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विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं) (संशोधन) विनियमावली, 2009

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई

अधिसूचना सं.फेमा 191 /आरबी -2009

दिनांक : 20.05.2009

विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं)
(संशोधन) विनियमावली, 2009

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 47 की उपधारा (2) के खण्ड (ज) द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं)विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.25/आरबी -2000) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्,

2. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं) (संशोधन) विनियमावली, 2009 कहलाएंगे ।

(ii) वे 4 फरवरी 2009 से लागू समझे जाएंगे @

3. विनियम में संशोधन

विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं))विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.25/आरबी-2000) में, विनियम 6 के बाद निम्नलिखित नया विनियम अंत:स्थापित किया ज्जायेगा अर्थात्,-

"मालभाड़ा बचाव


6 अ. (i) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा यथानिर्देशित आवेदन पर, इस प्रकार की क्रियाविधि के अनुसार भारत में निवासी व्यक्ति, ज्जो इस प्रकार की ज्जोखिम उठाता है, को भारतीय रिज़र्व बैंक मालभाड़ा ज्जोखिम के बचाव के लिए भारत से बाहर विनिमय गृह अथवा बाजार में मालभाड़ा व्युत्पन्न संविदा करने के लिए यथा आवश्यक शर्तों पर अनुमति देता है ।

(ii) उप विनियम ( i)में निहित किसी बात के होते हुए भी, विनियम 6 के उप-विनियम ( ii) के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत में विशेष रुप से प्राधिकृत किसी प्राधिकृत व्यापारी को, भारत में निवासी किसी ऑयल रिफाइनिंग कंपनी अथवा किसी शिपिंग कंपनी, ज्जो इस प्रकार की ज्जोखिम उठाती है , के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा यथा विनिर्दिष्ट शर्तों पर मालभाड़ा ज्जोखिम के बचाव के लिए भारत से बाहर विनिमय गृह अथवा बाजार में मालभाड़ा व्युत्पन्न संविदा करने के लिए अनुमति दी ज्जा सकती है ।

बशर्ते कि इस प्रकार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ज्जारी निर्देशों और दिशा-निर्देशों के अधीन प्राधिकार का प्रयोग करेगा ।"

(सलीम गंगाधरन)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


पाद टिप्पणी :

1) @ यह स्पष्ट किया ज्जाता है कि किसी व्यक्ति पर इन विमियमों के पूर्वव्यापी प्रभाव से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

2) मूल विनियमावली 3 मई 2000 को ज्जीएस.आर.सं. 411 (ई) के ज्जरिये सरकारी राजपत्र भाग ।।, खंड़ 3, उपखंड ( i)में प्रकाशित की गयी और तत्पश्चात् निम्नलिखित द्वारा संशोधित की गयी :

       28-9-2000 के ज्जी.एस.आर.सं.756(ई)
       09-4-2002 के ज्जी.एस.आर.सं.264(ई)
       19-8-2002 के जी.एस.आर.सं.579(ई)
       18-3-2003 के ज्जी.एस.आर.सं.222 (ई)
       09-7-2003 के ज्जी.एस.आर.सं.532 (ई)
       11-11-2003 के ज्जी.एस.आर.सं.880 (ई)
       11-11-2003 के ज्जी.एस.आर.सं.881 (ई)
       28-12-2005 के ज्जी.एस.आर.सं.750 (ई)
       19-4-2006 के ज्जी.एस.आर.सं.222 (ई)          
       19-4-2006 के जी.एस.आर.सं.223 (ई)
       07-12-2007 के ज्जी.एस.आर.सं.760 (ई)
       05-08-2008 के ज्जी.एस.आर.सं.577 (ई) और
       ---------- के ज्जी.एस.आर.सं.---- (ई)

जी. एस. आर. सं. 440 (अ)/जून 23, 2009

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