भारतीय रिज़र्व बैंक (विदेशी मुद्रा विभाग) केंद्रीय कार्यालय मुंबई 400 001. अधिसूचना सं.फेमा 129/2005-आरबी दिनांक : 20 जनवरी, 2005 विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) (संशोधन) विनियमावली, 2005 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (ञ) और धारा 47 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग तथा समय-समय पर यथासंशोधित दिनांक 3 मई 2000 की इसकी अधिसूचना सं.फेमा 8/2000-आरबी में आंशिक आशोधन करते हुए विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) विनियमावली 2000, में भारतीय रिज़र्व बैंक निम्नलिखित आशोधन करता है, अर्थात्- 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (i) यह विनियमावली विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी)(आशोधन) विनियमावली 2005 कहलाएगी। (ii) ये आशोधन 1नवंबर, 2004@ से लागू समझे जाएंगे। 2. विनियमावली में आशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) विनियमावली, 2000 में, विनियम 4 के उप-विनियम (1) के बाद निम्नलिखित उप-विनियम जोड़ जाए, अर्थात् : (1अ) "प्राधिकृत व्यापारी, मालों के आयात के लिए भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा लिए गए किसी ऋण, दायित्व और अन्य देयता जो भारत के बाहर के निवासी को (मालों के विदेशी आपूर्तिकर्ता, बैंक अथवा वित्तीय संस्था होने के कारण) देय है, के संबंध में गारंटी, वचनपत्र और लेटर ऑफ कंफर्ट, समय-समय पर भारत सरकार द्वारा घोषित विदेश व्यापार नीति के अंतर्गत और समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा यथा निर्धारित नियमों और शर्तों के अधीन दे सकता है।" (एफ.आर. जोसफ) मुख्य महाप्रबंधक पाद टिप्पणी : @ यह उस तारीख का उल्लेख है जिस तारीख को इस विनियम/विनियमावली द्वारा कवर किए गए निर्णय, 1 नवंबर 2004 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.24 जारी करने पर प्रभावी हो गए हैं। (ii) मूल विनियमावली सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 5, 2000 के जी.एस.आर. 391(E) में भाग II, धारा 3, उप-धारा (i) में प्रकाशित की गई है और तत्पश्चात् अगस्त 19, 2002 के जी.एस.आर.575(E) और नवंबर 16, 2004 के जी.एस.आर.745(E) द्वारा आशोधित किया गया है। |