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विदेशी मुद्रा प्रबंध (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2004

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई 400 001.

अधिसूचना सं. फेमा.126/2004-आरबी

दिनांक 13 दिसंबर 2004

विदेशी मुद्रा प्रबंध (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2004

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 6 की उपधारा 3 के खंड (घ), द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग तथा दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.पेमा 3/2000-आरबी, समय समय पर यथासंशोधित, में आंशिक संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा का उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 में निम्नलिखित विनियमावली बनाता है, नामत:,

संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(क) यह विनियमावली विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना)
(दूसरा संशोधन) विनियमावली, 2004 कहलाएगी।

(ख) यह नीचे विनिर्दिष्ट तारीख से लागू होगी।

3. विनियम 6 में संशोधन

विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000(इसके पश्चात मूल विनियमावली के रूप में उल्लिखित) में

(क) विनियम 6 में ,

(i) शीर्षक और उप विनियम (1) के लिए निम्नलिखित शीर्षक और उप विनियम को प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात्

"6 स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत या अनुमोदित मार्ग के तहत भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व अनुमोदन से या व्यापार ऋण के रूप में वदेशी मुद्रा में अन्य उधार"

(1) भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा नियंत्रित या स्वामित्व वाले शाखा या कार्यालय के अलावा भारत में निवासी व्यक्ति अनुसूची में विनिर्दिष्ट स्वत: अनुमोदित मार्ग योजना के प्रावधानों के अनुसार उस सूची में उल्लिखित प्रकार और प्रयोजन के लिए विदेशी मुद्रा ऋण ले सकता है ; बशर्ते कि अनुसूची 1(iv)(अ) (ग) के मद के संबंध में , जिसे 23 फरवरी 2004 से लागू समझा जायेगा , को छोड़कर 1 फरवरी 2004 से लागू समझा जायेगा ।

(2) भारत का निवासी व्यक्ति, जो अनुसूची II में विनिर्दिष्ट प्रकार और प्रयोजन के लिए विदेशी मुद्रा ऋण लेना चाहता है और जो उस अनुसूची में विनिर्दिष्ट पात्रता और अन्य शर्तों को पूरा करता है , वह ऐसे ऋण हेतु रिजर्व बैंक को अनुमोदन के लिए आवेदन करे ; बशर्ते कि अनुसूची II के मद 3(iii) (अ) (ग) के संबंध में , जिसे 23 फरवरी 2004 से लागू समझा जायेगा , को छोड़कर 1 फरवरी 2004 से  लागू समझा जायेगा।

(3) अनुसूची II में विनिर्दिष्ट में शर्तों के अधीन अधिकतम् 20 मिलियन अमरीकी डॉलर प्रति आयात लेनदेन के व्यापार ऋण उगाहे जायेंगे ; बशर्ते कियह 17 अप्रैल, 2004 से लागू समझा जायेगा।

(i) वर्तमान उप विनियम (2) को (4) के रूप में पुन: क्रमांकित किया जाएगा ।

(ii) क्रमांकित उप विनियम (4) में जहाँ पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता है ",को प्रारंभ में जोड़ा जाये ।

(iii) वर्तमान उप विनियम (3) को " भारत में किसी निवासी व्यक्ति द्वारा उगाहे जाने वाले प्रस्तावित किसी अन्य विदेशी मुद्रा ऋण, जो अनुसूची I II और II की सीमा में नहीं आते हैं को भारतीय रिजर्व बैंक ऐसी शर्तों के अधीन , जिसे वह आवश्यक समझे, अनुमोदन प्रदान कर सकता है " द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा । इस उप विनियम को उप विनियम (5) के रूप में क्रमांकित किया जाएगा ।

अनुसूची में संशोधन

विनियमावली को संलग्न वर्तमान " अनुसूची I अनुसूची II और अनुसूची III और से प्रतिस्थापित किया जाएगा ।

एफ.आर.जोसफ
मुख्य महाप्रबंधक


पाद टिप्पणी :
1.* यह उस तारीख का उल्लेख है जिस तारीख को मार्च 24, 2004 के एपी डीआइआर सिरीज़ परिपत्र सं.81 द्वारा प्राधिकृत व्यापारियों को निदेश जारी किए गए थे।
2. मूल विनियम सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 5, 2000 को भाग (II)खंड 3, उप-खंड (i) में प्रकाशित किए गए ह और तत्पश्चात संशोधित किए गए, देखें :-

(क)

दिनांक 5 अगस्त , 2000 की जीएसआर. सं. 674 (ई)

(ख)

दिनांक 8 जुलाई 2002 की जीएसआर. सं..476(ई)

(ग)

दिनांक 31 दिसंबर, 2002 की जीएसआर. सं.8454 (ई)

(घ)

दिनांक 9 जुलाई 2003 की जीएसआर. सं.531 (ई)

(ङ)

दिनांक 9 जुलाई 2003 की जीएसआर. सं.533 (ई)

(च)

दिनांक 23 मार्च 2004 की जीएसआर. सं. 208 (ई)

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