) प्रधान विनियम सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 5, 2000 के जीएसआर. सं.386(E) में भाग (II), खंड 3, उप-खंड (i) में प्रकाशित किए गए है और तत्पश्चात्
(क) अगस्त 25, 2000 के जीएसआर. सं.674(E),
(ख) जुलाई 8, 2002 के जीएसआर सं. 476(E),
(ग) दिसंबर 31, 2002 के जीएसआर सं.854(E),
(घ) जुलाई 9, 2003 के जीएसआर सं.531(E)
(ड) और जुलाई 9, 2003 के जीएसआर सं.533(E)
(च) मार्च 23, 2004 के जीएसआर सं.208(E)
(छ) दिसम्बर 22, 2004 के जी एस आर सं.825(E)
(ज)फरवरी 9, 2005के जीएसआर सं.60(E)
(झ)दिसम्बर 22, 2005के जीएसआर सं 739 (E) द्वारा संशोधित किए गए हैं।
जी. एस. आर. सं. 663(E)/अकतूबर 16, 2007
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