विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपयों में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 - अनिवासी भारतीय / भारतीय मूल के व्यक्तियों को रुपयों में आवास ऋण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपयों में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 - अनिवासी भारतीय / भारतीय मूल के व्यक्तियों को रुपयों में आवास ऋण
आरबीआइ/2004/219 मई 25, 2004 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्रधिकृत व्यापारी महोदया / महोदय विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपयों में उधार लेना अथवा देना) प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान मई 3, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 4/2000 - आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपयों में उधार लेना अथवा देना) अवनियमावली 2000 की ओर आकृष्ट किया जाता है । उसी अधिसूचना के विनियम 8 के अनुसार राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा अनुमोदित भारत के प्राधिकृत व्यापारी या आवास वित्तीय संस्था को, अनिवासी भारतीय या भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति को, भारत में आवासीय स्थान के अधिग्रहण के लिए आवास ऋण देने की अनुमति है । ऐसे ऋण की किस्ते, ब्याज और अन्य प्रभार, अगर कोई हो, तो वह उधारकर्ता द्वारा सामान्य बैंकिंग माध्यम से आवक विप्रेषण द्वारा या उसके एलआरई / एफसीएनआर (बी) / एनआरओं / एनआरएनआर / एनआरएसआर खातें के नामें डालकर या ऋण का उपयोग करने अधिगृहीत की गयी संपत्ति को किराए पर दे कर प्राप्त किराया आय में से किया जाए । 2. उदारीकरण के एक और उपाय के रुप में यह निर्णय किया गया है कि उधारकर्ता के भारत के नजदीकी रिश्तेदारों को (कंपनी अधिनियम 1956 के धारा 6 में परिभाषित अनुसार) ऐसे ऋण के ब्याज और अन्य प्रभार, अगर कोई हो, किस्तों की चुकौती उनके अपने बैंक खाते से प्राधिकृत व्यापारी / आवास वित्त संस्था के पास रखे गए उधारकर्ता के ऋण खाते में सीधे करने की अनुमति दी जाए । 3. विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपयों मे उधार लेना अथवा देना) विनियमावली 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं । 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं । 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं । भवदीया, गेस कोशी |