विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2016 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2016
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा.14(आर)/2016-आरबी 02 मई 2016 विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2016 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और समय-समय पर यथा संशोधित, प्राप्ति और भुगतान के तरीके से संबंधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 14/2000-आरबी, भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति से प्राप्ति एवं उसको भुगतान करने से संबंधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 16/2000-आरबी तथा नेपाल और भूटान के निवासियों के साथ भारतीय रुपए में लेनदेन से संबंधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 17/2000-आरबी को अधिक्रमित करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक प्राप्ति और भुगतान के तरीके के संबंध में निम्नलिखित विनियमावली निर्मित करता है, अर्थात :- 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ:-
2. परिभाषाएँ :- इन विनियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,
इन विनियमों (Regulations) में प्रयुक्त शब्द एवं अभिव्यक्ति जिन्हें इनमें परिभाषित नहीं किया गया है उनके वही अर्थ होंगे जो उक्त अधिनियम में दिए गए हैं। 3. विदेशी मुद्रा प्राप्ति का तरीका (1) प्राधिकृत व्यापारी द्वारा विदेश से विप्रेषण के माध्यम से अथवा भारत से निर्यात के लिए भुगतान हेतु भारत से बाहर की उसकी शाखा अथवा तदनुरूपी बैंक से प्रतिपूर्ति के माध्यम से अथवा किसी अन्य भुगतान के लिए निम्नवत प्राप्त किया जाएगा: ए. एशियन क्लियरिंग यूनियन के सदस्य (i) बांग्लादेश, म्यांमार, पकिस्तान, श्रीलंका और रिपब्लिक ऑफ मालदीव
(ii) नेपाल और भूटान
(iii) इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान
बी. ऊपर मद "ए" में वर्णित से भिन्न सभी अन्य देश
(2) (ए) भारत से निर्यात के मामले में, निर्यात फार्म में की गई घोषणा के अनुसार माल के अंतिम गंतव्य के अनुसार उचित मुद्रा में प्राप्ति की जाएगी भले ही क्रेता के निवास का देश कोई भी क्यों न हो। (बी) भारत से किए गए निर्यात के संबंध में, रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर प्राधिकृत व्यापारियों को जारी निदेशों के अनुसार विनिर्दिष्ट किसी अन्य तरीके से निर्यात की आगम राशि प्राप्त की जा सकेगी। (3) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को यह अनुमति दी गई है कि वे माल / सॉफ्टवेयर निर्यात के भुगतान की प्राप्ति किसी तीसरे पक्ष (क्रेता से भिन्न पार्टी) से प्राप्त करने की अनुमति रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार प्रदान कर सकते हैं। 4. कतिपय मामलों में निर्यात के लिए प्राप्ति का तरीका :- (1) विनियम 3 में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, निर्यातक द्वारा निर्यात के लिए प्राप्ति निम्नलिखित रूप में भी की जा सकती है, अर्थात: (i) भारत में भ्रमण के दौरान ट्रैवलर क्रेता से बैंक ड्राफ्ट, चेक, भुगतान आदेश, विदेशी करेंसी नोट/ट्रैवलर चेक के रूप में प्राप्त की जा सकती है बशर्ते उपर्युक्त रूप में प्राप्त विदेशी करेंसी उस प्रधिकृत व्यापारी को विनिर्दिष्ट अवधि मे सौंप दी जाए जिसका निर्यातक एक ग्राहक है; (ii) भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी या प्राधिकृत बैंक के पास क्रेता द्वारा रखे एफसीएनआर/एनआरई खाता को नामे करके; (iii) जहाँ भारत में भुगतान क्रेता द्वारा क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किया जाता है वहां क्रेता द्वारा हस्ताक्षरित चार्ज स्लिप पर क्रेडिट कार्ड सर्विसिंग बैंक से रुपये में; (iv) एक्स्चेंज हाउस के नाम में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास रखे रुपया खाते से यदि राशि प्रति निर्यात संव्यवहार (transaction) हेतु पंद्रह लाख रुपए से अधिक न हो अथवा इस संबंध में भारत सरकार के परामर्श से, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट कोई अन्य राशि; (v) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत व्यापारी/यों के लिए जारी निदेशों के अनुसार, जहाँ निर्यात भारत सरकार और विदेशी सरकार के बीच या किसी विदेशी सरकार की वित्तीय संस्था के साथ भारतीय निर्यात-आयात बैंक (EXIM Bank) द्वारा की गई ऋण (Credit) व्यवस्था के जरिये होता है। (vi) विशेष आर्थिक क्षेत्रों और निर्यातोन्मुख इकाइयों में स्थित रत्न और जवाहरात के निर्यातक द्वारा किए गए निर्यात के समतुल्य कीमती धातुओं अर्थात स्वर्ण / चाँदी / प्लैटिनम के रूप में बशर्ते बिक्री संविदा में तत्संबंधी प्रावधान हो और निर्यात मूल्य संबन्धित EDF में घोषित किया गया हो। (2) उपर्युक्त मद सं. 4.(1) (i) एवं (iii) के अतिरिक्त निर्यात से भिन्न प्रयोजनार्थ भारत में निवासी कोई व्यक्ति भारत से बाहर के डाकघर द्वारा जारी पोस्टल आर्डर अथवा ऐसे डाकघर के जरिए पोस्टल मनी आर्डर से भुगतान प्राप्त कर सकता है। 5. विदेशी मुद्रा में भुगतान का तरीका (1) प्राधिकृत व्यापारी द्वारा भारत से विप्रेषण अथवा भारत में आयात के लिए भुगतान भारत से बाहर की अपनी शाखा अथवा तदनुरूपी बैंक को प्रतिपूर्ति के माध्यम से अथवा किसी अन्य भुगतान के लिए निम्नवत किया जाएगा: (ए). एशियन क्लियरिंग यूनियन के सदस्य (i) बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका और रिपब्लिक ऑफ मालदीव – (ए) पात्र माल और सेवाओं के आयात के लिए सदस्य देश, जिसमें लेनदेन की दूसरी पार्टी निवासी हो, के भारत स्थित बैंक के ‘एशियन क्लियरिंग यूनियन डॉलर खाते’ और / अथवा ‘एशियन क्लियरिंग यूनियन यूरो खाते’ में जमा कर के अथवा उस सदस्य देश में प्राधिकृत व्यापारी के तदनुरूपी बैंक में रखे एशियन क्लियरिंग यूनियन डॉलर खाते और/अथवा ‘एशियन क्लियरिंग यूनियन यूरो खाते’ को नामे कर के भुगतान किया जाएगा; (बी) सभी अन्य मामलों में मुक्त रूप में परिवर्तनीय किसी मुद्रा में भी भुगतान किया जा सकता है; (सी) म्यांमार से भारत को आयात के संबंध में, किसी मुक्त रूप में परिवर्तनीय मुद्रा में अथवा म्यांमार से ‘एशियन क्लियरिंग यूनियन’ प्रणाली के तहत भुगतान किया जा सकता है। (ii) नेपाल और भूटान – रुपये में भुगतान; (iii) इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान
बी. उपर्युक्त मद ए) में दिये गए देशों से भिन्न सभी देश
(2) भारत में आयात के संबंध में
(3) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार यह अनुमति दी गई है कि वे माल / सॉफ्टवेयर के आयात के लिए भुगतान किसी तीसरे पक्ष (आपूर्तिकर्ता से भिन्न पार्टी) को करने की अनुमति प्रदान कर सकते हैं। 6. कतिपय मामलों में भुगतान का तरीका (1) विनियम 5 में किसी बात के होते हुए भी, भारत में निवासी कोई व्यक्ति माल के आयात के लिए निम्न प्रकार से भुगतान कर सकता है: आयातक द्वारा हस्ताक्षरित चार्ज स्लिप पर उसके अंतरराष्ट्रीय कार्ड से विदेशी मुद्रा में / भारत स्थित क्रेडिट / डेबिट कार्ड सर्विसिंग बैंक के अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट / डेबिट कार्ड से, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय समय पर किए गए विनिर्देशन के अनुसार, रुपये में भुगतान किया जा सकता है; बशर्ते कि
(2) भारत में निवासी कोई व्यक्ति निम्न प्रकार से भी भुगतान कर सकता है :
(ए. के. पाण्डेय) |