विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी)(संशोधन) विनियमावली, 2010 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी)(संशोधन) विनियमावली, 2010
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.फेमा 206/2009-आरबी 01 जून 2010 विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी)(संशोधन) विनियमावली, 2010 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के खण्ड (ञ) और धारा 47 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद् द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.8/आरबी-2000) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्, 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (क) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) (संशोधन) विनियमावली, 2010 कहलायेंगे । 2. विनियमावली में संशोधन: विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.8/आरबी-2000)(अब इसके बाद 'मूल विनियमावली' के रूप में उल्लिखित) में, विनियम 5 में, खण्ड (घ) के बाद निम्नलिखित नया खण्ड अंत:स्थापित किया जाएगा और 20 अप्रैल 2009 से अंत:स्थापित किया गया है ऐसा समझा जाएगा, अर्थात्- "(ङ) कोई बैंक जो प्राधिकृत व्यापारी है, इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों की शर्त पर, भारत में निवासी किसी व्यक्ति को प्रचलित विदेश व्यापार नीति के अनुसार और विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. जी.एस.आर.381(ई)) के प्रावधानों के तहत लागू लीज परिचालन के जरिये आयातों के वित्तीयन के लिए विदेशी पट्टाकर्ता के पक्ष में कार्पोरेट गारंटी जारी करने के लिए अनुमति दे सकता है।" (सलीम गंगाधरन) पाद टिप्पणी : 1) यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी व्यक्ति पर इन विमियमों के पूर्वव्यापी प्रभाव से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा । 2) मूल विनियमावली 5 मई 2000 को सं. सा.का.नि. 391 (ई) के जरिये सरकारी राजपत्र भाग ।।, खंड 3, उप खंड ( i) में प्रकाशित की गयी और तत्पश्चात् निम्नलिखित द्वारा संशोधित की गयी : i) 19.8.2002 का जी.एस.आर.सं.575(ई)
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