विदेशी मुद्रा प्रबंध - (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) (संशोधन) विनियमावली, 2008 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध - (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) (संशोधन) विनियमावली, 2008
भ्ाारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई 400 001.
अधिसूचना सं.फेमा 174/2008-आरबी
दिनांक जनवरी 25, 2008
विदेशी मुद्रा प्रबंध - (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा
विदेशी मुद्रा खाता) (संशोधन) विनियमावली, 2008
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 9 की उपधारा (3) के खंड (ख) और धारा 47 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भ्ाारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली 2000 (मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.10/2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्-
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
(1) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) ( संशोधन) विनियमावली 2008 कहलाएंगे।
(2) ये अप्रैल 30, 2007 से लागू समझे जाएंगे।@
2. विनियमावली में संशोधन
विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली 2000 में विनियम 6 को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात् "6. कतिपय अन्य मामलों में, भारत में विदेशी मुद्रा खाता खोलना, रखना और बनाए रखना :
(1) भारत के बाहर निगमित कोई नौवहन अथवा विमानन कंपनी अथवा भारत में उसका कोई एजेंट ऐसे विमानन अथवा नौवहन कंपनी के भारत में स्थानीय खर्चों के लिए भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा खाता खोल, रख और बनाए रख सकता है :
बशर्ते ऐसे खातों में जमा भारत में भाड़े अथवा विदेश के किराए की वसूली अथवा भारत के बाहर इसके कार्यालय से सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से आवक विप्रेषण द्वारा और एजेंट के मामले में भारत के बाहर उसके प्रिंसिपल से की जाती है।
(2) भारत में कोई प्राधिकृत व्यापारी, रिज़र्व बैंक द्वारा यथा निर्गमित निदेशों के अधीन भारत के जहाज श्रमिक/ कर्मीदल का प्रबंध करनेवाली एजेंसियों को उनके कारोबार की सामान्य अवधि में लेनदेन करने के लिए भारत में ब्याज रहित विदेशी मुद्रा खाता खोलने की अनुमति दें।"
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक
पाद टिप्पणी :
(i) @यह स्पष्ट किया जाता है कि इस विनियम के पूर्वव्यापी प्रभाव से किसी व्यक्ति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(ii) मूल विनियम मई 5, 2000 को जी.एस.आर. सं.393(E) द्वारा सरकारी राजपत्र के भाग II, खंड 3, उप-खंड (i) में प्रकाशित किए गए और तत्पश्चात् निम्नलिखित द्वारा संशोधित किए गए -
(क) अगस्त 25, 2000 के जी.एस.आर.675(E)
(ख) फरवरी 12, 2001 के जी.एस.आर.89(E)
(ग) फरवरी 19, 2001 के जी.एस.आर.103(E)
(घ) मार्च 21, 2001 के जी.एस.आर.200(E)
(ड़) जनवरी 2, 2002 के जी.एस.आर.5(E)
(च) अप्रैल 9, 2002 के जी.एस.आर.261(E)
(छ) जुलाई 2, 2002 के जी.एस.आर.465(E)
(ज) जुलाई 8, 2002 के जी.एस.आर.474()िं
(झ) नवंबर 8, 2002 के जी.एस.आर.755(E)
(ञ) नवंबर 8, 2002 के जी.एस.आर.756(E)
(ट) मार्च 18, 2003 के जी.एस.आर.224(E)
(ठ) मई 14, 2003 के जी.एस.आर.398(E)
(ड) जून 3, 2003 के जी.एस.आर.452(E)
(ढ) जून 4, 2003 के जी.एस.आर.453(E)
(ण) जनवरी 7, 2004 के जी.एस.आर.11(E)
(त) जनवरी 7, 2004 के जी.एस.आर.13(E)
(थ) मार्च 23, 2004 के जी.एस.आर.209(E) और
(द) जून 30, 2007 के जी.एस.आर.455(E)
जी.एस.आर.सं. 92(E) / फरवरी 15, 2008 |