विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) (संशोधन) विनियमावली, 2005 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) (संशोधन) विनियमावली, 2005
भारतीय रिजर्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा 143/आरबी-2005 19 दिसंबर 2005 विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) (संशोधन) विनियम, 2005 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 47 की उप-धारा (2) के खंड (एच) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 (अधिसूचना संख्या फेमा 25/आरबी-2000, दिनांक मई 3, 2000) में निम्नलिखित संशोधन करता है: 1. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ: (i) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) (संशोधन) विनियम, 2005 कहा जाए। (ii) ये 7 जुलाई, 2003 से लागू होंगे।* 2. विनियमों में संशोधन: - विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 में, (i) अनुसूची I में शीर्ष 'बी. के पैरा 3 में वायदा संविदा के अलावा अन्य संविदा': (क) सब पैरा (1) में "भारत में निवासी व्यक्ति विदेशी मुद्रा ऑप्शन संविदा कर सकता है", शब्दों के बाद निम्नलिखित शब्द "जहां रुपया संबंधित मुद्राओं में से एक के रूप में शामिल नहीं होगा" प्रविष्ट किया जाए: (ख) सब पैरा (2) के बाद, निम्नलिखित नया सब पैरा प्रविष्ट किया जाए, यथा: - "(3) भारत में निवासी व्यक्ति किसी प्राधिकृत डीलर के साथ ऐसे लेनदेन में होनेवाले विनिमय जोखिम को हेज करने के लिए विदेशी मुद्रा-रुपया ऑप्शन संविदा कर सकता है, जिसके लिए इस अधिनियम या इसके अंतर्गत बनाए गए या जारी किए गए नियम या विनियम या निर्देश या आदेश के तहत विदेशी मुद्रा की बिक्री और/या खरीद की अनुमति उन्हीं निबंधन और शर्तों के अधीन है जो वायदा संविदा पर लागू हैं।" ii) अनुसूची II में पैरा 3बी के बाद निम्नलिखित नया पैरा प्रविष्ट किया जाए, यथा: - "4. एक विदेशी संस्थागत निवेशक, अनिवासी भारतीय व्यक्ति या भारत के बाहर निवासी व्यक्ति, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होने पर, भारत में किसी प्राधिकृत डीलर के साथ विदेशी मुद्रा-रुपया ऑप्शन संविदा कर सकते हैं, जो उन्हीं निबंधन और शर्तों के अधीन होगी जो वायदा संविदा पर लागू हैं।“ विनय बैजल फुटनोट: 1. *यह स्पष्ट किया जाता है कि इस प्रकार के विनियम को पूर्वव्यापी प्रभाव दिए जाने के कारण किसी भी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। 2. ये मूल विनियमावली आधिकारिक राजपत्र में भाग II, खंड 3, उप-खंड (i) में अधिसूचना संख्या जीएसआर 411(ई), दिनांक 8 मई, 2000 द्वारा प्रकाशित किए गए तथा इसके उपरांत निम्नलिखित जीएसआर द्वारा संशोधित किए गए: सं.756 (ई) दिनांक 28.9.2000,
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