विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भारत में विदेशी निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भारत में विदेशी निवेश
भारिबैंक/2014-15/453 5 फरवरी 2015 सभी प्राधिकृत व्यक्ति महोदया/महोदय, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भारत में विदेशी निवेश प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं॰फेमा.20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित, समय समय पर यथासंशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार पंजीकृत विदेशी पोर्टफालियो निवेशक सरकारी प्रतिभूतियों और भारतीय कंपनी द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचर (NCDs)/बांड, उनमें दी गई ऐसी शर्तों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक एवं भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) द्वारा विनिर्दिष्ट सीमाओं में, प्रत्यावर्तनीय आधार, पर खरीद सकते हैं। 2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 3 फरवरी 2015 को जारी छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तब्य, 2014-15 में की गई घोषणा की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार मौजूदा सीमाओं का पूरी तरह उपयोग होने के बावजूद सरकारी प्रतिभूतियों में कूपन का पुनर्निवेश करना संभव होगा। 3. तदनुसार, पंजीकृत विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों को सरकारी प्रतिभूतियों में किए गए मौजूदा निवेश पर प्राप्त कूपनों को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की अनुमति होगी। ये निवेश पंजीकृत विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के लिए लागू सीमा (संप्रति 30 बिलियन अमरीकी डालर) के अतिरिक्त होंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इन निवेशों के संबंध में, समय-समय पर किए गए विनिर्देशानुसार, रिपोर्ट करना सुनिश्चित करें। 4. उल्लिखित निदेश तत्काल प्रभाव से लागू हैं। इसके अलावा, परिचालनात्मक दिशानिर्देश भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा जारी किए जाएंगे। 5. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने से संबंधित सभी अन्य मौजूदा शर्तें इस अतिरिक्त सुविधा के लिए भी अपरिवर्तित बनी रहेंगी। 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय, (बी. पी. कानूनगो) |