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विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन और सुपुर्दगी) विनियमावली, 2015

भारिबैंक/2015-16/311
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.46/2015-16 [(1)/9(आर)]

4 फरवरी 2016

सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी और प्राधिकृत बैंक

महोदया/महोदय,

विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन और सुपुर्दगी) विनियमावली, 2015

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 29 दिसंबर 2015 के जी.एस.आर. सं. 1005 (ई) के जरिए 29 दिसंबर 2015 की अधिसूचना सं. फेमा. 9(आर)/2015-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन और सुपुर्दगी) विनियमावली, 2015 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जो विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन और सुपुर्दगी) विनियमावली, 2000 एवं तत्पश्चात इसमें हुए संशोधनों को अधिक्रमित करती है।

2. नए विनियमों का सारांश नीचे दिया गया है :

A. प्राप्य विदेशी मुद्रा की वसूली हेतु व्यक्तियों के दायित्व (duty) :-

भारत में निवासी कोई व्यक्ति जिसे विदेशी मुद्रा में कोई राशि प्राप्य है अथवा उपचित हुई है, उक्त अधिनियम, अथवा उसके अंतर्गत निर्मित नियमों अथवा विनियमों के उपबंधों अथवा रिज़र्व बैंक की सामान्य अथवा विशिष्ट अनुमति के तहत छूट प्राप्त होने के सिवाय, ऐसी विदेशी मुद्रा की वसूली और भारत में उसे प्रत्यावर्तित करने के लिए हर संभव उचित कदम उठाएगा और किसी भी मामले में ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा अथवा कार्य करने से विरत नहीं होगा अथवा कार्रवाई करेगा अथवा विरत होगा, जिससे–

  1. उक्त विदेशी मुद्रा की पूरी अथवा अंशतः प्राप्ति में विलंब हो; अथवा

  2. उसे प्राप्य विदेशी मुद्रा की पूरी अथवा अंशतः राशि प्राप्त ही न हो।

बी. प्रत्यावर्तन का तरीका:-

(1) प्राप्य विदेशी मुद्रा की वसूली पर, संबन्धित व्यक्ति उसे भारत में प्रत्यावर्तित करेगा अर्थात भारत में लाएगा अथवा भारत में प्राप्त करेगा; और –

  1. भारत में प्राधिकृत व्यक्ति को विदेशी मुद्रा बेचकर विनिमय में रुपए प्राप्त करेगा; अथवा

  2. रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट सीमा तक भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास रखे खाते में उसे रखेगा अथवा धारण किए रहेगा; अथवा

  3. विदेशी मुद्रा में मूल्य वर्गीकृत कर्ज़ अथवा देयता को चुकाने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट सीमा और रीति से इस्तेमाल करेगा।

(2) किसी व्यक्ति के संबंध में यह समझा जाएगा कि उसने विदेशी मुद्रा में वसूल हुई राशि भारत में प्रत्यावर्तित कर दी है जब वह किसी बैंक अथवा भारत से बाहर के किसी देश में स्थित एक्स्चेंज हाउस में प्राधिकृत व्यापारी के पास रखे खाते के जरिए भारत में रुपये में भुगतान प्राप्त कर लेता है।

सी. वसूल हुई विदेशी मुद्रा की सुपुर्दगी के लिए अवधि :-

भारत में निवासी व्यष्टि (individual) से भिन्न कोई व्यक्ति (person) वसूल हुई विदेशी मुद्रा प्राधिकृत व्यापारी को निम्नवत विनिर्दिष्ट अवधि में बेचेगा :-

  1. भारत में अथवा भारत से बाहर दी गई सेवाओं के लिए पारिश्रमिक के रूप में प्राप्य अथवा उपचित अथवा किसी विधि सम्मत भुगतान, अथवा भारत से बाहर की परिसंपत्तियों से हुई आय, अथवा विरासत के रूप में, निपटान (भुगतान) अथवा उपहार के रूप में प्राप्य विदेशी मुद्रा, प्राप्ति की तारीख से 7 दिनों के भीतर सुपुर्द की जाएगी।

  2. सभी अन्य मामलों में ऐसी प्राप्ति की तारीख से नब्बे दिनों की अवधि के भीतर सुपुर्द की जाएगी।

डी. कतिपय मामलों में सुपुर्दगी के लिए अवधि :-

(1) ऐसा व्यक्ति जो भारत में निवासी व्यष्टि नहीं है एवं जिसने उक्त अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (5) के अंतर्गत किसी प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत घोषणा में दिए गए प्रयोजन के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित अथवा क्रय की है, वह ऐसे प्रयोजन अथवा उक्त अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत निर्मित नियमों अथवा विनियमों अथवा निदेशों अथवा आदेशों के उपबंधों के अंतर्गत अनुमत प्रयोजन, जिनके लिए विदेशी मुद्रा क्रय की जा सकती है, के लिए उपयोग में नहीं लाता है, तो वह ऐसी विदेशी मुद्रा अथवा उसका अप्रयुक्त अंश ऐसे अर्जन अथवा खरीद की तारीख से साठ दिनों की अवधि के भीतर प्राधिकृत व्यापारी को सुपुर्द करेगा।

(2) उप विनियम (1) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां किसी व्यक्ति द्वारा, जो भारत में निवासी व्यष्टि नहीं है, प्राधिकृत व्यापारी से विदेशी यात्रा के प्रयोजन के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है अथवा खरीदी जाती है, वहां ऐसी विदेशी मुद्रा के व्यय न हुए अंश को उक्त अधिनियम के अंतर्गत निर्मित विनियमों में उपबंधित छूट के सिवाय, निम्नवत प्राधिकृत व्यक्ति के सुपुर्द किया जाएगा -

  1. यदि व्यय न हुई विदेशी मुद्रा करेंसी नोटों और सिक्कों के रूप में हो तो यात्री द्वारा भारत में लौटने की तारीख से नब्बे दिनों के भीतर ; और

  2. विदेशी मुद्रा यात्री चेकों के रूप में होने पर यात्री द्वारा भारत में लौटने की तारीख से एक सौ अस्सी दिनों के भीतर ।

ई. निवासी व्यक्तियों द्वारा प्राप्त/ वसूल/ व्यय न हुई/ अप्रयुक्त विदेशी मुद्रा की सुपुर्दगी के लिए अवधि:-

ऐसा व्यक्ति जो भारत में निवासी व्यष्टि है, प्राप्त / वसूल / व्यय न हुई / अप्रयुक्त विदेशी मुद्रा चाहे करेंसी नोटों, सिक्कों और यात्री चेकों आदि के रूप में हो, मामले के अनुसार, ऐसी प्राप्ति / वसूली / खरीद / अर्जन अथवा भारत में लौटने की तारीख से 180 दिनों के भीतर प्राधिकृत व्यक्ति के सुपुर्द करेगा।

एफ़. छूट :-

इन विनियमों में अंतर्विष्ट कोई भी बात नेपाल अथवा भूटान की करेंसी पर लागू नहीं होगी।

3. नए विनियम 29 दिसंबर 2015 के जीएसआर सं. 1005 (ई) के जरिए 29 दिसंबर 2015 की अधिसूचना सं. फेमा. 9(आर)/2015-आरबी द्वारा अधिसूचित किए गए हैं और 29 दिसंबर 2015 से लागू होंगे।

4. प्रधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।

भवदीय

(बी.पी.कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

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