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विदेशी मुद्रा प्रबंध-(प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2000

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
समुद्रपारीय निवेश प्रभाग

अधिसूचना सं.फेमा.14/2000-आरबी

03 मई, 2000

विदेशी मुद्रा प्रबंध-(प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2000

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 47 द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक , विदेशी मुद्रा में प्राप्ति और भुगतान के तरीके के संबंध में निम्नलिखित विनियम बनाता है, अर्थात्,

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(i) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध-(प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2000 कहा जायेगा ।

(ii) ये पहली जून , 2000 से लागू होंगे।

2. परिभाषा

इन विनियमों में , जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,
 
(i) ’ अधिनियम ’ से  विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42 )अभिप्रेत है ।

(ii) ’ प्राधिकृत व्यापारी’ से वह व्यक्ति अभिप्रेत है जो अधिनियम की धारा 10 की उपधारा (1) के अधीन प्राधिकृत व्यापारी के रूप में प्राधिकृत किया गया हो ।

(iii) ’प्राधिकृत बैंक ’ से वह बैंक अभिप्रेत है जो किसी प्राधिकृत व्यापारी से भिन्न हो और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत से बाहर के निवासी व्यक्तियों से जमा राशि स्वीकार करने के लिए प्राधिकृत व्यापारी है ।

(iv) ’एफसीएनआर (विदेशी मुद्रा अनिवासी खाता)/एनआरई((अनिवासी विदेशी) खाता ’ से अभिप्रेत है ’ एफसीएनआर या /एनआरई खाता जो विदेशी मुद्रा प्रबंध-(जमा राशियां) विनियमावली, 2000 के अनुसार खोला गया हो और रखा गया है ।

(v) ’अनुमत करेंसी ’ से वह विदेशी करेंसी अभिप्रेत है जो अबाध रूप से परिवर्तनीय है ।

(vi) इस विनियमावली में प्रयुक्त किंतु अपरिभाषित शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही अर्थ होगा जो क्रमश: उक्त अधिनियम में निर्दिष्ट है।

3. विदेशी मुद्रा में प्राप्ति का तरीका

(i) किसी प्राधिकृत व्यापारी द्वारा विदेशी मुद्रा में प्राप्ति , चाहे किसी देश (नेपाल और भूटान को छोड़कर) से विप्रेषण के रूप में अथवा  भारत से निर्यात के लिए भुगतान पर उसी शाखा या भारत से बाहर के प्रतिनिधि बैंक से अथवा भारत कोई भी अन्य भुगतान पर प्रतिपूर्ति के रूप में निम्नवत् होगा :

समूह

विदेशी मुद्रा की प्राप्ति का तरीका

(1) एशियन क्लियरिडग यूनियन (नेपाल और भूटान को छोड़कर) के सदस्य देश अर्थात् बांगला देश, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान , म्यांमार , पाकिस्तान और श्रीलंका

(क) सभी पात्र चालू लेनदेनों के लिए भुगतान सदस्य देश के बैंक भारत स्थित ’एशियन  क्लियरिडग यूनियन डॉलर खाता ’ को नामे कर जिसमें लेनदेन की दूसरी पार्टी निवासी हो अथवा सदस्य देश में प्रतिनिधि बैंक के पास प्राधिकृत व्यापारी का एशियन क्लियरिडग यूनियन डॉलर खाता को जमा कर ; और

(2) (1) में निर्दिष्ट को छोड़कर अन्य सभी देश

(क) एशियन क्लियरिडग यूनियन या नेपाल और भूटान के सदस्य देश से भिन्न किसी देश में स्थित बैंक के खाता से रुपयों में भुगतान अथवा

(ख) किसी अनुमत करेंसी में भुगतान कर

4. कतिपय मामलों में निर्यात के लिए भुगतान

विनिमय 3 में किसी बात के होते हुए , निर्यात के लिए भुगतान निर्यातक द्वारा निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है :

    (i) भारत में,उनके भ्रमण के दौरान , क्रेता से लिया गया ड्राफ्ट, चेक, भुगतान आदेश, विदेशी करेंसी नोट/ ट्रेवलर चेक के रूप में बशर्ते कि उपर्युक्त के रूप में प्राप्त विदेशी करेंसी उस प्राधिकृत व्यापारी को विनिर्दिष्ट अवधि मे सौंप दी गई हो जिसका निर्यातक एक ग्राहक है ;

    (ii) भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी या प्राधिकृत बैंक के साथ क्रेता द्वारा रखे एफएनसीआर /एनआरई खाता को नामे करके;

    (iii) भारत में क्रेडिट कार्ड सर्विसिंग बैंक से रुपये में , जो क्रेता द्वारा चार्ज स्लिप पर उक्त स्थान के लिए हस्ताक्षरित हो, जहाँ उक्त भुगतान क्रेता द्वारा क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किया जाता है ;

    (iv) यदि प्रति-निर्यातक लेनदेन की राशि दो लाख रुपये से अधिक नहीं है , तो प्राधिकृत व्यापारी के साथ विनिमय गृह (एक्सचेंज हाउस) के नाम में धारित रुपया खाता से ;

    (v) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत व्यापारी के लिए जारी निदेशों के अनुसार , जहाँ निर्यात ,भारत सरकार और विदेश की सरकार के बीच या किसी विदेशी सरकार में वित्तीय संस्था के साथ निर्यात-आयात बैंक द्वारा की गई ऋण व्यवस्था के जरिये किया गया है ।

    4. विदेशी मुद्रा प्रबंध में भुगतान का तरीका

(i) किसी प्राधिकृत व्यापारी द्वारा विदेशी मुद्रा में भुगतान,जो या तो भारत से विप्रेषण के रूप में हो अथवा उसकी शाखा में प्रतिपूर्ति के रूप में अथवा प्रतिनिधि बैंक जो भारत (नेपाल और भूटान को छोड़कर) के बाहर हो, को आयात हेतु भुगतान अथवा कोई भी अन्य भुगतान  निम्नवत् होगा :

समूह

विदेशी मुद्रा की  प्राप्ति का तरीका

(1) एशियन क्लियरिडग यूनियन (नेपाल को छोड़कर) के सदस्य देश अर्थात् बांगला देश, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान , म्यांमार , पाकिस्तान और श्रीलंका

(क) सभी पात्र चालू लेनदेन के लिए भुगतान सदस्य देश के बैंक भारत स्थित ’एशियन क्लियरिडग यूनियन डॉलर खाता ’ को जमा करके जिसमें लेनदेन की दूसरी पार्टी निवासी हो अथवा सदस्य देश में प्रतिनिधि बैंक के पास प्राधिकृत व्यापारी का एशियन क्लियरिडग यूनियन डॉलर खाता को नामेकर; और
(ख) अन्य मामलों मे किसी अनुमत करेंसी में भुगतान

(2) (1) में निर्दिष्ट को छोड़कर अन्य सभी देश

(क) एशियन क्लियरिडग यूनियन या नेपाल और भूटान के सदस्य देश से भिन्न किसी देश के निवासी  खाता को रुपयों में भुगतान ।

(ख) किसी भी अनुमत करेंसी में भुगतान कर

(2) भारत में आयात के संबंध में

(क) जहाँ एशियन क्लियरिडग यूनियन (नेपाल को छोड़कर ) के सदस्य देश से माल जहाज से भेजा जाता है , किंतु आपूर्तिकता (सप्लायर) एशियन क्लियरिडग यूनियन के सदस्य देश का निवासी नहीं है , तो इसका भुगतान विनिमय 5 के समूह (2) में निर्दिष्ट देशों के लिए में विनिर्दिष्ट तरीकों से भुगतान किया जाए;

(ख) सभी अन्य मामलों मे माल जिस देश से जहाज से भेजे गये हैं , उस देश के लिए उपयुक्त करेंसी में भुगतान किया जाए;

6. कतिपय मामलों में भुगतान का तरीका

विनिमय 5 में किसी के बात के होते हुए भी -

(1) जहाँ आयात ,भारत सरकार और विदेश की सरकार के बीच की गई ऋण व्यवस्था के जरिये किया जाता है, आयात के लिए भुगतान , रिजर्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अनुसार किया जायेगा ;

(2) उप-विनिमय (1)के प्रावधानों के अधीन , भारत में निवासी कोई व्यक्ति अपने
अंतर्राष्ट्रीय कार्ड के माध्यम से विदेशी करेंसी में भुगतान कर सकता है :
बशर्ते कि;

(क) जिस लेनदेन के लिए ऐसा भुगतान किया जाता है , वह अधिनियम के उपबंधों , उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों और विनियमों के अनुरूप है; और

(ख) आयात के मामले में ,जिसके लिए भुगतान किया जाता है , आयात भी तत्कालीन लागू निर्यात-आयात नीति के अनुरूप हो ।


(पी.आर.गोपाल राव)
कार्यपालक निदेशक

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