विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गमन) (संशोधन) विनियमावली, 2001 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गमन) (संशोधन) विनियमावली, 2001
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचनासं.फेमा 40/2001-आरबी 2 मार्च 2001 विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गमन) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा 3 के खण्ड (ए) और धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और दिनांक 3 मई 2000 की उसकी अधिसूचना सं. फेमा 19 / आरबी -2000 के आंशिक संशोधन में भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गमन) (संशोधन) विनियमावली, 2000 में संशोधन करने के लिए निम्नलिखित विनियम बनाता है, यथा :- 1(क) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गमन) (संशोधन) विनियमावली, 2001 कहा जाएगा । (ख) ये तत्काल लागू होंगे । 2. विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गमन) (संशोधन) विनियमावली, 2000 में अ) विनियम 6 के, i) खण्ड (i) के लिए निम्नलिखित खण्ड को प्रस्थापित किया जाये, यथा :- ‘‘ संयुक्त उद्यमों /संपूर्ण स्वामित्ववाली अनुषंगियों में भारतीय पार्टी की किसी एक वित्तीय वर्ष में कुल वित्तीय वचनबध्दता नेपाल,भुटान और पाकिस्तान में निवेश को छोड़कर 50 दशलक्ष अमेरिकी डालर अथवा उसके समक क्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए ; ’’ बशर्ते म्यान्मार और सार्क देशों (नेपाल,भुटान और पाकिस्तान के अलावा) में संयुक्त उद्यमों/संपूर्ण स्वामित्ववाली अनुषंगियों में वचनबध्दता के संबंध में किसी एक वित्तीय वर्ष में इस प्रकार की वचनबध्दता के लिए सीमा 25 दशलक्ष अमेरिकी डालर अथवा उसके समक क्ष से बढायी जानी चाहिए ; ii. खण्ड (ii) के लिए निम्नलिखित खण्ड को प्रस्थापित किया जाये, यथा :- ‘‘ नेपाल अथवा भूटान में प्रत्यक्ष निवेश के संबंध में किसी एक वित्तीय वर्ष में भारतीय रुपयों में कुल वित्तीय वचनबध्दता 350 करोड़ भारतीय रुपयों से अधिक नहीं होनी चाहिए ; ’’ iii. खण्ड (iv) को हटा दिया जाये । (ख) उप-विनियम (3) में i) खण्ड (iii) के लिए निम्नलिखित खण्ड को प्रस्थापित किया जाये, यथा :- ‘‘ ii) एडीआर/जीडीआर के निर्गम से जुटायी गई राशि का भारतीय पार्टी द्वारा उपयोग’’ (ग) उप विनियम 6 में परंतुक (बी) को हटा दिया जाये । आ) विनियम 8 में (i) उप विनियम (1) के लिए निम्नलिखित उप-विनियम को प्रस्थापित किया जाये, यथा :- ‘‘(1) विदेशी करेन्सी परिवर्तनीय बाण्डों और साधारण शेयरों के (निक्षेपागार प्राप्ति तंत्र के जरिए) निर्गम के लिए योजना, 1993 और उसके अधीन केद्रीय सरकार द्वारा समय समय पर जारी मार्गदर्शी सिध्दांतों के अनुसार हालही में जारी एडीआर/जीडीआर के आदान प्रदान में उसी तरह की स्थायी गतिविधि में लगी विदेशी कंपनी के शेयर भारतीय पार्टी अर्जित कर सकते हैं ; बशर्ते (क) भारतीय पार्टी ने पहले ही एडीआर और अथवा जीडीआर निर्गम को जारी किया है और ऐसे एडीआर/जीडीआर भारत के बाहर किसी स्टाक एक्स्चेज पर वर्तमान में सूचीबध्द है ; (ख)भारतीय पार्टी द्वारा ऐसे निवेश निम्नलिखित राशियों से अधिक नहीं होनी चाहिए; (i) 10 दशलक्ष अमेरिकी डालर के समकक्ष की राशि, अथवा, (ii) पूर्व गामी वित्तीय वर्ष के दौरान भारतीय पार्टी के निर्यात अर्जन उसी वित्तीय वर्ष में इस खण्ड के (i) के अधीन मिलाकर भाग । में विनियमों के अधीन किये गये सभी निवेशों को शामिल उसके लेखा परिक्षित तुलनपत्र में व्यक्त किये गये अनुसार 10 गुना के समकक्ष की राशि । ग) अर्जन के उद्देश हेतु एडीआर और /अथवा जीडीआर के निर्गम भारतीय पार्टी द्वारा जारी पूर्वताप्राप्त नये इक्विटी शेयरों से समर्थित है ; घ) नये एडीआर और अथवा जीडीआर निर्गम के बाद विस्तारित पूँजी आधार में भारत के बाहर निवासी व्यक्तियों द्वारा भारतीय पार्टी में कुल धारता ऐसे निवेश के लिए संबंधित विनियमों के अधीन निहित क्षेत्रीय नियंत्रण (सेक्ट्रोल कैप) से अधिक नहीं होनी चाहिए ; ङ ) विदेशी कंपनी के शेयरों के मूल्यांकन इस प्रकार किया गया है ; अ) निवेश बैंकर की सिफारिशियों के अनुसार यदि शेयर किसी स्टाक एक्स्चेंज पर सूचीबध्द नहीं है, अथवा अ) विनियम 9 के बाद निम्नलिखित विनियम को प्रस्थापित किया जाये, यथा :- ‘‘ 9ए रिज़र्व बैंक द्वारा एकमुश्त आबंटन ’’ (1) रिज़र्व बैंक भारतीय पार्टी को विदेशी मुद्रा के एकमुश्त आबंटन की मंजूरी, जो विनियम 6 के उप-विनियम (2) के अंतर्गत उनके लिए उपलब्ध सीमा समाप्त हुअी है और उसके लिए आवेदन करने पर तथा आवश्यक समझे गये ऐसे शर्तों और नियमों के अधीन होगी । ई) विनियम 12 के उप विनियम (3) में ‘‘विनियम 10’’ शब्दों के लिए ‘‘विनियम 11’’ शब्दों को प्रतिस्थापित करें । उ) भाग । के बाद निम्नलिखित भाग जोड़ा जाएं, यथा:- ‘‘ भाग ।-ए ’’ भारत में किसी फर्म द्वारा विदेश में निवेश 17ए भारत में किसी फर्म द्वारा विदेश में निवेश (1) भारतीय साझेदारी अधिनियम,1932 के अधीन पंजीकृत भारत में कोई फर्म विदेश में उस सीमा तक और भाग । में विनिर्दिष्ट तरीके से निवेश करने के लिए अनुमति हेतु रिज़र्व बैंक को आवेदन कर सकता है । (2) रिज़र्व बैंक विनियम 9 के उप-विनियम (3) में उल्लिखित कारकों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक समझे गये ऐसे नियमों और शर्तों के अधीन अनुमति प्रदान करेगा । 17 बी रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना साझेदारी फर्म द्वारा निवेश (1) भारतीय सझेदारी अधिनियम, 1932 के अधीन पंजीकृत साझेदारी फर्म जो अनुसूची में विनिर्दिष्ट व्यावसायिक सेवाओं को उपलब्ध कराने में लगू हुअी है, उसी प्रकार की गतिविधि में लगी हुअी विदेशी संस्थाओं में भारत से विप्रेषण और / अथवा शुल्क ऐसे विदेशी संस्थाओं से उनको देय अन्य हक़दारी के पूँजीकरण के मार्ग से निवेश कर सकता है । बशर्ते कि ग) निम्नलिखित से अन्तर्विष्ट एक रिपोर्ट रिज़र्व बैंको के प्राधिकृत व्यापारी के जरिए ऐसे निवेश किये जाने की तिथि से 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया गया है (i) निवेशकर्ता फर्म का नाम, पूरा पता, पंजीकरण और सदस्यता के ब्योरें, (ii) विदेश निवेश के पूर्ण ब्योरें (iii) विप्रेषण की तिथि और राशि/ शुल्कों के पूँजीकरण/निवेशकर्ता फर्म को देय अन्य हक़दारी की राशि (iv) विदेशी संस्था का नाम और पता उसकी गतिविधि प्रकार के साथ (v) पहचान संख्या, यदि रिज़र्व बैंक ने पहले ही आबंटित की है । ऊ) विनियम 19 के उप विनियम (2) के परंतुक में खण्ड (बी) के लिए निम्नलिखित खण्ड को प्रतिस्थापित किया जाये, यथा:- ‘‘ (बी) खरीद के लिए प्रतिफल किसी एक कैलेण्डर वर्ष में 20,000 अमेरिकी डालर अथवा उसके समकक्ष से अधिक नहीं है, और ’’ ए) अनुसूची । के लिए निम्नलिखित अनुसूची को प्रतिस्थापित किया जाये, यथा :- ‘‘अनुसूची रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमति के बिना विदेश
(डी पी सारडा) |