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विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2005

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
(केद्रीय कार्यालय)

मुंबई - 400 001

अधिसूचना सं.फेमा.135/2005-आरबी  

 17 मई, 2005

विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का
अंतरण अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2005

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा (3) के खंड (क) और धारा 47 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग तथा दिनांक 7 जुलाई 2004 की इसकी अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 में आंशिक संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2004 में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्,

1.संक्षिप्त नाम और प्रारंभ :-

(i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली 2005 कहलाएगी।

(ii) ये सरकारी राजपत्र में प्रकाशित होने की तारीख से लागू होंगे।

2.विनियमावली में संशोधन :-

विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली 2004 में :-

(i) विनियम 6 में, उप-विनियम 2 में, खण्ड (i) के स्पष्टीकरण में निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जाएगा :

(क) "स्पष्टीकरण : शुद्ध मालियत के 100 प्रतिशत की सीमा के अंदर "कुल वित्तीय प्रतिबद्धता" तय करने के प्रयोजन के लिए निम्नलिखित को गिना जाएगा, अर्थात् :-"

(ख) उप-खण्ड (क) को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा :

"(क) बाज़ार खरीदों द्वारा विप्रेषण, नामत: मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्राओं में; भूटान के मामले में मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्रा अथवा समकक्ष भारतीय रुपए में किया गया निवेश; नेपाल के मामले में केवल भारतीय रुपए में किया गया निवेश।"

(ii) विनियम 15 में, खण्ड (ii) के बाद निम्नलिखित परंतुक जोड़ा जाए।

"बशर्ते भूटान में मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्रा में प्रतिभूतियों में किए गए निवेश के मामले में, चूंकि उस पर प्राप्य सभी राशियां, जिसमें विनिवेश/ विघटन/ समापन से प्राप्य राशियां शामिल हैं, प्रत्यावर्तनीय होती हैं, वसूली तथा प्रत्यावर्तन मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्रा में ही किए जाएंगे।"


एफ.आर.जोसफ
मुख्य महाप्रबंधक


पाद टिप्पणी :

मूल विनियमावली मई 8, 2000 के सरकारी राजपत्र जी.एस.आर. सं.456(E) में भाग II, खण्ड 3, उप-खण्ड (i) में प्रकाशित हुई थी जिसे नवंबर 19, 2004 के सरकारी राजपत्र में प्रकाशित जी.एस.आर.सं.757(E) द्वारा अधिक्रमित किया गया है और तत्पश्चात् . . . . . . . . . के जी.एस.आर. सं. . . . . . . . . द्वारा संशोधित किया गया है।

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