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सेबी विनियमों द्वारा शासित रियल इस्टेट निवेश ट्रस्ट, इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट तथा आल्टरनेटिव निवेश निधियों द्वारा जारी यूनिटों में विदेशी निवेश

भा.रि.बैंक/2015-16/377
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.63

21 अप्रैल 2016

सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी एवं प्राधिकृत बैंक

महोदया/महोदय,

सेबी विनियमों द्वारा शासित रियल इस्टेट निवेश ट्रस्ट, इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट
तथा आल्टरनेटिव निवेश निधियों द्वारा जारी यूनिटों में विदेशी निवेश

प्राधिकृत व्यापारियों (श्रेणी–I) का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 1/2000-आरबी के माध्यम से अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंधन (अनुमेय पूंजी खातेगत लेनदेन) विनियमावली, 2000 और समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के मार्फत अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (मूल नियमावली) की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. रियल इस्टेट और इनफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र हेतु आल्टरनेटिव निवेश माध्यम के लिए विदेशी निवेश व्यवस्था को युक्तिसंगत बनाने और सामूहिक निवेश माध्यमों में विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से, भारत सरकार के साथ परामर्श से यह निर्णय लिया गया है कि सेबी या किसी अन्य सक्षम प्राधिकरण द्वारा विनियमित और पंजीकृत निवेश माध्यमों की इकाइयों में विदेशी निवेश की अनुमति दी जाए। वर्तमान में, निवेश माध्यम में निम्नलिखित शामिल होंगे:

  • सेबी (REITs) विनियमावली, 2014 के तहत पंजीकृत और विनियमित रियल इस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs);

  • सेबी (InvITs) विनियमावली, 2014 के तहत पंजीकृत और विनियमित इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट (InvITs);

  • सेबी (AIFs) विनियमावली, 2012 के तहत पंजीकृत और विनियमित आल्टरनेटिव निवेश फंड (AIFs);

इसके अलावा, इकाई का अर्थ निवेश माध्यम में एक निवेशक का लाभकारी हित होगा जिसमें शेयरों या साझेदारी का हित शामिल होगा।

3. नई निवेश व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  1. एक पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (RFPI) और एक अनिवासी भारतीय (NRI) सहित भारत के बाहर निवासी कोई व्यक्ति निवेश माध्यमों की इकाइयों में निवेश कर सकते हैं।

  2. भारत के बाहर निवासी या पंजीकृत/ निगमित किसी व्यक्ति द्वारा अधिग्रहीत निवेश माध्यम की इकाइयों के लिए भुगतान एक एनआरई (NRE) या एक एफसीएनआर (FCNR) खाते को नामे करने के सहित सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से आवक विप्रेषण द्वारा किया जाएगा ।

  3. भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति ने यदि विनियमों के दायरे में रहते हुए यूनिटो का अधिग्रहण किया या उनकी खरीद की है तो वह उन यूनिटों को सेबी द्वारा निर्मित विनियमों या भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए दिशा-निर्देश के अनुसार बेच सकता है अथवा अंतरित कर सकता है या उनका मोचन कर सकता है।

  4. किसी निवेश माध्यम द्वारा किए गए डाउनस्ट्रीम निवेश को भी उस स्थिति में विदेशी निवेश ही माना जाएगा, जहां उसका प्रायोजक या प्रबंधक या निवेश प्रबंधक मूल विनियमावली के विनियम-14 में परिभाषित किए अनुसार भारतीय 'स्वामित्व और नियंत्रण’ में नहीं है।

  5. यदि प्रायोजक या प्रबंधक या निवेश प्रबंधक कंपनी या सीमित देयता भागीदारी फ़र्म (एल.एल.पी) के अलावा अन्य किसी रूप में संगठित हैं, तो सेबी द्वारा यह तय किया जाएगा कि इस प्रायोजक या प्रबंधक या निवेश प्रबंधक का ‘स्वामित्व और नियंत्रण’ विदेशी है।

  6. निवेश माध्यम के कोष में विदेशी निवेश की सीमा यह निर्धारित करने का कारक नहीं होगी कि संबन्धित निवेश माध्यम का डाउनस्ट्रीम निवेश विदेशी निवेश है या नहीं।

  7. किसी निवेश माध्यम द्वारा किए गए डाउनस्ट्रीम निवेश की गणना विदेशी निवेश के रूप में करने के लिए ऐसे डाउनस्ट्रीम निवेश जिस कंपनी में किए गए हों उस कंपनी को विदेशी निवेश नीति अथवा मूल विनयमावली की अनुसूची-1 के अनुसार संबन्धित क्षेत्र-विशेष में निवेश की सीमाओं और शर्तों/ प्रतिबंधों, यदि कोई हो, के अनुरूप होना चाहिए।

  8. किसी निवेश माध्यम द्वारा सीमित देयता भागीदारी फ़र्म (LLP) में किए गए डाउनस्ट्रीम निवेश की गणना विदेशी निवेश के रूप में करने के लिए ऐसे डाउनस्ट्रीम निवेश जिस एलएलपी में किए गए हों उसे एलएलपी हेतु मौजूदा विदेशी निवेश नीति अथवा मूल विनयमावली की अनुसूची-9 के अनुसार होना चाहिए।

  9. विदेशी निवेश प्राप्त करने वाले श्रेणी–III के आल्टरनेटिव वैकल्पिक निवेश फंड केवल उन प्रतिभूतियों या लिखतों में पोर्टफोलियो निवेश कर सकते हैं, जिसमें किसी आरएफपीआई (RFPI) को निवेश करने की अनुमति है।

  10. निवेश माध्यम अपने विदेशी निवेश प्राप्त करने के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा सेबी द्वारा समय-समय पर यथा-निर्धारित प्रारूप और तरीके से रिपोर्ट भेजेंगे।

4. इसके अलावा, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 1/2000–आरबी के विनियम 4 (बी) (iv) के अनुसार - किसी भी कंपनी अथवा भागीदारी फर्म अथवा स्वामित्व संस्था (Proprietary Concern) अथवा किसी अन्य एंटीटी, भले ही वह निगमित हो अथवा नहीं, यदि “रियल इस्टेट कारोबार” अथवा “फार्म हाउस के निर्माण” से सम्बद्ध हो अथवा उसका इसमें सम्बद्ध होना प्रस्तावित हो, तो ऐसी फर्मों में निवेश प्रतिबंधित होगा। फिर भी, स्पष्टीकरण (i) ऊपर उल्लिखित नियमानुसार “स्थावर संपदा कारोबार” में टाउनशिप का विकास, आवासीय एवं वाणिज्यिक परिसरों का निर्माण, सड़क और पुल के संनिर्माण का समावेश नहीं किया गया है। यहाँ यह स्पष्ट है कि सेबी के पास पंजीकृत एवं सेबी (REITs) विनियमावली, 2014 द्वारा नियंत्रित REITs की यूनिटों में किए गए विदेशी निवेश को इस विनियमावली के प्रयोजन से “रीयल इस्टेट कारोबार” मेँ समाविष्ट नहीं किया जाएगा।

5.प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबन्धित घटकों एवं ग्राहको को अवगत कराएं ।

6. रिजर्व बैंक ने इस विषय से संबन्धित विनियमावलियों को तदनुसार संशोधित किया है जो निम्न प्रकार हैं:

16 नवंबर 2015 की अधिसूचना सं. 345/2015-आरबी के मार्फत अधिसूचित एवं 16 नवंबर 2015 को जी.एस.आर. No.859 (ई) के तहत प्रकाशित विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमेय पूंजी खाता लेनदेन) (चौथा संशोधन) विनियमावली, 2015 ;

16 नवंबर 2015 की अधिसूचना सं.355/2015-आरबी के मार्फत अधिसूचित एवं 16 नवंबर 2015 को जी.एस.आर. No.858 (ई) के तहत प्रकाशित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (ग्यारहवां संशोधन) विनियमावली, 2015; और

15 फरवरी 2016 की अधिसूचना सं.362/2016-आरबी के मार्फत अधिसूचित एवं 15 फरवरी 2016 को जी.एस.आर. No.166 (ई) के तहत प्रकाशित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2016.

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(शेखर भटनागर)
प्रभारी मुख्य महाप्रंबधक

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