विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का प्रेषण) (संशोधन) विनियमावली, 2004 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का प्रेषण) (संशोधन) विनियमावली, 2004
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.फेमा 119/2004-आरबी दिनांक: 29 जून , 2004 विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का प्रेषण) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग और दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 13/2000-आरबी में आंशिक आशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का प्रेषण)(संशोधन) विनियमावली, 2000, में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्, संक्षिप्त नाम और प्रारंभ 1. (i) यह विनियमावली,"विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का प्रेषण) (संशोधन) विनियमावली, 2004 " कहलाएगी। (ii) यह राजकीय राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से लागू होंगी। 2. विनियमावली में संशोधन 2(i) विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का प्रेषण) विनियमावली, 2000 के विनियम 4 में उप-विनियम (3) के लिए निम्नलिखित उप-विनियम को प्रतिस्थापित किया जायेगा ,अर्थात्; "(3) अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल का कोई व्यक्ति प्रति कैलेंडर वर्ष में अधिकतम् 1,000,000 अमरीकी डॉलर (एक मिलियन अमरीकी डॉलर (केवल एक मिलियन अमरीकी डॉलर) की राशि भेज सकता है , (i) अनिवासी सामान्य खाते की शेष राशि / परिसंपत्तियों की बिक्री आय/ भारत में विरासत/ वसीयत संपदा के रूप में उसके द्वारा अधिग्रहीत परिसंपत्तियों में से निम्नलिखित की प्रस्तुति पर : (क) विप्रेषक द्वारा परिसंपत्तियों के विरासत/ वसीयत संपदा के अधिग्रहण के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य , और (ख) विप्रेषण के लिए आयकर प्राधिकरण से प्राप्त कर बकाया नहीं/ आपत्ति नहीं का प्रमाणपत्र । (ii) उसके माता- पिता अथवा निकट संबंधी (जैसा कि कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 6 में परिभाषित है ) द्वारा तैयार किये गये भुगतान विलेख और विलेखकर्ता की मृत्यु के बाद प्रभावी भुगतान के अधीन निम्नलिखित की प्रस्तुति पर : (क) भुगतान विलेख; और (ख) विप्रेषण के लिए आयकर प्राधिकरण से प्राप्त कर बकाया नहीं/ आपत्ति नहीं का प्रमाणपत्र । बशर्ते कि अचल संपत्ति की बिक्री से प्राप्त आय विरासत/ वसीयत संपदा /निपटान से इतर द्वारा अधिग्रहीत) के विप्रेषण के संबं में संपत्ति /बिक्री से प्राप्त आय को संचयी रूप में कम से कम 10 वर्षों की अवधि के लिए पा4 निवेशों के रूप में रखा / रोका गया हो : बशर्ते कि थगे यह कि जहाँ खंड (i)और खंड (ii) के अधीन विप्रेषण एक से अधिक किस्तों में किया जाता है , वहाँ सभी किस्तों का प्रेषण उसी प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से किया जाये । (श्यामला गोपीनाथ) |