विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं) ( संशोधन) विनियमावली, 2003 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं) ( संशोधन) विनियमावली, 2003
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.फेमा. 81/आरबी-2003 दिनांक: 08 जनवरी ,2003 विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 47 के उप-खंड (2) के खंड (ज) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग तथा दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 25/2000-आरबी में आंशिक संशोधन करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) विनियमावली, 2000 में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात् :- 1.संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (i) यह विनियमावली,विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा)(संशोधन) विनियमावली, 2003 कहलाएगी । 2.विनियम में संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) विनियमावली, 2000 में , निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जाएगा; (अ) अधिसूचना की अनुसूची II के खंड (1)में, " हेज का मूल्य निहित ऋण अथवा इक्विटी लिखतों के बाजार मूल्य से अधिक न हो परंतु एक बार बुक किया गया वायदा संविदा मूल परिपक्वता तक , प्रतिभति की बिक्री के अलावा अन्य कारणों से निहित पोर्टपोलिओ का कम मूल्य हो जाने के बावजूद , जारी रखने की अनुमति होगी । (ख) उप-खंड (ख) निरस्त किया जायेगा और बाद के उप-खंड (ग)और उप-खंड (घ) तथा उप-खंड (ङ) को क्रमश: (ख),(ग) और (घ) क्रमांक दिया जायेगा । आ. अनुसूची II के खंड(3)के बदले निम्नलिखित प्रतिस्थापित किए जाएं ; " प्राधिकृत व्यापारी भारत से बाहर निवासी व्यक्तियों को 1जनवरी 1993 के बाद किये गये निवेशों की रक्षा के लिए वायदा संविदा का प्रद्ताव दे सकते हैं , भारत में जोखिम के सत्यापन के अधीन एक बार निरस्त वायदा संविदा दुबारा बुक किये जाने की पात्र नहीं होगी(कि.ज. उदेशी) |