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सेबी के पास पंजीकृत दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा भारत में सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश

भारिबैंक/2013-14/473
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 99

29 जनवरी 2014

सभी प्राधिकृत व्यक्ति

महोदया/महोदय,

सेबी के पास पंजीकृत दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा
भारत में सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक, अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक और दीर्घकालिक निवेशक, प्रत्यावर्तनीय आधार पर, सरकारी प्रतिभूतियों और किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों (NCDs)/बांडों को, उनमें विनिर्दिष्ट शर्तों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक और सेबी द्वारा, समय-समय पर यथा विनिर्दिष्ट सीमाओं के अंतर्गत खरीद सकते हैं।

2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 12 जून 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.111 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों, अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों और दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की वर्तमान सीमा 30 बिलियन अमरीकी डॉलर है, जिसमें से 5 बिलियन अमरीकी डॉलर की उप – सीमा दीर्घकालिक निवेशकों को सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए उपलब्ध है।

3. समीक्षा करने पर, भारत सरकार के परामर्श से अब यह निर्णय लिया गया है कि सेबी के पास पंजीकृत दीर्घकालिक निवेशकों जैसे सरकारी धन निधियों, बहुपक्षीय एजेंसियों, पेंशन/बीमा/एन्‍डॉउमेंट निधियों और विदेशी केंद्रीय बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश के लिए उपलब्ध 30 बिलियन अमरीकी डालर की कुल सीमा के तहत सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए उपलब्ध 5 बिलियन अमरीकी डालर की मौजूदा उप -सीमा को, तत्काल प्रभाव से बढ़ाकर, 10 बिलियन अमरीकी डालर कर दिया जाए।

4. इस संबंध में परिचालनात्मक दिशानिर्देश सेबी द्वारा जारी किए जाएंगे।

5. सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश संबंधी सभी अन्य मौजूदा शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं ।

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीय,
(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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