विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं)(संशोधन) विनियमावली, 2006 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं)(संशोधन) विनियमावली, 2006
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.फेमा. 148/ आरबी-2007 दिनांक :16 मार्च 2006 विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं)(संशोधन) विनियमावली, 2006 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 47 के उप-खंड (2) के खंड (ज) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा भारत में व्युत्पन्न संविदाएं) विनियमावली, 2000 (दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.पेमा 25/2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात् :- 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं)(दूसरा संशोधन) विनियमावली, 2006 कहलाएंगे। (ii) ये विनियम, 23 जुलाई 2005*ं से लागू होंगे। 2. विनियम 6 में संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं) विनियमावली, 2000 (दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.पेमा 25/2000-आरबी) (इसके आगे से मूल विनियामवली के रूप में उल्लिखित) के विनियम 6 को निम्नलिखित नए विनियम से प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात् :- " 6 " पण्य हेज (i) भारतीय रिजर्व बैंक ऐसी शर्तो के अधीन , जिसे वह आवश्यक समझे, अनुसूची III में विनिर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार दिये गए आवेदनपत्र पर भारत में निवासी किसी व्यक्ति को किसी पण्य में मूल्य जोखिम (की हेजिंग) से बचाव के लिए किसी पण्य विनिमय अथवा भारत से बाहर बाजार में संविदा करने की अनुमति दे सकता है । बशर्ते ऐसा प्राधिकृत व्यापारी बैंक , से प्राधिकार का प्रयोग भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस प्रयोजन हेतु जारी निदेशों/मार्गदर्शी सिध्दातों के तहत करेंगे । (iii) प्राधिकृत व्यापारी बैंक , अपने ग्राहकों को उप-विनियम (ii) के तहत अनुमति प्रदान करने की स्वीकृति हेतु भारतीय रिजर्व बैंक , विदेशी मुद्रा विभाग को आवेदन करे । (iv) इस विनियम में,दी गयी किसी बात के होते हुए भी विशेष आर्थिक अचल की कोई इकाई / निर्यात/आयात की वस्तु के मूल्य जोखिम की हेजिंग के लिए पण्य विनिमय अथवा भारत से बाहर बाजार में संविदा करने की अनुमति सकती है बशते कि ऐसी संविदा " एकल " आधार पर की गयी हो । स्पष्टीकरण : " एकल " का अर्थ है कि विशेष आर्थिक अचल की कोई इकाई जहाँ तक इसके आयात /निर्यात का संबंध है , अपने मुख्य स्थल अथवा विशेष आर्थिक अचल के अंदर अपने मूल अथवा सहायक कंपनी की किसी वित्तीय संविदा से पूरी तरह से अलग है । 3. अनुसूची II में संशोधन :- मूल विनियामली की अनुसूची III में पैरा 2 के बाद निम्नलिखित नया पैराग्राफ जोड़ा जाएगा अर्थात - विनय बैजल पाद टिप्पणी : 2. मूल विनियमावली 8 मई , 2000 के जीएसआर सं. 411(E) में भाग-II,खंड 3, उप-खंड (I) में अधिसूचित की गई तथा तत्पश्चात उसे निम्नवत् संशोधित किया गया :- |